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अब किसी महफ़िल में जाने की हमें फुर्सत नहीं,
दुनिया वालों को मनाने की हमें फुर्सत नहीं॥

अब किसी महफ़िल में जाने की हमें फुर्सत नहीं,
दुनिया वालों को मनाने की हमें फुर्सत नहीं॥


एक दिल है जिसमें मेरा बस गया है सांवरा,
अब कहीं दिल को लगाने की हमें फुर्सत नहीं,
अब किसी महफ़िल में...

एक जो आंखें हमारी मिल गई है श्याम से,
अब कहीं आंखें मिलाने की हमें फुर्सत नहीं,
अब किसी महफ़िल में...

एक् सर है झुक गया जो आप के दरबार में,
अब कहीं सर को झुकाने की हमें फुर्सत नहीं,
अब किसी महफ़िल में...

दर बदर की ठोकरें खाने से है क्या फायदा,
सांवरे के दर के जैसा और कोई दर नहीं,
अब किसी महफ़िल में...

अब किसी महफ़िल में जाने की हमें फुर्सत नहीं,
दुनिया वालों को मनाने की हमें फुर्सत नहीं॥


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ab kisi mahapahil me jaane ki hame phursat nahi,
duniya vaalon ko manaane ki hame phursat nahi..

ab kisi mahapahil me jaane ki hame phursat nahi,
duniya vaalon ko manaane ki hame phursat nahi..


ek dil hai jisame mera bas gaya hai saanvara,
ab kaheen dil ko lagaane ki hame phursat nahi,
ab kisi mahapahil me...

ek jo aankhen hamaari mil gi hai shyaam se,
ab kaheen aankhen milaane ki hame phursat nahi,
ab kisi mahapahil me...

ek sar hai jhuk gaya jo aap ke darabaar me,
ab kaheen sar ko jhukaane ki hame phursat nahi,
ab kisi mahapahil me...

dar badar ki thokaren khaane se hai kya phaayada,
saanvare ke dar ke jaisa aur koi dar nahi,
ab kisi mahapahil me...

ab kisi mahapahil me jaane ki hame phursat nahi,
duniya vaalon ko manaane ki hame phursat nahi..








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