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नवयुग की नव गति नव लय हम,
साथ रहे हो कर निर्भय,

नवयुग की नव गति नव लय हम,
साथ रहे हो कर निर्भय,
मुक्त कंठ से दशो दिशा में,
गूँजे भारत माँ की जय।

स्वन्त्रता का अमृत उत्सव
जन गण मन का पर्व महान
याद आ रहे वीर सभी वे
हुए देश हित जो बलिदान
उनका कृतज्ञ वंदन करने का
महा पर्व है यह निश्चय
मुक्त कंठ से दशों दिशा में
गूँजे भारत माँ की जय।

घड़ी विकट थी कालरात्रि
वह पराधीनता लदी हुई
कितने कष्ट सहे माता ने
युग सामान व सदी गयी
15 अगस्त सन 1947
स्वतंत्र सूर्य था पुनः उदय
मुक्त कंठ से दशो दिशा में,
गूँजे भारत माँ की जय।

सजग सपूत समर्थ बनें हम
कभी सूर्य यह अस्त न हो
अमृत पुत्रो के रहते फिर
भारत माँ का त्रस्त न हो
यह स्वातन्त्र फले और फुले
सदा रहे अमृत अक्षय
मुक्त कंठ से दशो दिशा में,
गूँजे भारत माँ की जय।

नवयुग की नव गति नव लय हम,
साथ रहे हो कर निर्भय,
मुक्त कंठ से दशो दिशा में,
गूँजे भारत माँ की जय। नवयुग की नव गति नवलय हम ,
साध रहे होकर निर्भय।
मुक्तकंठ से  दसों -  दिशा में ,
गूँजे भारत माँ की जय।।

स्वतंत्रता का अमृत उत्सव ,
जनगणमन का पर्व महान।
याद आ रहे वीर सभी वे  ,
हुए देशहित जो बलिदान।।
उनका कृतज्ञ वंदन करने का
महापर्व है यह निश्चय।।
मुक्तकंठ से  दसों -  दिशा में  
गूँजे भारत माँ की जय।।

बड़ी विकट थी कालरात्रि वह
पराधीनता लदी हुई।
कितने कष्ट सहे माता ने
युग समान वे सदी गईं।।
पंद्रह अगस्त सन सैंतालिस
स्वातंत्र्य सूर्य था पुनः उदय।।
मुक्तकंठ से  दसों -  दिशा में  
गूँजे भारत माँ की जय।।

सजग सपूत समर्थ बनें हम
कभी सूर्य यह अस्त न हो।
अमृत पुत्रों के रहते फिर
भारत माता त्रस्त न हो।।
यह स्वातंत्र्य फले और फूले
सदा रहे अमृत अक्षय।।
मुक्तकंठ से  दसों -  दिशा में  
गूँजे भारत माँ की जय।।
रचना-गोपाल माहेश्वरी



navayug ki nav gati nav lay ham,
saath rahe ho kar nirbhay,
mukt kanth se dsho disha

navayug ki nav gati nav lay ham,
saath rahe ho kar nirbhay,
mukt kanth se dsho disha me,
goonje bhaarat ma ki jay.

svantrta ka amarat utsav
jan gan man ka parv mahaan
yaad a rahe veer sbhi ve
hue desh hit jo balidaan
unaka kritagy vandan karane ka
maha parv hai yah nishchay
mukt kanth se dshon disha me
goonje bhaarat ma ki jay.

ghadi vikat thi kaalaraatri
vah paraadheenata ladi hui
kitane kasht sahe maata ne
yug saamaan v sadi gayi
15 agast san 1947
svatantr soory tha punah uday
mukt kanth se dsho disha me,
goonje bhaarat ma ki jay.

sajag sapoot samarth banen ham
kbhi soory yah ast n ho
amarat putro ke rahate phir
bhaarat ma ka trst n ho
yah svaatantr phale aur phule
sada rahe amarat akshy
mukt kanth se dsho disha me,
goonje bhaarat ma ki jay.

navayug ki nav gati nav lay ham,
saath rahe ho kar nirbhay,
mukt kanth se dsho disha me,
goonje bhaarat ma ki jay. navayug ki nav gati navalay ham ,
saadh rahe hokar nirbhay.
muktakanth se  dason -  disha me ,
goonje bhaarat ma ki jay..

svatantrta ka amarat utsav ,
janaganaman ka parv mahaan.
yaad a rahe veer sbhi ve  ,
hue deshahit jo balidaan..
unaka kritagy vandan karane ka
mahaaparv hai yah nishchay..
muktakanth se  dason -  disha me  
goonje bhaarat ma ki jay..

badi vikat thi kaalaraatri vah
paraadheenata ladi hui.
kitane kasht sahe maata ne
yug samaan ve sadi geen..
pandrah agast san saintaalis
svaatantry soory tha punah uday..
muktakanth se  dason -  disha me  
goonje bhaarat ma ki jay..

sajag sapoot samarth banen ham
kbhi soory yah ast n ho.
amarat putron ke rahate phir
bhaarat maata trst n ho..
yah svaatantry phale aur phoole
sada rahe amarat akshy..
muktakanth se  dason -  disha me  
goonje bhaarat ma ki jay..
rchanaa-gopaal maaheshvaree







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