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अमर कथा




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अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।

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दगरो छोड़ दे रे लांगुरिया...
हंस की वाहिनी तू हंस को उड़ाने आजा,
मेरी मैया मेरी बिगड़ी तू बनाने आजा,
तेरे चरणों में मैं रूल जावां, बृज रज़
इतनीं सी है दिल की आरजू,
सियाराम के तुम दीवाने,
भक्त राम के हो, सब जग जाने,
ये बाबोसा का द्वारा,
है स्वर्ग से भी प्यारा,