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तुम्हें ढूढ़े कहाँ गोपाल,
तुम तो खोये कुंज गलिन में...

तुम्हें ढूढ़े कहाँ गोपाल,
तुम तो खोये कुंज गलिन में...


पांव में पायल के स्वर,
न मुरली की ताने,
न गोपी हैं न ग्वाल,
तुम तो खोये कुंज गलिन में...

न कोयल की कूक सुनावे,
न झरनों का झर झर,
न दीखे कदम की डाल,
तुम तो खोये कुंज गलिन में...

न यमुना तट न वंशी वट,
न गोकुल का दीखे पनघट,
न कोई तलैया ताल,
तुम तो खोये कुंज गलिन में...

न राधा न ललिता दीखे,
न माखन की मटकी,
नराजेन्द्रनंद का लाल,
तुम तो खोये कुंज गलिन में...

तुम्हें ढूढ़े कहाँ गोपाल,
तुम तो खोये कुंज गलिन में...




tumhen dhoodahe kahaan gopaal,
tum to khoye kunj galin me...

tumhen dhoodahe kahaan gopaal,
tum to khoye kunj galin me...


paanv me paayal ke svar,
n murali ki taane,
n gopi hain n gvaal,
tum to khoye kunj galin me...

n koyal ki kook sunaave,
n jharanon ka jhar jhar,
n deekhe kadam ki daal,
tum to khoye kunj galin me...

n yamuna tat n vanshi vat,
n gokul ka deekhe panghat,
n koi talaiya taal,
tum to khoye kunj galin me...

n radha n lalita deekhe,
n maakhan ki mataki,
naraajendranand ka laal,
tum to khoye kunj galin me...

tumhen dhoodahe kahaan gopaal,
tum to khoye kunj galin me...








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