आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी हमारी।
राधा रानी हमारी, राधा रानी हमारी॥
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
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चले हैं दीदार करने,
वो सबका तारण हारा,
मेरे अंगना में रंग बरसाओ आओ माँ
मेरे अंगना में रंग बरसाओ आओ माँ
बोलिये बालाजी महाराज की जय
मेरे दिल की पतंग में श्याम की डोर तू
कहीं और ना उड़ जाए इसे खाटू धाम उड़ाई
आया सावन सुहाना है शिव के घर जाना है,
कोई दे दो रे ठिकाना, मुझे कावड़ चढ़ाना