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आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।

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अम्बे अम्बे रटो चली आएगी भवानी,
आएगी भवानी चली आएगी भवानी,
मंदिर में से निकली गैया, गुफा छोड़के
गोटेदार लहँगा चुनर ओढ़ के
मेरे बाँके बिहारी सांवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है,
बरसाना बरसाना ये है बरसाना,
बाहर पीकर गिरनें वालो यहां सम्भंल कर
करते हैं कीर्तन बाबा,
रोज तेरे नाम का,