Download Bhajan as .txt File Download Bhajan as IMAGE File

बहदो का जब जब माँ मेला आता है,
प्रेम तुम्हरा मुझको झुँझन खींच लाता है,

बहदो का जब जब माँ मेला आता है,
प्रेम तुम्हरा मुझको झुँझन खींच लाता है,
आँखों में जब तेरा चेहरा आता है,
प्रेम तुम्हरा मुझको झुँझन खींच लाता है,

झुंझनू की गांव की वो तंग गलियां,
मंदिर के बगीचे के फूलो की बगियाँ.
झुंझुनू की माटी की खुस्भु सुहानी,
दादी के चरणों का वो निर्मल पानी,
दर्शन तेरे करने से सब मिल जाता है,
प्रेम तुम्हरा मुझको झुँझन खींच लाता है,

मेले में जाते हम तो अकेले मिलते वही पे खुशियों के रेले,
दादी के भगतो का ऐसा परिवार है,
दादी के प्रेम का मिलता उपहार है,
रह रह के ख्यालो में जब ये आता है,
प्रेम तुम्हरा मुझको झुँझन खींच लाता है,

ऐसा क्या तुमने जादू चलाया मोहित को तूने अपना बनाया,
आँखों से अश्क का बेहता सैलाब है,
याद में दादी तेरी दिल बे ताब है,
ऐसा क्यों होता है समज न आता है,
प्रेम तुम्हरा मुझको झुँझन खींच लाता है,



prem tumhara mujhko jhunjhun kheech laata hai

bahado ka jab jab ma mela aata hai,
prem tumhara mujhako jhunjhan kheench laata hai,
aankhon me jab tera chehara aata hai,
prem tumhara mujhako jhunjhan kheench laata hai


jhunjhanoo ki gaanv ki vo tang galiyaan,
mandir ke bageeche ke phoolo ki bagiyaan.
daadi ke charanon ka vo nirmal paani,
darshan tere karane se sab mil jaata hai,
prem tumhara mujhako jhunjhan kheench laata hai

mele me jaate ham to akele milate vahi pe khushiyon ke rele,
daadi ke bhagato ka aisa parivaar hai,
daadi ke prem ka milata upahaar hai,
rah rah ke khyaalo me jab ye aata hai,
prem tumhara mujhako jhunjhan kheench laata hai

aisa kya tumane jaadoo chalaaya mohit ko toone apana banaaya,
aankhon se ashk ka behata sailaab hai,
yaad me daadi teri dil be taab hai,
aisa kyon hota hai samaj n aata hai,
prem tumhara mujhako jhunjhan kheench laata hai

bahado ka jab jab ma mela aata hai,
prem tumhara mujhako jhunjhan kheench laata hai,
aankhon me jab tera chehara aata hai,
prem tumhara mujhako jhunjhan kheench laata hai




prem tumhara mujhko jhunjhun kheech laata hai Lyrics





Bhajan Lyrics View All

हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई

New Bhajan Lyrics View All

ज्वाला मैया का दरबार अकबर देखने आया...
मोगरा से मंदिर सजाऊंगी कान्हा तुमको
फूलों से मंदिर सजाऊंगी कान्हा तुमको
वादा करके मोहन नहीं आया,
आँखो में कई राते ढल गयी,
मेरे मन हरि का ध्यान लगा,
क्यूँ उलझे तू व्यर्थ जगत में, उसका ही
सतगुरु दाता दयाल है,
जिस नु दया सदा होये,