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प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुः कामार्थसिद्धये

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुः कामार्थसिद्धये


प्रथमं वक्रतुडं च एकदन्तं द्वितीयकम्
तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठ विकटमेव च
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम्

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्

द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः
न च विध्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम्

जपेग्द गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फ़लं लभेत्
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्
तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुः कामार्थसिद्धये




pranamy shirasa devan gaureeputrn vinaayakam
bhaktaavaasan smarennityamaayuh kaamaarthasiddhaye

pranamy shirasa devan gaureeputrn vinaayakam
bhaktaavaasan smarennityamaayuh kaamaarthasiddhaye


prthaman vakratudan ch ekadantan dviteeyakam
tarateeyan krishnapingaakshn gajavaktrn chaturthakam

lambodaran panchaman ch shashth vikatamev ch
saptaman vighnaraajan ch dhoomravarnan tthaashtamam

navaman bhaalchandran ch dshaman tu vinaayakam
ekaadshan ganapatin dvaadshan tu gajaananam

dvaadshaitaani naamaani trisandhayan yah pthennarah
n ch vidhanbhayan tasy sarvasiddhikaran prbho

vidyaarthi lbhate vidyaan dhanaarthi lbhate dhanam
putraarthi lbhate putraanmokshaarthi lbhate gatim

japegd ganapatistotrn shadbhirmaasaih pahalan lbhet
sanvatsaren siddhin ch lbhate naatr sanshayah

ashtabhyo braahamanebhyashch likhitva yah samarpayet
tasy vidya bhavet sarva ganeshasy prasaadatah

pranamy shirasa devan gaureeputrn vinaayakam
bhaktaavaasan smarennityamaayuh kaamaarthasiddhaye




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