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काली का रूप निराला

काली का रूप निराला,
जिसने मारा चंड मुंड को,
हाथ खडग है विशाला,
काली का रूप निराला........

दानव थर थर कापे मैया,
जब क्रोध में आये,
आँख में ज्वाला गले मुंड माला,
बचके कोई ना जाए,
जिसने तुझको दिल से माना,
ह्रदय में किया उजाला,
काली का रूप निराला........

संकट ने जब डाला घेरा,
तूने कदम बढ़ाया,
रक्त बीज का नाश किया,
धरती से पाप मिटाया माँ,
तूने पाप मिटाया,
तुहि चंडी तुहि दुर्गा,
तुही माँ ज्वाला,
काली का रूप निराला........

रोक ना पाया कोई तुमको तीन लोक में ऐसा,
बीच डगर सोकर शिव भोला खेल रचाया कैसा,
लक्ष्मण संवारा बीच सभा में जपता तेरी माला,
काली का रूप निराला........

काली का रूप निराला,
जिसने मारा चंड मुंड को,
हाथ खडग है विशाला,
काली का रूप निराला........



kali ka roop nirala

kaali ka roop niraala,
jisane maara chand mund ko,
haath khadag hai vishaala,
kaali ka roop niraalaa...


daanav thar thar kaape maiya,
jab krodh me aaye,
aankh me jvaala gale mund maala,
bchake koi na jaae,
jisane tujhako dil se maana,
haraday me kiya ujaala,
kaali ka roop niraalaa...

sankat ne jab daala ghera,
toone kadam badahaaya,
rakt beej ka naash kiya,
dharati se paap mitaaya ma,
toone paap mitaaya,
tuhi chandi tuhi durga,
tuhi ma jvaala,
kaali ka roop niraalaa...

rok na paaya koi tumako teen lok me aisa,
beech dagar sokar shiv bhola khel rchaaya kaisa,
lakshman sanvaara beech sbha me japata teri maala,
kaali ka roop niraalaa...

kaali ka roop niraala,
jisane maara chand mund ko,
haath khadag hai vishaala,
kaali ka roop niraalaa...

kaali ka roop niraala,
jisane maara chand mund ko,
haath khadag hai vishaala,
kaali ka roop niraalaa...




kali ka roop nirala Lyrics





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