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काहे रोए यहाँ तेरा कोई नहीं,
किसको सुनाए यहाँ कोई नही,

काहे रोए यहाँ तेरा कोई नहीं,
किसको सुनाए यहाँ कोई नही,
काहे रोए यहाँ तेरा कोई नही...


लाख यतन कर जग रिश्तों के,
तेरा है तूझे कोई ना रोके,
एक पेड़ के पत्ते लाखों,
ले गई लुट के पवन के झोंके,
मेरा मेरा मत कर बन्दे,
हरि करे सो होए वही,
काहे रोए यहाँ तेरा कोई नही...

तू ही तेरा है परमेश्वर,
तुझसे बड़ा कोई ईश नही है,
खोज ले अपने मन के भीतर,
तुझसे परे जगदीश नहीं है,
जो मन अन्दर हरि को पावे,
जन्म जन्म तक खोए नही,
काहे रोए यहाँ तेरा कोई नही...

तुलसी मन में शबरी वन में,
जागे तब रघुनाथ मिले,
हो बैरागन मीरा जागी,
घट घट में प्रभु साथ मिले,
अबके ‘छोटू’ जाग जा ऐसे,
हरि मिलन तक सोए नही,
काहे रोए यहाँ तेरा कोई नही...

काहे रोए यहाँ तेरा कोई नहीं,
किसको सुनाए यहाँ कोई नही,
काहे रोए यहाँ तेरा कोई नही...




kaahe roe yahaan tera koi nahi,
kisako sunaae yahaan koi nahi,

kaahe roe yahaan tera koi nahi,
kisako sunaae yahaan koi nahi,
kaahe roe yahaan tera koi nahi...


laakh yatan kar jag rishton ke,
tera hai toojhe koi na roke,
ek ped ke patte laakhon,
le gi lut ke pavan ke jhonke,
mera mera mat kar bande,
hari kare so hoe vahi,
kaahe roe yahaan tera koi nahi...

too hi tera hai parameshvar,
tujhase bada koi eesh nahi hai,
khoj le apane man ke bheetar,
tujhase pare jagadeesh nahi hai,
jo man andar hari ko paave,
janm janm tak khoe nahi,
kaahe roe yahaan tera koi nahi...

tulasi man me shabari van me,
jaage tab rghunaath mile,
ho bairaagan meera jaagi,
ghat ghat me prbhu saath mile,
abake chhotoo jaag ja aise,
hari milan tak soe nahi,
kaahe roe yahaan tera koi nahi...

kaahe roe yahaan tera koi nahi,
kisako sunaae yahaan koi nahi,
kaahe roe yahaan tera koi nahi...








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