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माता ब्रह्चारिणी व्रत कथा

नवरात्री पर्व के दूसरे दिन नवदुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है।
मां ब्रहाम्चारिणी ज्ञान तथा वैराग्य की अष्टिधात्री हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की कथा पढने एवं सुनने से कठिन समय में भक्तों को संबल मिलता है।

कहा जाता है कि हिमालय के घर पुत्री के रूप में अवतरित मां ब्रह्मचारिणी ने नारदजी के आदेशानुसार भगवान् शंकर को पति रूप में पाने के लिए तपस्वरूप एक हजार वर्ष भोजन के रूप में केवल फ़ल-फूल ग्रहण किये तथा एक सौ वर्ष तक केवल शाक पर निर्वाह किया।
मां ब्र्हम्चारिणी इतने पर ही अपनी तपस्या को विराम नहीं दिया बल्कि तीन हजार वर्ष तक केवल टूटे हुए बिल्व पत्र खा कर गुजारा किया।
बाद में इनका त्याग कर हजारों वर्षों तक निर्जल एवं निराहार तपस्या की।

भगवान् शंकर को पाने के लिए की गई इतनी विकट एवं कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर कृषकाय होगया है।
देवता, ऋषिगण, इत्यादि महापुरुषों ने मां ब्र्हम्चारिणी के तप की सराहना इसको अभूतपूर्व बताया। सभी ने प्रसन्न होकर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इतनी कठिन तपस्या तो किसी ने भी नहीं की है।
आपकी सभी मनोकामनायें पूरी होंगी तथा भगवान् चंद्रमौली शिवजी आपको पत्नी के रूप में वरण करेंगे। आपकी तपस्या सफल रही है,
आप अपने पिता के साथ घर चली जायें। माँ ब्रहमचारिणी की इस कथा से प्रेरणा मिलती है कि जीवन के कठिन क्षणों में मन को विचलित नहीं करना चाहिए।
मां ब्रहमचारिणी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है।


दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।

@ ललित गेरा (



mata brahmacharini vart katha

navaraatri parv ke doosare din navadurga ke doosare svaroop maan brahamchaarini ka poojan kiya jaata hai.
maan brahaamchaarini gyaan ttha vairaagy ki ashtidhaatri hain.
maan brahamchaarini ki ktha pdhane evan sunane se kthin samay me bhakton ko sanbal milata hai.

kaha jaata hai ki himaalay ke ghar putri ke roop me avatarit maan brahamchaarini ne naaradaji ke aadeshaanusaar bhagavaan shankar ko pati roop me paane ke lie tapasvaroop ek hajaar varsh bhojan ke roop me keval pahal-phool grahan kiye ttha ek sau varsh tak keval shaak par nirvaah kiyaa.
maan brhamchaarini itane par hi apani tapasya ko viram nahi diya balki teen hajaar varsh tak keval toote hue bilv patr kha kar gujaara kiyaa.
baad me inaka tyaag kar hajaaron varshon tak nirjal evan niraahaar tapasya ki.

bhagavaan shankar ko paane ke lie ki gi itani vikat evan kthin tapasya ke kaaran devi ka shareer krishakaay hogaya hai.
devata, rishigan, ityaadi mahaapurushon ne maan brhamchaarini ke tap ki saraahana isako abhootapoorv bataayaa. sbhi ne prasann hokar shubhakaamanaaen dete hue kaha ki itani kthin tapasya to kisi ne bhi nahi ki hai.
aapaki sbhi manokaamanaayen poori hongi ttha bhagavaan chandramauli shivaji aapako patni ke roop me varan karenge. aapaki tapasya sphal rahi hai,
aap apane pita ke saath ghar chali jaayen. ma brahamchaarini ki is ktha se prerana milati hai ki jeevan ke kthin kshnon me man ko vichalit nahi karana chaahie.
maan brahamchaarini ki kripa se sarv siddhi praapt hoti hai.


ddhaana karapadmaabhyaamakshmaalaakamandaloo .
devi praseedatu mayi brahamchaarinyanuttama ..

@ lalit gera (







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