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हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा...

हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा...

सुख सम्पतीं सब त्यागी मन की,
प्रभु चरनंन अनुरागा,
हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा...

जो माया के म्रग बन डोले,
हरि अति दुर ही भागा,
हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा...

सुख के कारण सब बिसराये,
मन से सब सुख त्यागा,
हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा...

प्रभु के प्रेम का पागल हुं मैं,
मन चरणों में लागा,
हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा...

हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा...



hari se kunteen nen dukh maangaa...

hari se kunteen nen dukh maangaa...

sukh sampateen sab tyaagi man ki,
prbhu charanann anuraaga,
hari se kunteen nen dukh maangaa...

jo maaya ke mrag ban dole,
hari ati dur hi bhaaga,
hari se kunteen nen dukh maangaa...

sukh ke kaaran sab bisaraaye,
man se sab sukh tyaaga,
hari se kunteen nen dukh maangaa...

prbhu ke prem ka paagal hun main,
man charanon me laaga,
hari se kunteen nen dukh maangaa...

hari se kunteen nen dukh maangaa...







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