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मेरे मन की उडी पतंग पकड़ लो श्याम पतंग की डोर,
अटके न भटके कही उड़े ये ब्रजमंडल की और,

मेरे मन की उडी पतंग पकड़ लो श्याम पतंग की डोर,
अटके न भटके कही उड़े ये ब्रजमंडल की और,

सच्चे कर्मो की चरखी में भाव का भर के धागा,
जिधर तू चाहे उधर तू उदा ले इतना ही हमने माँगा,
इसे काटना पाये कोई जितना लगा ले जोर,
मेरे मन की उडी पतंग पकड़ लो श्याम पतंग की डोर,

अरमानो के अंबर में उची उड़ती जाए,
कही न उजले कही भी न टकराये,
श्याम तेरे ही भरोसे माजा दिया छोड़,
मेरे मन की उडी पतंग पकड़ लो श्याम पतंग की डोर,

पेच लड़ावे कोई भी कितना हवा में उड़ती जाये,
श्याम नाम का पका धागा कोई काट न पाए,
पारस पतंग उड़ उड़ कर चली वृद्धावन की और,
मेरे मन की उडी पतंग पकड़ लो श्याम पतंग की डोर,



mere man ki udi patang pakad lo shyam patang ki dor

mere man ki udi patang pakad lo shyaam patang ki dor,
atake n bhatake kahi ude ye brajamandal ki aur


sachche karmo ki charkhi me bhaav ka bhar ke dhaaga,
jidhar too chaahe udhar too uda le itana hi hamane maaga,
ise kaatana paaye koi jitana laga le jor,
mere man ki udi patang pakad lo shyaam patang ki dor

aramaano ke anbar me uchi udati jaae,
kahi n ujale kahi bhi n takaraaye,
shyaam tere hi bharose maaja diya chhod,
mere man ki udi patang pakad lo shyaam patang ki dor

pech ladaave koi bhi kitana hava me udati jaaye,
shyaam naam ka paka dhaaga koi kaat n paae,
paaras patang ud ud kar chali vriddhaavan ki aur,
mere man ki udi patang pakad lo shyaam patang ki dor

mere man ki udi patang pakad lo shyaam patang ki dor,
atake n bhatake kahi ude ye brajamandal ki aur




mere man ki udi patang pakad lo shyam patang ki dor Lyrics





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