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भोग लगे भगवान




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प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥

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हाथ थमा कर बाबा को,
मन में रख विश्वाश,
अकेली गई थी ब्रिज में कोई नही था मेरे
मोर पंख वाला मिल गया...
गुरु बिन ज्ञान, गंगा बिन तीरथ रामा,
बिन रे एकादशी के व्रत काहे को रामा,
ये जग झुठा सपनां है,
कोई नहीं यहां अपना है,
तीनों लोकों में है सबसे निराला,
वो कान्हा मेरे मन बसता,