Download Bhajan as .txt File Download Bhajan as IMAGE File

हम आज तुम्हें श्री चित्रगुप्त की कथा सुनाते हैं,
क्या कहते वेद पुराण सभी प्रमाण बताते हैं,

हम आज तुम्हें श्री चित्रगुप्त की कथा सुनाते हैं,
क्या कहते वेद पुराण सभी प्रमाण बताते हैं,
हम गाथा गाते हैं,
हम आज तुम्हें श्री चित्रगुप्त की कथा सुनाते हैं,
क्या कहते वेद पुराण सभी प्रमाण बताते हैं,
हम गाथा गाते हैं,
जय चित्रगुप्त भगवान जय जय हे दया निधान॥


परम पिता ब्रह्मा ने तीसरा जब संकल्प लिया,
दस मानस पुत्रों को उन्होंने तब था जन्म दिया,
नारद जी को छोड़ उन्होंने नौ का विवाह किया,
इन्हीं के द्वारा सृष्टि में जीवन निर्माण हुआ,
कालांतर में देव दैत्य दानव मानव जन्मे,
बड़ी हुई सृष्टि जब तो ब्रह्मा सोचे मन में,
कैसे ज्ञान मिले इनको सद्गुण और नैतिकता,
इसीलिए ब्रह्मा जी ने तब फिर से ध्यान किया,
ध्यान से प्रगटीं मां सरस्वती शीश नवाते हैं,
क्या कहते वेद पुराण...

मां सरस्वती के अथक प्रयास भी सारे विफल हुए,
ना उपजे सद्गुण सद्भाव सुर मुनि विकल हुए,
परम पिता ब्रह्मा जी ने फिर तप कई वर्ष किया,
चित्त मे चित्र गुप्त था अब तक उसे साकार किया,
ब्रह्मा जी के मन में प्रभु की छवि जो गुप्त रही,
उसी छवि को सम्मुख पाकर चिंता मुक्त हुई,
नाम दिया ब्रह्मा जी ने श्री चित्रगुप्त उनको,
धर्मराज यमराज यही कहा न्यायधीश इनको,
न्याय विधान है  न्यायकर्ता सद ग्रंथ बताते हैं,
क्या कहते वेद पुराण...

मात सरस्वती ममता वश जब दंड न दे पाईं,
जन्म हुआ श्री चित्रगुप्त का माता हर्षाईं,
पद्म पुराण मेजो वर्णित हम प्रस्तुत करते हैं,
पाप पुण्य का लेखन सारा चित्रगुप्त करते हैं,
चित्रगुप्त ही धर्मराज हैं और यही यमराज,
दंड भी दे और पुरस्कार भी दोनों इनके काज,
पूजा इन की  नित करते जो करते इनका ध्यान,
सुख समृद्धि वैभव दे करते सबका कल्याण,
जग को पाप के सागर से  ये पार लगाते हैं,
क्या कहते वेद पुराण...

ज्ञान की ज्योति जगाते हैं ये अंधकार हरते,
सद्बुद्धि सत्कर्म ये देते जग को अभय करते,
यह अभेद अखंड ज्योति से पूरण ईश्वर हैं,
रिद्धि सिद्धि दाता हैं  जग के ये  परमेश्वर हैं,
वेदों में इनकी श्रद्धा और भक्ति का दर्शन है,
कमलनयन और श्याम वर्ण को मेरा वंदन है,
किया विचारविमर्श इन्होंने सरस्वती मैया से,
ब्रह्म नाम पर ब्राह्मी लिपि का जन्म हुआ इनसे,
लिपि लेखन विज्ञान के ये दाता कहलाते हैं,
क्या कहते वेद पुराण...

धर्मराज श्री चित्रगुप्त जी ने दो विवाह किए,
क्षत्रिय कुल और ब्राह्मण कुल दोनों में ये ब्याहे,
क्षत्रिय विश्व भान के बेटे श्राद्ध देव मुनि,
श्राद्ध देव की पुत्री सूर्य दक्षिणा नंदिनी,
माता नंदिनी चार पुत्रों की माता कहलायीं,
भानु विभानु विश्वभानु वीर्यभानु जन्माई,
ब्राह्मण कुल के कश्यप ऋषि के पोते सुषर्मा,
इनकी पुत्री इरावती से ब्याहे प्रभु धर्मा,
मां इरावती से आठ पुत्र जग में आ जाते हैं,
क्या कहते वेद पुराण...

भानु विभानु विश्वभानु और वीर्यभानु भाई,
इन चारों को इस जग में माता नंदिनी लाई,
चारु सुचारू चित्र चित्रचारु चारुण हिमवान ,
चारुस्त मतिभान  ये आठों इरावती के प्राण,
दोनों माताओं से बारह पुत्र मिले प्रभु को,
ये ही कायस्थ कहलाते बुद्धि दे जग को,
नाग वासुकी के यह बारह पुत्र दामाद बने,
नागवंश से कायस्थों के यूं संबंध बने,
नागवंश ननिहाल हमारा कायस्थ बताते हैं,
क्या कहते वेद पुराण...

रघुवर ने जब सोचा रावण का वध करने को,
आज्ञा ली श्री चित्रगुप्त से आगे बढ़ने को,
पाप कर्म होगा मुझसे यह ब्राह्मण की हत्या,
क्षमा मांगने चित्रगुप्त से राम ने यज्ञ किया,
न्यायकर्ता श्री चित्रगुप्त ने पाप से मुक्ति  दी,
पाप मुक्त वह प्राणी हो जिसने भी भक्ति की,
सुर नर मुनि इनके सेवक इनको सब ध्याते हैं,
राजा यह यमपुरी के यह यमराज कहाते हैं,
दंड विधान से मुक्त है वों जो शरण में आते हैं,
क्या कहते वेद पुराण...

श्री संजीव को चित्रगुप्त जी से आदेश मिला,
मोह माया जबकि थोड़ी प्रभु का आशीष मिला,
जगत के न्यायाधीश प्रभु की पीठ बनाई है,
उसका ज्ञान बढ़ेगा जिसने लेखनी पाई है,
पीठ प्रभु की पीड़ा हरती जन मन सुखदाई,
ज्ञान दायिनी प्रतिपालक दे प्रभु की  सेवकाई,
पूर्व जन्म के पाप के कारण जो दुख पाते हैं,
पाप मुक्त होते वो जो इस पीठ पर आते हैं,
पीठ के पीठाधीश्वर श्री संजीव कहाते हैं,
क्या कहते वेद पुराण...

हम आज तुम्हें श्री चित्रगुप्त की कथा सुनाते हैं,
क्या कहते वेद पुराण सभी प्रमाण बताते हैं,
हम गाथा गाते हैं,
हम आज तुम्हें श्री चित्रगुप्त की कथा सुनाते हैं,
क्या कहते वेद पुराण सभी प्रमाण बताते हैं,
हम गाथा गाते हैं,
जय चित्रगुप्त भगवान जय जय हे दया निधान॥




ham aaj tumhen shri chitrgupt ki ktha sunaate hain,
kya kahate ved puraan sbhi pramaan bataate hain,

ham aaj tumhen shri chitrgupt ki ktha sunaate hain,
kya kahate ved puraan sbhi pramaan bataate hain,
ham gaatha gaate hain,
ham aaj tumhen shri chitrgupt ki ktha sunaate hain,
kya kahate ved puraan sbhi pramaan bataate hain,
ham gaatha gaate hain,
jay chitrgupt bhagavaan jay jay he daya nidhaan..


param pita brahama ne teesara jab sankalp liya,
das maanas putron ko unhonne tab tha janm diya,
naarad ji ko chhod unhonne nau ka vivaah kiya,
inheen ke dvaara sarashti me jeevan nirmaan hua,
kaalaantar me dev daity daanav maanav janme,
badi hui sarashti jab to brahama soche man me,
kaise gyaan mile inako sadgun aur naitikata,
iseelie brahama ji ne tab phir se dhayaan kiya,
dhayaan se pragateen maan sarasvati sheesh navaate hain,
kya kahate ved puraan...

maan sarasvati ke athak prayaas bhi saare viphal hue,
na upaje sadgun sadbhaav sur muni vikal hue,
param pita brahama ji ne phir tap ki varsh kiya,
chitt me chitr gupt tha ab tak use saakaar kiya,
brahama ji ke man me prbhu ki chhavi jo gupt rahi,
usi chhavi ko sammukh paakar chinta mukt hui,
naam diya brahama ji ne shri chitrgupt unako,
dharmaraaj yamaraaj yahi kaha nyaaydheesh inako,
nyaay vidhaan hai  nyaayakarta sad granth bataate hain,
kya kahate ved puraan...

maat sarasvati mamata vsh jab dand n de paaeen,
janm hua shri chitrgupt ka maata harshaaeen,
padm puraan mejo varnit ham prastut karate hain,
paap puny ka lekhan saara chitrgupt karate hain,
chitrgupt hi dharmaraaj hain aur yahi yamaraaj,
dand bhi de aur puraskaar bhi donon inake kaaj,
pooja in ki  nit karate jo karate inaka dhayaan,
sukh samaraddhi vaibhav de karate sabaka kalyaan,
jag ko paap ke saagar se  ye paar lagaate hain,
kya kahate ved puraan...

gyaan ki jyoti jagaate hain ye andhakaar harate,
sadbuddhi satkarm ye dete jag ko abhay karate,
yah abhed akhand jyoti se pooran eeshvar hain,
riddhi siddhi daata hain  jag ke ye  parameshvar hain,
vedon me inaki shrddha aur bhakti ka darshan hai,
kamalanayan aur shyaam varn ko mera vandan hai,
kiya vichaaravimarsh inhonne sarasvati maiya se,
braham naam par braahami lipi ka janm hua inase,
lipi lekhan vigyaan ke ye daata kahalaate hain,
kya kahate ved puraan...

dharmaraaj shri chitrgupt ji ne do vivaah kie,
kshtriy kul aur braahaman kul donon me ye byaahe,
kshtriy vishv bhaan ke bete shraaddh dev muni,
shraaddh dev ki putri soory dakshina nandini,
maata nandini chaar putron ki maata kahalaayeen,
bhaanu vibhaanu vishvbhaanu veerybhaanu janmaai,
braahaman kul ke kashyap rishi ke pote susharma,
inaki putri iraavati se byaahe prbhu dharma,
maan iraavati se aath putr jag me a jaate hain,
kya kahate ved puraan...

bhaanu vibhaanu vishvbhaanu aur veerybhaanu bhaai,
in chaaron ko is jag me maata nandini laai,
chaaru suchaaroo chitr chitrchaaru chaarun himavaan ,
chaarust matibhaan  ye aathon iraavati ke praan,
donon maataaon se baarah putr mile prbhu ko,
ye hi kaayasth kahalaate buddhi de jag ko,
naag vaasuki ke yah baarah putr daamaad bane,
naagavansh se kaayasthon ke yoon sanbandh bane,
naagavansh nanihaal hamaara kaayasth bataate hain,
kya kahate ved puraan...

rghuvar ne jab socha raavan ka vdh karane ko,
aagya li shri chitrgupt se aage badahane ko,
paap karm hoga mujhase yah braahaman ki hatya,
kshma maangane chitrgupt se ram ne yagy kiya,
nyaayakarta shri chitrgupt ne paap se mukti  di,
paap mukt vah praani ho jisane bhi bhakti ki,
sur nar muni inake sevak inako sab dhayaate hain,
raaja yah yamapuri ke yah yamaraaj kahaate hain,
dand vidhaan se mukt hai von jo sharan me aate hain,
kya kahate ved puraan...

shri sanjeev ko chitrgupt ji se aadesh mila,
moh maaya jabaki thodi prbhu ka aasheesh mila,
jagat ke nyaayaadheesh prbhu ki peeth banaai hai,
usaka gyaan badahega jisane lekhani paai hai,
peeth prbhu ki peeda harati jan man sukhadaai,
gyaan daayini pratipaalak de prbhu ki  sevakaai,
poorv janm ke paap ke kaaran jo dukh paate hain,
paap mukt hote vo jo is peeth par aate hain,
peeth ke peethaadheeshvar shri sanjeev kahaate hain,
kya kahate ved puraan...

ham aaj tumhen shri chitrgupt ki ktha sunaate hain,
kya kahate ved puraan sbhi pramaan bataate hain,
ham gaatha gaate hain,
ham aaj tumhen shri chitrgupt ki ktha sunaate hain,
kya kahate ved puraan sbhi pramaan bataate hain,
ham gaatha gaate hain,
jay chitrgupt bhagavaan jay jay he daya nidhaan..








Bhajan Lyrics View All

वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥

New Bhajan Lyrics View All

सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
द्वारे खड़ा है बढ़िया पालना ले लो
बालाजी का मंदिर ऊपर सोने की छतरी,
छतरी में लगा टेलीफोन बजरंग बालाजी...
बड़े नसीब से होते हैं, तेरे दरबार के
बाबा नसीब से होते हैं, तेरे दरबार के
लगी भगतन की भीड़ अपार, माई विसर्जन में,
बहे असुवन की लंबी धार, माई विसर्जन में,