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कोई पीवो राम रस प्यासा

कोई पीवो राम रस प्यासा, कोई पीवो राम रस प्यासा
गगन मण्डल में अली झरत है, उनमुन के घर बासा

शीश उतार धरै गुरु आगे, करै न तन की आशा
एसा मँहगा अमी बीकर है, छः ऋतु बारह मासा

मोल करे सो छीके दूर से, तोलत छूटे बासा
जो पीवे सो जुग जुग जीवे, कब हूँ न होय बिनासा

एंही रस काज भये नृप योगी, छोडया भोग बिलासा
सहज सिंहासन बैठे रहता, भस्ती रमाते उदासा

गोरखनाथ, भरथरी पिया, सो ही कबीर अम्यासा

गुरु दादू परताप कछुयक पाया सुन्दर दासा



koi peewe ram ras pyaasa

koi peevo ram ras pyaasa, koi peevo ram ras pyaasaa
gagan mandal me ali jharat hai, unamun ke ghar baasaa


sheesh utaar dharai guru aage, karai n tan ki aashaa
esa manhaga ami beekar hai, chhah ritu baarah maasaa

mol kare so chheeke door se, tolat chhoote baasaa
jo peeve so jug jug jeeve, kab hoon n hoy binaasaa

enhi ras kaaj bhaye narap yogi, chhodaya bhog bilaasaa
sahaj sinhaasan baithe rahata, bhasti ramaate udaasaa

gorkhanaath, bharthari piya, so hi kabeer amyaasaa

koi peevo ram ras pyaasa, koi peevo ram ras pyaasaa
gagan mandal me ali jharat hai, unamun ke ghar baasaa




koi peewe ram ras pyaasa Lyrics





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