विधि- पूर्वक ही जोत जलाकर
माँ-चरणन में ध्यान लगाकर
जो जन, मन से पूजा करेंगे
जीवन-सिन्धु सहज तरेंगे
कन्या रूप में जब दे दर्शन
श्रद्धा - सुमन कर दीजो अर्पण
सर्वशक्ति वो आदिकौमारी
जाइये चरणन पे बलिहारी
त्रिपुर रूपिणी ज्ञान महिमा
भगवती वो वरदान महिमा
चंड -मुंड नाशक दिव्या-स्वरूपा
त्रिशुलधारिणी शंकर रूपा
करे कामाक्षी कामना पूरी
देती सदा माँ सबरस पूरी
चंडिका देवी का करो अर्चन
साफ़ रहेगा मन का दर्पण
सर्व भूतमयी सर्वव्यापक
माँ की दया के देव याचक
स्वर्णमयी है जिसकी आभा
करती नहीं है कोई दिखावा
कही वो रोहिणी कही सुभद्रा
दूर कर्त अज्ञान की निंद्रा
छल कपट अभिमान की दमिनी
नरप सौ भाग्य हर्ष की जननी
आश्रय दाति माँ जगदम्बे
खप्पर वाली महाबली अम्बे
मुंडन की जब पहने माला
दानव -दल पर बरसे ज्वाला
जो जन उसकी महिमा गाते
दुर्गम काज सुगम हो जाते
जै विध्या अपराजिता माई
जिसकी तपस्या महाफलदाई
चेतना बुद्धि श्रधा माँ है
दया शान्ति लज्जा माँ है
साधन सिद्धि वर है माँ का
जहा बुद्धि वो घर है माँ का
सप्तशती में दुर्गा दर्शन
शतचंडी है उसका चिन्तन
पूजा ये सर्वार्थ- साधक
भवसिंधु की प्यारी नावक
देवी-कुण्ड के अमृत से, तन मन निर्मल होय
पावन ममता के रस में, पाप जन्म के धोय
अष्टभुजा जग मंगल करणी
योगमाया माँ धीरज धरनी
जब कोई इसकी स्तुति करता
कागा मन हंस बनता
महिष-मर्दिनी नाम है न्यारा
देवों को जिसने दिया सहारा
रक्तबीज को मारा जिसने
मधु-कैटभ को मारा जिसने
धूम्रलोचन का वध कीन्हा
अभय-दान देवन को दीन्हा
जग में कहाँ विश्राम इसको
बार-बार प्रणाम है इसको
यज्ञ हवन कर जो बुलाते
भ्रामरी माँ की शरण में जाते
उनकी रखती दुर्गा लाज
बन जाते है बिगड़े काज
सुख पदार्थ उनको है मिलते
पांचो चोर ना उनको छलते
शुद्ध भाव से गुण गाते
चक्रवर्ती है वो कहलाते
दुर्गा है हर जन की माता
कर्महीन निर्धन की माता
इसके लिए कोई गैर नहीं है
इसे किसी से बैर नहीं है
रक्षक सदा भलाई की मैया
शत्रु सिर्फ बुराई की मैया
अनहद ये स्नेहा का सागर
कोई नहीं है इसके बराबर
दधिमति भी नाम है इसका
पतित-पावन धाम है इसका
तारा माँ जब कला दिखाती
भाग्य के तारे है चमकाती
कौशिकी देवी पूजते रहिये
हर संकट से जूझते रहिये
नैया पार लगाएगी माता
भय हरने को आएगी माता
अम्बिका नाम धराने वाली
सूखे वृक्ष सलाने वाली
पारस मणियाँ जिसकी माला
दया की देवी माँ कृपाला
मोक्षदायिनी के द्वारे , भक्त खड़े कर जोड़
यमदूतो के जाल को घडी में दे जो तोड़
भैरवी देवी का करो वंदन
ग्वालबाल से खिलेगा आँगन
झोलियाँ खाली ये भर देती
शक्ति भक्ति का वर देती
विमला मैया ना विसराओ
भावना का प्रसाद चढाओ
माटी को कर देती चंदन
दाती माँ ये असुर निकंदन
तोड़ेगी जंजाल ये सारे
सुख देती तत्काल ये सारे
पग-पंकज की धुलि पा लो
माथे उसका तिलक लगा लो
हर एक बाधा टल जाएगी
भय की डायन जल जाएगी
भक्तों से ये दूर नहीं है
दाती है मजबूर नहीं है
उग्र रूप माँ उग्र तारा
जिसकी रचना यह जग सारा
अपनी शक्ति जब दिखलाती
उंगली पर संसार नचाती
जल थल नील गगन की मालिक
अग्नि और पवन की मालिक
दशों दिशाओं में यह रहती
सभी कलाओं में यह रहती
इसके रंग में इश्वर रंगा
ये ही है आकाश की गंगा
इन्द्रधनुष है माया इसकी
नजर ना आती काया इसकी
जड़ भी ये ही चेतन ये ही
साधक ये ही साधन ये ही
ये महादेवी ये महामाया
किसी ने इसका पार ना पाया
जड़ भी ये ही चेतन ये ही
साधक ये ही साधन ये ही
ये महादेवी ये महामाया
किसी ने इसका पार ना पाया
ये है अर्पणा ये श्री सुन्दरी
चन्द्रभागा ये है सावित्री
नारायणी का रूप यही है
नंदिनी माँ का स्वरूप यही है
जप लो इसके नाम की माला
कृपा करेगी ये कृपाला
ध्यान में जब तुम खो जाओगे
माँ के प्यारे हो जाओगे
इसका साधक कांटो पे फुल समझ कर सोए
दुःख भी हंस के झेलता, कभी ना विचलित होए
सुख-सरिता देवी सर्वानी
मंगल-चण्डी शिव शिवानी
आस का दीप जलाने वाली
प्रेम सुधा बरसाने वाली
अम्बा देवी की करो पूजा
ऐसा मंदिर और ना दूजा
मनमोहिनी मूरत माँ की
दिव्या ज्योति है सूरत माँ की
ललिता ललित-कला की मालक
विकलांग और लाचार की पालक
अमृत वर्षा जहां भी करती
रत्नों से भंडार है भरते
ममता की माँ मीठी लोरी
थामे बैठी जग की डोरी
दुश्मन सब और गुनी ज्ञानी
सुनते माँ की अमृतवाणी
सर्व समर्थ सर्वज्ञ भवानी
पार्वते ही माँ कल्याणी
जै दुर्गे जै नर्मदा माता
हर ही घर गुण तेरा गाता
ये ही उमा मिथिलेश्वरी है
भयहरिणी भक्तेश्वरी है
सेवक झुकते द्वार पे इसके
दौलत दे उपकार ये इसके
माला धारी ये मृगवाही
सरस्वती माँ ये वाराही
अजर अमर है ये अनंता
सकल विश्व की इसको चिंता
कन्याकुमारी धाम निराला
धन पदार्थ देने वाला
देती ये संतान किसी को
मिल जाते वरदान किसी को
जो श्रद्धा विश्वास से आता
कोई क्लेश ना उसे सताता
जहाँ ये वर्षा सुख की करती
वहां पे सिद्धिय पानीभरती
विधि विधाता दास है इसके
करुणा का धन पाते इससे
यह जो मानव हँसता रोता
माँ की इच्छा से ही होता
श्रद्धा दीप जलाए के, जो भी करे अरदास
उसकी माँ के द्वार पे, पूर्ण हो सब आस
कोई कहे इसे महाबली माता
जो भी सुमिरे वो फल पाता
निर्बल को बल यही से मिलता
घडियों में ही भाग्य बदलता
अच्छरू माँ के गुण जो गावे
पूजा न उसकी निष्फल जावे
अच्छरू सब कुछ अच्छा करती
चिंता संकट भय वो हरती
करुणा का यहाँ अमृत बहता
मानव देख चकित है रहता
क्या क्या पावन नाम है माँ के
मुक्तिदायक धाम है माँ के
कही पे माँ जागेश्वरी है
करुणामयी करुणेश्वरी है
जो जन इसके भजन में जागे
उसके घर दर्द है भागे
नाम कही है अरासुर अम्बा
पापनाशिनी माँ जगदम्बा
की जो यहाँ अराधना मन से
झोली भरेगी सबकी धन से
भुत पिशाच का डर न रहेगा
सुख का झरना सदा बहेगा
हर शत्रु पर विजय मिलेगी
दुःख की काली रात टलेगी
कनकावती करेरी माई
संत जनों की सदा सहाई
सच्चे दिल से करे जो पूजन
पाये खुदा से मुक्ति दुर्जन
हर सिद्धि का जाप जो करता
किसी बला से वो नहीं डरता
चिंतन में जब मन खो जाता
हर मनोरथ सिद्ध हो जाता
कही है माँ का नाम खनारी
शान्ति मन को देती न्यारी
इच्छापूर्ण करती पल में
शहद घुला है यहाँ के जल में
सबको यहाँ सहारा मिलता
रोगों से छुटकारा मिलता
भला जिसने करते रहना
ऐसी माँ का क्या है कहना
क्षीरजा माँ अम्बिके, दुःख हरन सुखधाम
जन्म जन्म के बिगड़े हुए, यहाँ पे सिद्ध काम
झंडे वाली माँ सुखदाती
कांटो को भी फुल बनाती
यहाँ भिखारी भी जो आता
दानवीर वो है बन जाता
बांझो को यहाँ बालक मिलते
इसकी दया से लंगड़े चलते
श्रद्धा भाव प्यार की भूखी
ममता नदिया , कभी न सुखी
यहाँ कभी अभिमान ना करना
कंजको का अपमान ना करना
घट-घट की ये जाननहारी
इसको सेवत दुनिया सारी
भयहरिणी भंडारिका देवी
इसको चाहा देवों ने भी
चरण -शरण में जो भी आये
वो कंकड़ हीरा बन जाए
बुरे ग्रह का दोष मिटाती
अच्छे दिनों की आस जगाती
कैसा पल दे ये महामाता
हो जाती है दूर निराशा
उन्निती के ये शिखर चढ़ावे
रंको को ये राजा बनावे
ममता इसकी है वरदानी
भूल के भी ना भूलो प्राणी
कही पे कुंती बन के बिराजे
चारो और ही डंका बाजे
सपने में भी जो नहीं सोचा
यहा पे वो कुछ मिलते देखा
कहता कोई समुंद्री माता
कृपा समुंद्र का रस है पाता
दागी चोले यहाँ पर धुलते
बंद नसीबों के दर खुलते
दया समुंद्र की लहराए
बिगड़ी कईयों की बन जाए
लहरें समुंद्र में है जितनी
करुणा की है नेहमत उतनी
जितने ये उपकार है करती है करती
हो नहीं सकती किसी से गिनती
जिसने डोर लगन की बाँधी
जग में उत्तम पाये उपाधि
सर्व मंगल जगजननी , मंगल करे अपार
सबकी मंगल - कामना , करता इस का द्वार
भादवा मैया है अति प्यारी
अनुग्रह करती पातकहारी
आपतियों का करे निवारण
आप कर्ता आप ही कारण
झुग्गी में वो मंदिर में वो
बाहर भी वो अंदर भी वो
वर्षा वो ही बसंत वो ही
लीला करे अनंत वो ही
दान भी वो ही दानी वो ही
प्यास भी वो ही पानी वो ही
दया भी वो दयालु वो ही
कृपा रूप कृपालु वो ही
इक वीरा माँ नाम उसी का
धर्म कर्म है काम उसी का
एक ज्योति के रूप करोड़ो
किसी रूप से मुंह ना मोड़ो
जाने वो किस रूप में आये
जाने कैसा खेल रचाए
उसकी लीला वो ही जाने
उसको सारी सृष्टि माने
जीवन मृत्यु हाथ में उसके
जादू है हर बात में उसके
वो जाने क्या कब है देना
उसने ही तो सब कुछ है देना
प्यार से मांगो याचक बनके
की जो विनय उपासक बनके
वो ही नैय्या वो ही खैव्य्या
वो रचना है वो ही रचैय्या
जिस रंग रखे उस रंग रहिये
बुरा भला ना कुछ भी कहिये
राखे मारे उसकी मर्जी
डोबे तारे उसकी मर्जी
जो भी करती अच्छा करती
काज हमेशा सच्चा करती
वो कर्मन की गति को जाने
बुरा भला वो सब पहचाने
दामन जब है उसका पकड़ा
क्या करना फिर तकदीर से झगड़ा
मालिक की हर आज्ञा मानो
उसमे सदा भला ही जानो
शांता माँ की शान्ति, मांगू बन के दास
खोटा खरा क्या सोचना, कर लिया जब विश्वास
रेणुका माँ पावन मंदिर
करता नमन यहाँ पर अम्बर
लाचारों की करे रखवाली
कोई सवाली जाए न खाली
ममता चुनरी की छाँव में
स्वर्ग सी सुंदर है गाँव में
बिगड़ी किस्मत बनती देखी
दुःख की रैना ढलती देखी
इस चौखट से लगे जो माथा
गर्व से ऊचा वो हो जाता
रसना में रस प्रेम का भरलो
बलि-देवी का दर्शन करलो
विष को अमृत करेगी मैय्या
दुःख संताप हरेगी मैय्या
जिन्हें संभाला वो इसे माने
मूढ़ भी बनते यहाँ सयाने
दुर्गा नाम की अमृत वाणी
नस-नस बीच बसाना प्राणी
अम्बा की अनुकम्पा होगी
वन का पंछी बनेगा योगी
पतित पावन जोत जलेगी
जीवन गाडी सहज चलेगी
रहेगा न अंधियारा घर में
वैभव होगा न्यारा घर में
भक्ति भाव की बहेगी गंगा
होगा आठ पहर सत्संग
छल और कपट न छलेगा
भक्तों का विश्वास फलेगा
पुष्प प्रेम के जाएंगे बांटे
जल जाएंगे लोभ के कांटे
जहाँ पे माँ का होय बसेरा
हर सुख वहां लगाएगा डेरा
चलोगे तुम निर्दोष डगर पे
दृष्टि होती माँ के घर पे
पढ़े सुने जो अमृतवाणी
उसकी रक्षक आप भवानी
अमृत में जो खो जाएगा
वो भी अमृत हो जायेगा
अमृत, अमृत में जब मिलता
अमृत-मयी है जीवन बनता
दुर्गा अमृत वाणी के अमृत भीगे बोल
अंत:करण में तू प्राणी इस अमृत को घोल
vidhi- poorvak hi jot jalaakar
maa-charanan me dhayaan lagaakar
jo jan, man se pooja karenge
jeevan-sindhu sahaj tarenge
kanya roop me jab de darshan
shrddha - suman kar deejo arpan
sarvshakti vo aadikaumaaree
jaaiye charanan pe balihaaree
tripur roopini gyaan mahimaa
bhagavati vo varadaan mahimaa
chand -mund naashak divyaa-svaroopaa
trishuldhaarini shankar roopaa
kare kaamaakshi kaamana pooree
deti sada ma sabaras pooree
chandika devi ka karo archan
saapah rahega man ka darpan
sarv bhootamayi sarvavyaapak
ma ki daya ke dev yaachak
svarnamayi hai jisaki aabhaa
karati nahi hai koi dikhaavaa
kahi vo rohini kahi subhadraa
door kart agyaan ki nindraa
chhal kapat abhimaan ki daminee
narap sau bhaagy harsh ki jananee
aashry daati ma jagadambe
khappar vaali mahaabali ambe
mundan ki jab pahane maalaa
daanav -dal par barase jvaalaa
jo jan usaki mahima gaate
durgam kaaj sugam ho jaate
jai vidhaya aparaajita maaee
jisaki tapasya mahaaphaladaaee
chetana buddhi shrdha ma hai
daya shaanti lajja ma hai
saadhan siddhi var hai ma kaa
jaha buddhi vo ghar hai ma kaa
saptshati me durga darshan
shatchandi hai usaka chintan
pooja ye sarvaarth- saadhak
bhavasindhu ki pyaari naavak
devi-kund ke amarat se, tan man nirmal hoy
paavan mamata ke ras me, paap janm ke dhoy
ashtbhuja jag mangal karanee
yogamaaya ma dheeraj dharanee
jab koi isaki stuti karataa
kaaga man hans banataa
mahish-mardini naam hai nyaaraa
devon ko jisane diya sahaaraa
raktabeej ko maara jisane
mdhu-kaitbh ko maara jisane
dhoomralochan ka vdh keenhaa
abhay-daan devan ko deenhaa
jag me kahaan vishram isako
baar-baar pranaam hai isako
yagy havan kar jo bulaate
bhramri ma ki sharan me jaate
unaki rkhati durga laaj
ban jaate hai bigade kaaj
sukh padaarth unako hai milate
paancho chor na unako chhalate
shuddh bhaav se gun gaate
chakravarti hai vo kahalaate
durga hai har jan ki maataa
karmaheen nirdhan ki maataa
isake lie koi gair nahi hai
ise kisi se bair nahi hai
rakshk sada bhalaai ki maiyaa
shatru sirph buraai ki maiyaa
anahad ye sneha ka saagar
koi nahi hai isake baraabar
ddhimati bhi naam hai isakaa
patit-paavan dhaam hai isakaa
taara ma jab kala dikhaatee
bhaagy ke taare hai chamakaatee
kaushiki devi poojate rahiye
har sankat se joojhate rahiye
naiya paar lagaaegi maataa
bhay harane ko aaegi maataa
ambika naam dharaane vaalee
sookhe vriksh salaane vaalee
paaras maniyaan jisaki maalaa
daya ki devi ma kripaalaa
mokshdaayini ke dvaare , bhakt khade kar jod
yamadooto ke jaal ko ghadi me de jo tod
bhairavi devi ka karo vandan
gvaalabaal se khilega aangan
jholiyaan khaali ye bhar detee
shakti bhakti ka var detee
vimala maiya na visaraao
bhaavana ka prasaad chdhaao
maati ko kar deti chandan
daati ma ye asur nikandan
todegi janjaal ye saare
sukh deti tatkaal ye saare
pag-pankaj ki dhuli pa lo
maathe usaka tilak laga lo
har ek baadha tal jaaegee
bhay ki daayan jal jaaegee
bhakton se ye door nahi hai
daati hai majaboor nahi hai
ugr roop ma ugr taaraa
jisaki rchana yah jag saaraa
apani shakti jab dikhalaatee
ungali par sansaar nchaatee
jal thal neel gagan ki maalik
agni aur pavan ki maalik
dshon dishaaon me yah rahatee
sbhi kalaaon me yah rahatee
isake rang me ishvar rangaa
ye hi hai aakaash ki gangaa
indrdhanush hai maaya isakee
najar na aati kaaya isakee
jad bhi ye hi chetan ye hee
saadhak ye hi saadhan ye hee
ye mahaadevi ye mahaamaayaa
kisi ne isaka paar na paayaa
jad bhi ye hi chetan ye hee
saadhak ye hi saadhan ye hee
ye mahaadevi ye mahaamaayaa
kisi ne isaka paar na paayaa
ye hai arpana ye shri sundaree
chandrbhaaga ye hai saavitree
naaraayani ka roop yahi hai
nandini ma ka svaroop yahi hai
jap lo isake naam ki maalaa
kripa karegi ye kripaalaa
dhayaan me jab tum kho jaaoge
ma ke pyaare ho jaaoge
isaka saadhak kaanto pe phul samjh kar soe
duhkh bhi hans ke jhelata, kbhi na vichalit hoe
sukh-sarita devi sarvaanee
mangal-chandi shiv shivaanee
aas ka deep jalaane vaalee
prem sudha barasaane vaalee
amba devi ki karo poojaa
aisa mandir aur na doojaa
manamohini moorat ma kee
divya jyoti hai soorat ma kee
lalita lalit-kala ki maalak
vikalaang aur laachaar ki paalak
amarat varsha jahaan bhi karatee
ratnon se bhandaar hai bharate
mamata ki ma meethi loree
thaame baithi jag ki doree
dushman sab aur guni gyaanee
sunate ma ki amaratavaanee
sarv samarth sarvagy bhavaanee
paarvate hi ma kalyaanee
jai durge jai narmada maataa
har hi ghar gun tera gaataa
ye hi uma mithileshvari hai
bhayaharini bhakteshvari hai
sevak jhukate dvaar pe isake
daulat de upakaar ye isake
maala dhaari ye maragavaahee
sarasvati ma ye vaaraahee
ajar amar hai ye anantaa
sakal vishv ki isako chintaa
kanyaakumaari dhaam niraalaa
dhan padaarth dene vaalaa
deti ye santaan kisi ko
mil jaate varadaan kisi ko
jo shrddha vishvaas se aataa
koi klesh na use sataataa
jahaan ye varsha sukh ki karatee
vahaan pe siddhiy paaneebharatee
vidhi vidhaata daas hai isake
karuna ka dhan paate isase
yah jo maanav hansata rotaa
ma ki ichchha se hi hotaa
shrddha deep jalaae ke, jo bhi kare aradaas
usaki ma ke dvaar pe, poorn ho sab aas
koi kahe ise mahaabali maataa
jo bhi sumire vo phal paataa
nirbal ko bal yahi se milataa
ghadiyon me hi bhaagy badalataa
achchharoo ma ke gun jo gaave
pooja n usaki nishphal jaave
achchharoo sab kuchh achchha karatee
chinta sankat bhay vo haratee
karuna ka yahaan amarat bahataa
maanav dekh chakit hai rahataa
kya kya paavan naam hai ma ke
muktidaayak dhaam hai ma ke
kahi pe ma jaageshvari hai
karunaamayi karuneshvari hai
jo jan isake bhajan me jaage
usake ghar dard hai bhaage
naam kahi hai araasur ambaa
paapanaashini ma jagadambaa
ki jo yahaan araadhana man se
jholi bharegi sabaki dhan se
bhut pishaach ka dar n rahegaa
sukh ka jharana sada bahegaa
har shatru par vijay milegee
duhkh ki kaali raat talegee
kanakaavati kareri maaee
sant janon ki sada sahaaee
sachche dil se kare jo poojan
paaye khuda se mukti durjan
har siddhi ka jaap jo karataa
kisi bala se vo nahi darataa
chintan me jab man kho jaataa
har manorth siddh ho jaataa
kahi hai ma ka naam khanaari
shaanti man ko deti nyaaree
ichchhaapoorn karati pal me
shahad ghula hai yahaan ke jal me
sabako yahaan sahaara milataa
rogon se chhutakaara milataa
bhala jisane karate rahanaa
aisi ma ka kya hai kahanaa
ksheeraja ma ambike, duhkh haran sukhdhaam
janm janm ke bigade hue, yahaan pe siddh kaam
jhande vaali ma sukhadaatee
kaanto ko bhi phul banaatee
yahaan bhikhaari bhi jo aataa
daanaveer vo hai ban jaataa
baanjho ko yahaan baalak milate
isaki daya se langade chalate
shrddha bhaav pyaar ki bhookhee
mamata nadiya , kbhi n sukhee
yahaan kbhi abhimaan na karanaa
kanjako ka apamaan na karanaa
ghat-ghat ki ye jaananahaaree
isako sevat duniya saaree
bhayaharini bhandaarika devee
isako chaaha devon ne bhee
charan -sharan me jo bhi aaye
vo kankad heera ban jaae
bure grah ka dosh mitaatee
achchhe dinon ki aas jagaatee
kaisa pal de ye mahaamaataa
ho jaati hai door niraashaa
unniti ke ye shikhar chadahaave
ranko ko ye raaja banaave
mamata isaki hai varadaanee
bhool ke bhi na bhoolo praanee
kahi pe kunti ban ke biraaje
chaaro aur hi danka baaje
sapane me bhi jo nahi sochaa
yaha pe vo kuchh milate dekhaa
kahata koi samundri maataa
kripa samundr ka ras hai paataa
daagi chole yahaan par dhulate
band naseebon ke dar khulate
daya samundr ki laharaae
bigadi keeyon ki ban jaae
laharen samundr me hai jitanee
karuna ki hai nehamat utanee
jitane ye upakaar hai karati hai karatee
ho nahi sakati kisi se ginatee
jisane dor lagan ki baandhee
jag me uttam paaye upaadhi
sarv mangal jagajanani , mangal kare apaar
sabaki mangal - kaamana , karata is ka dvaar
bhaadava maiya hai ati pyaaree
anugrah karati paatakahaaree
aapatiyon ka kare nivaaran
aap karta aap hi kaaran
jhuggi me vo mandir me vo
baahar bhi vo andar bhi vo
varsha vo hi basant vo hee
leela kare anant vo hee
daan bhi vo hi daani vo hee
pyaas bhi vo hi paani vo hee
daya bhi vo dayaalu vo hee
kripa roop kripaalu vo hee
ik veera ma naam usi kaa
dharm karm hai kaam usi kaa
ek jyoti ke roop karodo
kisi roop se munh na modo
jaane vo kis roop me aaye
jaane kaisa khel rchaae
usaki leela vo hi jaane
usako saari sarashti maane
jeevan maratyu haath me usake
jaadoo hai har baat me usake
vo jaane kya kab hai denaa
usane hi to sab kuchh hai denaa
pyaar se maango yaachak banake
ki jo vinay upaasak banake
vo hi naiyya vo hi khaivyyaa
vo rchana hai vo hi rchaiyyaa
jis rang rkhe us rang rahiye
bura bhala na kuchh bhi kahiye
raakhe maare usaki marjee
dobe taare usaki marjee
jo bhi karati achchha karatee
kaaj hamesha sachcha karatee
vo karman ki gati ko jaane
bura bhala vo sab pahchaane
daaman jab hai usaka pakadaa
kya karana phir takadeer se jhagadaa
maalik ki har aagya maano
usame sada bhala hi jaano
shaanta ma ki shaanti, maangoo ban ke daas
khota khara kya sochana, kar liya jab vishvaas
renuka ma paavan mandir
karata naman yahaan par ambar
laachaaron ki kare rkhavaalee
koi savaali jaae n khaalee
mamata chunari ki chhaanv me
svarg si sundar hai gaanv me
bigadi kismat banati dekhee
duhkh ki raina dhalati dekhee
is chaukhat se lage jo maathaa
garv se oocha vo ho jaataa
rasana me ras prem ka bharalo
bali-devi ka darshan karalo
vish ko amarat karegi maiyyaa
duhkh santaap haregi maiyyaa
jinhen sanbhaala vo ise maane
moodah bhi banate yahaan sayaane
durga naam ki amarat vaanee
nas-nas beech basaana praanee
amba ki anukampa hogee
van ka panchhi banega yogee
patit paavan jot jalegee
jeevan gaadi sahaj chalegee
rahega n andhiyaara ghar me
vaibhav hoga nyaara ghar me
bhakti bhaav ki bahegi gangaa
hoga aath pahar satsang
chhal aur kapat n chhalegaa
bhakton ka vishvaas phalegaa
pushp prem ke jaaenge baante
jal jaaenge lobh ke kaante
jahaan pe ma ka hoy baseraa
har sukh vahaan lagaaega deraa
chaloge tum nirdosh dagar pe
darashti hoti ma ke ghar pe
padahe sune jo amaratavaanee
usaki rakshk aap bhavaanee
amarat me jo kho jaaegaa
vo bhi amarat ho jaayegaa
amarat, amarat me jab milataa
amarat-mayi hai jeevan banataa
durga amarat vaani ke amarat bheege bol
ant:karan me too praani is amarat ko ghol