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नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
बहुत बड़ा दरबार तेरो बहुत बड़ा दरबार,
चाकर रखलो राधा रानी तेरा बहुत बड़ा
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी हमारी।
राधा रानी हमारी, राधा रानी हमारी॥
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है

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प्रभु जी काया की बन गई रेल,
रेल गाड़ी चलने वाली है,
राम की सेवा हनुमान बड़े तन मन से करे,
बड़े तन मन से करे राम जी की शरण रहे,
मोहे झांकी दे जा अपने मोर मुकुट की...
मेरी लग गई बैरन आंख आंख मैया पर्वत से
मैया पर्वत से चल पड़ी मैया घुम्मन को
चाहे जितना ले ले कान्हा काहे को तरसता
ये प्यार भगतो की कुटिया में बरसता है,