शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
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ज्योत जगा के तेरा ध्यान लगाऊं सब को
लाल लाल चुनरी ते तुझ को सजाऊ,
श्याम थारी चौखट पे,
आया हूँ मैं हार के,
साई तूने शिरडी बुलाया है,
तब से ये मन ललचाया है,
मेरो घूँघट खोल गयो कन्हैया छोटो सो
मेरो घूँघट खोल गयो कन्हैया छोटो सो
करूँ वन्दना, करूँ वन्दना,
करूँ वन्दना, करूँ वन्दना...