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Kis Dhun Mein Baitha Baware
Kismat Mein Tu Mastana Hai

Kis Dhun Mein Baitha Baware
Kismat Mein Tu Mastana Hai
Sone Wale Jaag Ja
Sansaar Musafir Khana Hai



Kis Dhun Mein Baitha Baware
Kismat Mein Tu Mastana Hai
Sone Wale Jaag Ja
Sansaar Musafir Khana Hai

Kya Lekar Aaya Tha Jag Mein
Fir Kya Lekar Jayega
Mutthi Bandhe Aaya Jag Mein
Fir Hath Pasare Jana Hai

Sone Wale Jaag Ja
Sansaar Musafir Khana Hai

Koi Aaj Gaya Koi Kal Gaya
Koi Chand Roj Mein Jayega
Jis Ghar Se Nikal Gaya Panchhi
Uss Ghar Mein Fir Nahi Aana Hai

Sone Wale Jaag Ja
Sansaar Musafir Khana Hai

Sut Maat Pita Bandhav Naari
Dhan Dhaam Yahi Rah Jayega
Yah Chand Roj Ki Yaari Hai
Fir Apna Kaun Begana Hai

Sone Wale Jaag Ja
Sansaar Musafir Khana Hai

Kahi Bhikshu Yati Hari Naam Japo
Fir Aisa Samay Naa Aayega
Paakar Kanchan Si Kaya Ko
Fir Haath Meech Pachhtana Hai

Sone Wale Jaag Ja
Sansaar Musafir Khana Hai

Kis Dhun Mein Baitha Baware
Kismat Mein Tu Mastana Hai
Sone Wale Jaag Ja

Sansaar Musafir Khana Hai



Sone Wale Jaag Ja Sansaar Musafir Khana Hai Ram Bhajan By Rajanji Maharaj

kis dhun mein baitah baware
kisamat mein tu masatan hai
sone wale jaag ja
sanasaar musafir khan hai



kis dhun mein baitah baware
kisamat mein tu masatan hai
sone wale jaag ja
sanasaar musafir khan hai

ky lekar aay th jag mein
fir ky lekar jayega
mutatahi banadahe aay jag mein
fir hatah pasare jan hai

sone wale jaag ja
sanasaar musafir khan hai

koi aaj gay koi kal gaya
koi chanad roj mein jayega
jis ghar se nikal gay panacahahi
usas ghar mein fir nahi aan hai

sone wale jaag ja
sanasaar musafir khan hai

sut maat pit banadahav naari
dhan dhaam yahi rah jayega
yah chanad roj ki yaari hai
fir apan kaun began hai

sone wale jaag ja
sanasaar musafir khan hai

kahi bhikasahu yati hari naam japo
fir ais samay na aayega
paakar kanacahan si kay ko
fir haatah meecah pacahahatan hai

sone wale jaag ja
sanasaar musafir khan hai

kis dhun mein baitah baware
kisamat mein tu masatan hai
sone wale jaag ja

sanasaar musafir khan hai







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