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सत्यवान के संग में जो तू ब्याह रचावेगी,
अरे ओ बेटी री तू सुख ना पावेगी...

सत्यवान के संग में जो तू ब्याह रचावेगी,
अरे ओ बेटी री तू सुख ना पावेगी...


वन वन में भटकत डोले कहा तू रहेगी,
मौसम की मार बेटी कैसे सहेगी,
एक बरस की उम्र है बाकी तू पछतावेगी,
अरे ओ बेटी री तू सुख ना पावेगी...

सास ससुर है अंधे कैसे रहेगी,
खाने को दाने दाने तू तरसेगी,
अरे राज पाठ को छोड़ के बेटी लाज ना आवेगी,
अरे ओ बेटी री तू सुख ना पावेगी...

एक से एक राजा तेरे पुजारी,
ब्याह करण का मन सबका है भारी,
अरे जंगल जंगल भटकत डोले दुःख तू पावेगी,
अरे ओ बेटी री तू सुख ना पावेगी...

सत्यवान के संग में जो तू ब्याह रचावेगी,
अरे ओ बेटी री तू सुख ना पावेगी...


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satyavaan ke sang me jo too byaah rchaavegi,
are o beti ri too sukh na paavegi...

satyavaan ke sang me jo too byaah rchaavegi,
are o beti ri too sukh na paavegi...


van van me bhatakat dole kaha too rahegi,
mausam ki maar beti kaise sahegi,
ek baras ki umr hai baaki too pchhataavegi,
are o beti ri too sukh na paavegi...

saas sasur hai andhe kaise rahegi,
khaane ko daane daane too tarasegi,
are raaj paath ko chhod ke beti laaj na aavegi,
are o beti ri too sukh na paavegi...

ek se ek raaja tere pujaari,
byaah karan ka man sabaka hai bhaari,
are jangal jangal bhatakat dole duhkh too paavegi,
are o beti ri too sukh na paavegi...

satyavaan ke sang me jo too byaah rchaavegi,
are o beti ri too sukh na paavegi...








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