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Bhajan Shyam Sunder Ka Karte Rahoge
Sansaar Sagar Se Tarte Rahoge

Bhajan Shyam Sunder Ka Karte Rahoge
Sansaar Sagar Se Tarte Rahoge



Bhajan Shyam Sunder Ka Karte Rahoge
Sansaar Sagar Se Tarte Rahoge

Naa Hoga Kabhi Klesh
Man Tum Ko Tumhare

Jo Apni Badayi Se
Bachate Rahoge

Bhajan Shyam Sunder Ka Karte Rahoge
Sansaar Sagar Se Tarte Rahoge

Jhalak Hi Padega Kripa Sindhu Ka Dil
Jo Aankh Se Aashu Bahate Rahoge

Bhajan Shyam Sunder Ka Karte Rahoge
Sansaar Sagar Se Tarte Rahoge

Kripa Nath Tujhko Milenge Kisi Din
Jo Satsang Path Se Gujarte Rahoge

Bhajan Shyam Sunder Ka Karte Rahoge
Sansaar Sagar Se Tarte Rahoge

Kabhi Bhool Ke Bhi Naa Bigade Naa Tumhari
Jo Mohan Ko Dil Se Manate Rahoge

Bhajan Shyam Sunder Ka Karte Rahoge
Sansaar Sagar Se Tarte Rahoge



Bhajan Shyam Sunder Ka Karte Rahoge Krishan Bhajan

bhajan shayam sunader k karate rahoge
sanasaar sagar se tarate rahoge



bhajan shayam sunader k karate rahoge
sanasaar sagar se tarate rahoge

na hog kabahi klesah
man tum ko tumahare

jo apani badayi se
bacahate rahoge

bhajan shayam sunader k karate rahoge
sanasaar sagar se tarate rahoge

jhalak hi padeg krip sinadahu k dil
jo aanakah se aasahu bahate rahoge

bhajan shayam sunader k karate rahoge
sanasaar sagar se tarate rahoge

krip natah tujahako milenage kisi din
jo satasanag patah se gujarate rahoge

bhajan shayam sunader k karate rahoge
sanasaar sagar se tarate rahoge

kabahi bhool ke bhi na bigade na tumahari
jo mohan ko dil se manate rahoge

bhajan shayam sunader k karate rahoge
sanasaar sagar se tarate rahoge







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