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गंगा से गंगा जल भर के कंधे शिव की कावड़ दर के,
भोले के दर चलो लेके कावड़ चलो,

गंगा से गंगा जल भर के कंधे शिव की कावड़ दर के,
भोले के दर चलो लेके कावड़ चलो,

सावन महीने का पावन नजारा,
अध्भुत अंखोखा है भोले का नजारा,
सावन की जब जब है बरसे बदलियां,
झूमे नाचे और बोले कावड़ियाँ,
भोले के दर चलो....

रस्ता कठिन है और मुश्किल डगर है,
भोले के भक्तो को ना कोई दर है,
राहो में जितने भी हो कांटे कंकर,
हर इक कंकर में दीखते है शंकर,
भोले के दर चलो......

कावड़ तपस्या है भोले प्रभु की,
ग्रंथो ने महिमा बताई कावड़ की,
होठो पे सुमिरन हो पैरो में छाले,
रोमी तपस्या हम फिर भी कर डाले,
भोले के दर चलो......



bhole ke dar chalo leke kawad chalo

ganga se ganga jal bhar ke kandhe shiv ki kaavad dar ke,
bhole ke dar chalo leke kaavad chalo


saavan maheene ka paavan najaara,
adhbhut ankhokha hai bhole ka najaara,
saavan ki jab jab hai barase badaliyaan,
jhoome naache aur bole kaavadiyaan,
bhole ke dar chalo...

rasta kthin hai aur mushkil dagar hai,
bhole ke bhakto ko na koi dar hai,
raaho me jitane bhi ho kaante kankar,
har ik kankar me deekhate hai shankar,
bhole ke dar chalo...

kaavad tapasya hai bhole prbhu ki,
grantho ne mahima bataai kaavad ki,
hotho pe sumiran ho pairo me chhaale,
romi tapasya ham phir bhi kar daale,
bhole ke dar chalo...

ganga se ganga jal bhar ke kandhe shiv ki kaavad dar ke,
bhole ke dar chalo leke kaavad chalo




bhole ke dar chalo leke kawad chalo Lyrics





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