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आये नहीं घनश्याम हो साडी सर से सरकी,
सरकी सरकी पांचो वर की आस लगी है मोहे गिरधर की,

आये नहीं घनश्याम हो साडी सर से सरकी,
सरकी सरकी पांचो वर की आस लगी है मोहे गिरधर की,
आये नहीं घनश्याम जो साडी सर से सरकी...


पाँचों पति सभा में बैठे जैसे बैठी नारी,
द्रोणाचार्य पितामह बैठे नीचे गर्दन डारी,
अपनों ने मुख मोड़ लिया है मोहे केवल आस तिहारी,
आये नहीं घनश्याम जो साडी सर से सरकी...

याद करो उस दिन की मोहन अंगुली कटी तिहारी,
फाड़ के साडी अपने तन की बाँधी तुरंत मुरारी,
बेगे पधारो नाथ हरी तुम लुट ना जाए लाज हमारी,
आये नहीं घनश्याम जो साडी सर से सरकी...

भरी सभा में एकली थारी मैं किस्मत की मारी,
दुशासन मेरी साडी खींचे हुई शरम से मैं पानी,
पूर्ण रूप से किया समर्पण आओ ना आओ अब मर्ज़ी तिहारी,
आ ही गए घनश्याम जो साडी सर से सरकी...

आये नहीं घनश्याम हो साडी सर से सरकी,
सरकी सरकी पांचो वर की आस लगी है मोहे गिरधर की,
आये नहीं घनश्याम जो साडी सर से सरकी...




aaye nahi ghanashyaam ho saadi sar se saraki,
saraki saraki paancho var ki aas lagi hai mohe girdhar ki,

aaye nahi ghanashyaam ho saadi sar se saraki,
saraki saraki paancho var ki aas lagi hai mohe girdhar ki,
aaye nahi ghanashyaam jo saadi sar se saraki...


paanchon pati sbha me baithe jaise baithi naari,
dronaachaary pitaamah baithe neeche gardan daari,
apanon ne mukh mod liya hai mohe keval aas tihaari,
aaye nahi ghanashyaam jo saadi sar se saraki...

yaad karo us din ki mohan anguli kati tihaari,
phaad ke saadi apane tan ki baandhi turant muraari,
bege pdhaaro naath hari tum lut na jaae laaj hamaari,
aaye nahi ghanashyaam jo saadi sar se saraki...

bhari sbha me ekali thaari mainkismat ki maari,
dushaasan meri saadi kheenche hui sharam se mainpaani,
poorn roop se kiya samarpan aao na aao ab marzi tihaari,
a hi ge ghanashyaam jo saadi sar se saraki...

aaye nahi ghanashyaam ho saadi sar se saraki,
saraki saraki paancho var ki aas lagi hai mohe girdhar ki,
aaye nahi ghanashyaam jo saadi sar se saraki...








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