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हर रूप में रंग में ढंग में तू

हर रूप रंग में ढंग में तूँ
नहरों नदियों में तरंग में तूँ,
है परम् पिता जगदीश हरे
प्रभु प्रेम उमंग में तूँ ही तूँ,

तूँ बनकर सूर्य प्रकाश करे,
कहीं शीतल चाँद का रूप धरे,
तारों में तेरा रूप सुघर,
तट नीर तरंग में तूँ ही तूँ,
हर रूप...........

कहीं पर्वत पेड़ समुद्र बना,
तूँ वीज  बना बन जीव जना ,
कहीं ,शीत पवन बनकर के बहे,
बस मीन बिहंग में तूँ ही तूँ,
हर रुप.....

तेरा सात स्वरों में है रूप मधुर,
बन कृष्ण धरे मुरली को अधर,
राजेंन्द्र कहे है परम् पिता,
मेरे अंग में संग में तूँ ही तूँ,
हर रूप.........

गीतकार एवं स्वर -राजेन्द्र प्रसाद सोनी



har roop me rang me dhang me tu

har roop rang me dhang me toon
naharon nadiyon me tarang me toon,
hai param pita jagadeesh hare
prbhu prem umang me toon hi toon


toon banakar soory prakaash kare,
kaheen sheetal chaand ka roop dhare,
taaron me tera roop sughar,
tat neer tarang me toon hi toon,
har roop...

kaheen parvat ped samudr bana,
toon veej  bana ban jeev jana ,
kaheen ,sheet pavan banakar ke bahe,
bas meen bihang me toon hi toon,
har rup...

tera saat svaron me hai roop mdhur,
ban krishn dhare murali ko adhar,
raajenndr kahe hai param pita,
mere ang me sang me toon hi toon,
har roop...

har roop rang me dhang me toon
naharon nadiyon me tarang me toon,
hai param pita jagadeesh hare
prbhu prem umang me toon hi toon




har roop me rang me dhang me tu Lyrics





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