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हरि के बिना रे तेरी कैसे हो जाए मुक्ति,
राम बिना रे तेरी कैसे हो जाए मुक्ति,

हरि के बिना रे तेरी कैसे हो जाए मुक्ति,
राम बिना रे तेरी कैसे हो जाए मुक्ति,
कैसे हो जाए मुक्ति कैसे हो जाए मुक्ति,
हरि के बिना रे तेरी कैसे हो जाए मुक्ति।

बचपन तो हंस खेल गवाया,
तु पढा क्यों नावेद लिखी ना तूने तख्ती,
हरि के बिना रे तेरी कैसे हो जाए मुक्ति।

आई जवानी तो बड़ा मस्ताया,
तू खेला फुटबॉल बजाई तूने चुटकी,
हरि के बिना रे तेरी कैसे हो जाए मुक्ति।

आया बुढ़ापा तो बड़ा पछताया,
तू रोया सिर धुनके बात तेरी बिगड़ी,
हरि के बिना रे तेरी कैसे हो जाए मुक्ति।

आई जब रेल चढ़न नहीं पाया,
तू सोया चादर तान टिकट तेरी कट गई,
हरि के बिना रे तेरी कैसे हो जाए मुक्ति।

कहत कबीर सुनो भाई साधु,
तू आया खाली हाथ जाए ना संघ कुछ भी,
हरि के बिना रे तेरी कैसे हो जाए मुक्ति।

हरि के बिना रे तेरी कैसे हो जाए मुक्ति,
राम बिना रे तेरी कैसे हो जाए मुक्ति,
कैसे हो जाए मुक्ति कैसे हो जाए मुक्ति,
हरि के बिना रे तेरी कैसे हो जाए मुक्ति।

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hari ke bina re teri kaise ho jaae mukti,
ram bina re teri kaise ho jaae mukti,
kaise ho jaae

hari ke bina re teri kaise ho jaae mukti,
ram bina re teri kaise ho jaae mukti,
kaise ho jaae mukti kaise ho jaae mukti,
hari ke bina re teri kaise ho jaae mukti.

bchapan to hans khel gavaaya,
tu pdha kyon naaved likhi na toone takhti,
hari ke bina re teri kaise ho jaae mukti.

aai javaani to bada mastaaya,
too khela phutabl bajaai toone chutaki,
hari ke bina re teri kaise ho jaae mukti.

aaya budahaapa to bada pchhataaya,
too roya sir dhunake baat teri bigadi,
hari ke bina re teri kaise ho jaae mukti.

aai jab rel chadahan nahi paaya,
too soya chaadar taan tikat teri kat gi,
hari ke bina re teri kaise ho jaae mukti.

kahat kabeer suno bhaai saadhu,
too aaya khaali haath jaae na sangh kuchh bhi,
hari ke bina re teri kaise ho jaae mukti.

hari ke bina re teri kaise ho jaae mukti,
ram bina re teri kaise ho jaae mukti,
kaise ho jaae mukti kaise ho jaae mukti,
hari ke bina re teri kaise ho jaae mukti.







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