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कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।

कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।
वन्दे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:।जो लोग सरस्वती के कठिन मंत्र का जप नहीं कर सक‍ते उनके लिए प्रस्तुत है मां सरस्वती का सरल अष्टाक्षर मंत्र। इस मंत्र का पाठ नित्य करने से विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है। यह मंत्र देवी सरस्वती का मूल मंत्र है : –* ‘शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।’ * श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा। * ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।– जब भी देवी सरस्वती की पूजा करें तथा भोग अर्पित करें तो इस मंत्र का जाप 108 बार अवश्य करें। यह मंत्र हर विद्यार्थी को परीक्षा दिलाने में और उनकी बुद्धि को पढ़ाई में एकाग्रता लाने का कार्य कर‍ता है।



Saraswati sloka

kotichandraprbhaamushtapushtashreeyuktavigrahaam.
vahanishuddhaan shukaadhaanaan veenaapustakamdhaarineem..
ratnasaarendranirmaananavbhooshanbhooshitaam.
supoojitaan suraganaibrahamavishnushivaadibhi:..
vande bhaktaya vandita ch muneendramanumaanavai:.jo log sarasvati ke kthin mantr ka jap nahi kar sakte unake lie prastut hai maan sarasvati ka saral ashtaakshr mantr. is mantr ka paath nity karane se vidya aur buddhi me vriddhi hoti hai. yah mantr devi sarasvati ka mool mantr hai : * shaarada shaaradaabhaumvadanaa. vadanaambuje.
sarvada sarvadaasmaakaman sannidhiman sannidhiman kriya too. * shreen hareen sarasvatyai svaahaa. * om hareen ain hareen sarasvatyai namah. jab bhi devi sarasvati ki pooja karen ttha bhog arpit karen to is mantr ka jaap 108 baar avashy karen. yah mantr har vidyaarthi ko pareeksha dilaane me aur unaki buddhi ko padahaai me ekaagrata laane ka kaary karta hai.







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रसिया को नार बनावो री रसिया को
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श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
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हम तुमको मन लेंगे
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
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सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
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जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
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मेरो मन है गयो लटा पटा।
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कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
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