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शब्द संभाल के बोलिये, शब्द के हाँथ न पाँव रे
एक शब्द औषद करे, एक शब्द करे घाव रे

शब्द संभाल के बोलिये, शब्द के हाँथ न पाँव रे
एक शब्द औषद करे, एक शब्द करे घाव रे

मुख से निकला शब्द तो, वापस फिर न आयेगा
दिल किसी का तोड़ के, तू भी तोह चैन न पायेगा
इस लिए कहते गुरु जी, शब्द का रखना ख्याल रे
एक शब्द औषद करे, एक शब्द करे घाव रे

कड़वा सच भाता न किसी को, मीठा करके बोलिये
गुरु की अमृतवाणी सुनकर, मुख से अमृत घोलिये
इस लिए कहते गुरु जी, मीठा सच महान है
एक शब्द औषद करे, एक शब्द करे घाव रे

मुख की मौन देवता बनाते, मन की मौन भगवान् रे
मौन से ही तुम अपने शब्द में भरो जान रे
इसी लिए कहते गुरु जी, मौन है महान रे,
एक शब्द औषद करे, एक शब्द करे घाव रे

ज्ञानी तो हर वक़्त ही मौन में रहता है
मुख से कुछ न कहते हुए भी सब कुछ वो कहता है
इस लिए कहते गुरु जी ज्ञानी है भगवान् रे



shabd sambhal ke boliye shabd ke hath na paanv re

shabd sanbhaal ke boliye, shabd ke haanth n paanv re
ek shabd aushad kare, ek shabd kare ghaav re


mukh se nikala shabd to, vaapas phir n aayegaa
dil kisi ka tod ke, too bhi toh chain n paayegaa
is lie kahate guru ji, shabd ka rkhana khyaal re
ek shabd aushad kare, ek shabd kare ghaav re

kadava sch bhaata n kisi ko, meetha karake boliye
guru ki amaratavaani sunakar, mukh se amarat gholiye
is lie kahate guru ji, meetha sch mahaan hai
ek shabd aushad kare, ek shabd kare ghaav re

mukh ki maun devata banaate, man ki maun bhagavaan re
maun se hi tum apane shabd me bharo jaan re
isi lie kahate guru ji, maun hai mahaan re,
ek shabd aushad kare, ek shabd kare ghaav re

gyaani to har vakat hi maun me rahata hai
mukh se kuchh n kahate hue bhi sab kuchh vo kahata hai
is lie kahate guru ji gyaani hai bhagavaan re
ek shabd aushad kare, ek shabd kare ghaav re

shabd sanbhaal ke boliye, shabd ke haanth n paanv re
ek shabd aushad kare, ek shabd kare ghaav re




shabd sambhal ke boliye shabd ke hath na paanv re Lyrics





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