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ब्रह्मादी देवो द्वारा स्तुति - रामचरितमानस से

ब्रह्मादी देवो द्वारा स्तुति - रामचरितमानस से

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनं योगिभिध्यार्नगम्यम्,
वंदे विष्णुम् भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्,

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता,
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता,
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोइ,
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोइ,

जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा,
अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा,
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगत मोह मुनिबृंदा,
निसि बासर ध्यावहिं गुनगन गावहिं जयति सच्चिदानंदा

जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा,
सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा,
जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बरूथा,
मन बच क्रम बानी छाङि सयानी सरन सकल सूरजूथा,

सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहिं जाना,
जेहिं दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवहु सो श्रीभगवउाना,
भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा,
मुनि सिध्द सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा,

जानि सभय सुरभूमि सुनि बचन समेत सनेह,
गगनगिरा गंभीर भइ हरनि सोक संदेह,



jai jai surnayak jan sukhdayak prantpaal bhagvant

brahamaadi devo dvaara stuti ramcharitamaanas se

shaantaakaaran bhujagshayanan padmanaabhan sureshan,
vishvaadhaaran gaganasadarshan meghavarnam shubhaangam
lakshmeekaantam kamalanayanan yogibhidhayaarnagamyam,
vande vishnum bhavbhayaharan sarvalokaikanaatham

jay jay suranaayak jan sukhadaayak pranatapaal bhagavanta,
go dvij hitakaari jay asuraari sindhusuta priy kanta,
paalan sur dharani adbhut karani maram n jaani koi,
jo sahaj kripaala deenadayaala karu anugrah soi

jay jay abinaasi sab ghat baasi byaapak paramaananda,
abigat goteetan charit puneetan maayaarahit mukunda,
jehi laagi biraagi ati anuraagi bigat moh munibaranda,
nisi baasar dhayaavahin gunagan gaavahin jayati sachchidaanandaa

jehin sarashti upaai tribidh banaai sang sahaay n dooja,
so karu aghaari chint hamaari jaani bhagati n pooja,
jo bhav bhay bhanjan muni man ranjan ganjan bipati barootha,
man bch kram baani chhaani sayaani saran sakal soorajoothaa

saarad shruti sesha rishay asesha ja kahun kou nahin jaana,
jehin deen piaare bed pukaare dravahu so shreebhagavuaana,
bhav baaridhi mandar sab bidhi sundar gunamandir sukhapunja,
muni sidhad sakal sur param bhayaatur namat naath pad kanjaa

jaani sbhay surbhoomi suni bchan samet saneh,
gaganagira ganbheer bhi harani sok sandeh

brahamaadi devo dvaara stuti ramcharitamaanas se



jai jai surnayak jan sukhdayak prantpaal bhagvant Lyrics





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