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मेरे रोम में कान्हा

मोहे हुक लगी दर्शन की दर्शन कैसे पाउगी
मेरे रोम रोम में कान्हा दर्शन कैसे पाउंगी,
मोहे हुक लगी दर्शन की

कान्हा बंसी मधुर बजावे मेरे मन का चैन चुरावे,
सुध बुध खो के बैठी कान्हा दर्शन कैसे पाउगी
मोहे हुक लगी दर्शन की .....

सांवली सूरत मन में समाये
मोहनी मूरत मन को भाये,
कान्हा धुन में हुई मस्तानी दर्शन कैसे पाउगी
मोहे हुक लगी दर्शन की ......

साबुन से मैं मल के नहाई मन का मैल मैं धो न पाई,
मैंने जपी न मन की माला दर्शन कैसे पाउगी
मोहे हुक लगी दर्शन की ......



mere rom me kanha

mohe huk lagi darshan ki darshan kaise paaugee
mere rom rom me kaanha darshan kaise paaungi,
mohe huk lagi darshan kee


kaanha bansi mdhur bajaave mere man ka chain churaave,
sudh budh kho ke baithi kaanha darshan kaise paaugee
mohe huk lagi darshan ki ...

saanvali soorat man me samaaye
mohani moorat man ko bhaaye,
kaanha dhun me hui mastaani darshan kaise paaugee
mohe huk lagi darshan ki ...

saabun se mainmal ke nahaai man ka mail maindho n paai,
mainne japi n man ki maala darshan kaise paaugee
mohe huk lagi darshan ki ...

mohe huk lagi darshan ki darshan kaise paaugee
mere rom rom me kaanha darshan kaise paaungi,
mohe huk lagi darshan kee




mere rom me kanha Lyrics





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