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सखी बिनु राधा कछु भावत नाही,

सखी बिनु राधा कछु भावत नाही,

सखी बिनु राधा कछु भावत नाही,
कंचन भवन कनक सिंघासन,
नैनन रचिक सुहावत नाही,
सखी बिनु राधा कछु भावत नाही.......

अधरन मुरली राग न छेड़े,
मोहें लहर जमुन हर्षावत नाही,
सखी बिनु राधा कछु भावत नाही...

जल बिनु मीन जस तड़पत है हियँ,
सखी समझ मोहें कछु आवत नाही,
सखी बिनु राधा कछु भावत नाही.........

रचना आभार: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी



sakhi binu radha kuch bhavat naahi

skhi binu radha kchhu bhaavat naahee

skhi binu radha kchhu bhaavat naahi,
kanchan bhavan kanak singhaasan,
nainan rchik suhaavat naahi,
skhi binu radha kchhu bhaavat naahi...

adharan murali raag n chhede,
mohen lahar jamun harshaavat naahi,
skhi binu radha kchhu bhaavat naahi...

jal binu meen jas tadapat hai hiyan,
skhi samjh mohen kchhu aavat naahi,
skhi binu radha kchhu bhaavat naahi...

skhi binu radha kchhu bhaavat naahee



sakhi binu radha kuch bhavat naahi Lyrics





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