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सजाये बैठे है महफिल,
होरही शाम आजाओ,

सजाये बैठे है महफिल,
होरही शाम आजाओ,
तुम्हारी ही कमी है साँवरे,
घनश्याम आ जाओ...


हजारों कोशिशें मैने कि,
तुमको बुलाने की,
कभी रोकर कभी गा कर,
ब्यथा अपनी सुनाने की,
मगर अब तक हरेक कोशिश हुई,
नाकाम आजाओ,
तुम्हारी ही कमी है साँवरे...

हमारे दिल की चाहत को जरा भी,
तुम ना गुनते हो,
बहुत देरी हुई,
क्यूँ नही फरियाद सुनते हो,
अगर रूठे हुए हो तो करु क्या,
कुछ तो बतलाओ,
तुम्हारी ही कमी है साँवरे...

सभी साथी और संबंधी,
तेरे स्वागत में आये है,
अकेला मैं नही प्यासा,
सभी पलकें बिछाये है,
तड़प सुनलो दिलों की दिल के ओ,
दिलदार आजाओ,
तुम्हारी ही कमी है साँवरे...

सजाये बैठे है महफिल,
होरही शाम आजाओ,
तुम्हारी ही कमी है साँवरे,
घनश्याम आ जाओ...




sajaaye baithe hai mahphil,
horahi shaam aajaao,

sajaaye baithe hai mahphil,
horahi shaam aajaao,
tumhaari hi kami hai saanvare,
ghanashyaam a jaao...


hajaaron koshishen maine ki,
tumako bulaane ki,
kbhi rokar kbhi ga kar,
bytha apani sunaane ki,
magar ab tak harek koshish hui,
naakaam aajaao,
tumhaari hi kami hai saanvare...

hamaare dil ki chaahat ko jara bhi,
tum na gunate ho,
bahut deri hui,
kyoon nahi phariyaad sunate ho,
agar roothe hue ho to karu kya,
kuchh to batalaao,
tumhaari hi kami hai saanvare...

sbhi saathi aur sanbandhi,
tere svaagat me aaye hai,
akela mainnahi pyaasa,
sbhi palaken bichhaaye hai,
tadap sunalo dilon ki dil ke o,
diladaar aajaao,
tumhaari hi kami hai saanvare...

sajaaye baithe hai mahphil,
horahi shaam aajaao,
tumhaari hi kami hai saanvare,
ghanashyaam a jaao...




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