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सजाये खुब मिली मोहन से दिल लगाने की,
वो क्या फिरे हमसे, नज़रे फिरी ज़मानें की,

सजाये खुब मिली मोहन से दिल लगाने की,
वो क्या फिरे हमसे, नज़रे फिरी ज़मानें की,
सजाये खुब मिली...


हमारी उनकीं मौहब्बत में, है फर्क इतना,
उन्हें तो रूठनें की आदत है, हमें मनानें की,
सजाये खुब मिली...

हमनें तो की थी तम्मनां, रिहाई की,
बुलंन्द हो गई दिवारे क़ैद ख़ानें की,
सजाये खुब मिली...

निकल के हाथ ये दोनों, कफ़न से कह देंगे,
हमें तो रह गई, हसरत गले लगानें की,
सजाये खुब मिली...

सजाये खुब मिली मोहन से दिल लगाने की,
वो क्या फिरे हमसे, नज़रे फिरी ज़मानें की,
सजाये खुब मिली...


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sajaaye khub mili mohan se dil lagaane ki,
vo kya phire hamase, nazare phiri zamaanen ki,

sajaaye khub mili mohan se dil lagaane ki,
vo kya phire hamase, nazare phiri zamaanen ki,
sajaaye khub mili...


hamaari unakeen mauhabbat me, hai phark itana,
unhen to roothanen ki aadat hai, hame manaanen ki,
sajaaye khub mili...

hamanen to ki thi tammanaan, rihaai ki,
bulannd ho gi divaare kaid kahaanen ki,
sajaaye khub mili...

nikal ke haath ye donon, kapahan se kah denge,
hame to rah gi, hasarat gale lagaanen ki,
sajaaye khub mili...

sajaaye khub mili mohan se dil lagaane ki,
vo kya phire hamase, nazare phiri zamaanen ki,
sajaaye khub mili...








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