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॥दोहा॥
जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि

॥दोहा॥
जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि
गणपति जननी पार्वती अम्बे शक्ति! भवानि॥


॥चौपाई॥
ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे,
पंच बदन नित तुमको ध्यावे
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो,
सहसबदन श्रम करत घनेरो
तेऊ पार न पावत माता,
स्थित रक्षा लय हिय सजाता
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे,
अति कमनीय नयन कजरारे
ललित ललाट विलेपित केशर,
कुंकुंम अक्षत शोभा मनहर
कनक बसन कंचुकि सजाए,
कटी मेखला दिव्य लहराए
कंठ मदार हार की शोभा,
जाहि देखि सहजहि मन लोभा
बालारुण अनंत छबि धारी,
आभूषण की शोभा प्यारी
नाना रत्न जड़ित सिंहासन,
तापर राजति हरि चतुरानन
इन्द्रादिक परिवार पूजित,
जग मृग नाग यक्ष रव कूजित
गिर कैलास निवासिनी जय जय,
कोटिक प्रभा विकासिनी जय जय
त्रिभुवन सकल कुटुंब तिहारी,
अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी
हैं महेश प्राणेश तुम्हारे,
त्रिभुवन के जो नित रखवारे
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब,
सुकृत पुरातन उदित भए तब
बूढ़ा बैल सवारी जिनकी,
महिमा का गावे कोउ तिनकी
सदा श्मशान बिहारी शंकर,
आभूषण हैं भुजंग भयंकर
कण्ठ हलाहल को छबि छायी,
नीलकण्ठ की पदवी पायी
देव मगन के हित अस किन्हो,
विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो
ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी,
दुरित विदारिणी मंगल कारिणी
देखि परम सौंदर्य तिहारो,
त्रिभुवन चकित बनावन हारो
भय भीता सो माता गंगा,
लज्जा मय है सलिल तरंगा
सौत समान शम्भू पहआयी,
विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी
तेहि कों कमल बदन मुरझायो,
लखी सत्वर शिव शीश चढ़ायो
नित्यानंद करी बरदायिनी,
अभय भक्त कर नित अनपायिनी
अखिल पाप त्रयताप निकन्दिनी,
माहेश्वरी, हिमालय नन्दिनी
काशी पुरी सदा मन भायी,
सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री,
कृपा प्रमोद सनेह विधात्री
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे,
वाचा सिद्ध करि अवलम्बे
गौरी उमा शंकरी काली,
अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली
सब जन की ईश्वरी भगवती,
पतिप्राणा परमेश्वरी सती
तुमने कठिन तपस्या कीनी,
नारद सों जब शिक्षा लीनी
अन्न न नीर न वायु अहारा,
अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा
पत्र घास को खाद्य न भायउ,
उमा नाम तब तुमने पायउ
तप बिलोकी ऋषि सात पधारे,
लगे डिगावन डिगी न हारे
तब तव जय जय जय उच्चारेउ,
सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेउ
सुर विधि विष्णु पास तब आए,
वर देने के वचन सुनाए
मांगे उमा वर पति तुम तिनसों,
चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों
एवमस्तु कही ते दोऊ गए,
सुफल मनोरथ तुमने लए
करि विवाह शिव सों भामा,
पुनः कहाई हर की बामा
जो पढ़िहै जन यह चालीसा,
धन जन सुख देइहै तेहि ईसा

॥ दोहा ॥
कूटि चंद्रिका सुभग शिर,
जयति जयति सुख खा‍नि
पार्वती निज भक्त हित,
रहहु सदा वरदानि

॥दोहा॥
जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि
गणपति जननी पार्वती अम्बे शक्ति! भवानि॥




..dohaa..
jay giri tanaye dakshje shambhoo priye gunkhaani

..dohaa..
jay giri tanaye dakshje shambhoo priye gunkhaani
ganapati janani paarvati ambe shakti! bhavaani..


..chaupaai..
brahama bhed n tumharo paave,
panch badan nit tumako dhayaave
shadmukh kahi n sakat ysh tero,
sahasabadan shrm karat ghanero
teoo paar n paavat maata,
sthit raksha lay hiy sajaataa
adhar pravaal sadarsh arunaare,
ati kamaneey nayan kajaraare
lalit lalaat vilepit keshar,
kunkunm aksht shobha manahar
kanak basan kanchuki sajaae,
kati mekhala divy laharaae
kanth madaar haar ki shobha,
jaahi dekhi sahajahi man lobhaa
baalaarun anant chhabi dhaari,
aabhooshan ki shobha pyaaree
naana ratn jadit sinhaasan,
taapar raajati hari chaturaanan
indraadik parivaar poojit,
jag marag naag yaksh rav koojit
gir kailaas nivaasini jay jay,
kotik prbha vikaasini jay jay
tribhuvan sakal kutunb tihaari,
anu anu mahan tumhaari ujiyaaree
hain mahesh praanesh tumhaare,
tribhuvan ke jo nit rkhavaare
unaso pati tum praapt keenh jab,
sukrit puraatan udit bhe tab
boodaha bail savaari jinaki,
mahima ka gaave kou tinakee
sada shmshaan bihaari shankar,
aabhooshan hain bhujang bhayankar
kanth halaahal ko chhabi chhaayi,
neelakanth ki padavi paayee
dev magan ke hit as kinho,
vish lai aapu tinahi ami dinho
taaki, tum patni chhavi dhaarini,
durit vidaarini mangal kaarinee
dekhi param saundary tihaaro,
tribhuvan chakit banaavan haaro
bhay bheeta so maata ganga,
lajja may hai salil tarangaa
saut samaan shambhoo pahaayi,
vishnu padaabj chhodi so dhaayee
tehi kon kamal badan murjhaayo,
lkhi satvar shiv sheesh chadahaayo
nityaanand kari baradaayini,
abhay bhakt kar nit anapaayinee
akhil paap tryataap nikandini,
maaheshvari, himaalay nandinee
kaashi puri sada man bhaayi,
siddh peeth tehi aapu banaayee
bhagavati pratidin bhiksha daatri,
kripa pramod saneh vidhaatree
ripukshy kaarini jay jay ambe,
vaacha siddh kari avalambe
gauri uma shankari kaali,
annapoorna jag pratipaalee
sab jan ki eeshvari bhagavati,
patipraana parameshvari satee
tumane kthin tapasya keeni,
naarad son jab shiksha leenee
ann n neer n vaayu ahaara,
asthi maatrtan bhayu tumhaaraa
patr ghaas ko khaady n bhaayu,
uma naam tab tumane paayu
tap biloki rishi saat pdhaare,
lage digaavan digi n haare
tab tav jay jay jay uchchaareu,
saptarishi, nij geh siddhaareu
sur vidhi vishnu paas tab aae,
var dene ke vchan sunaae
maange uma var pati tum tinason,
chaahat jag tribhuvan nidhi jinason
evamastu kahi te dooo ge,
suphal manorth tumane le
kari vivaah shiv son bhaama,
punah kahaai har ki baamaa
jo padahihai jan yah chaaleesa,
dhan jan sukh deihai tehi eesaa

.. doha ..
kooti chandrika subhag shir,
jayati jayati sukh khaani
paarvati nij bhakt hit,
rahahu sada varadaani

..dohaa..
jay giri tanaye dakshje shambhoo priye gunkhaani
ganapati janani paarvati ambe shakti! bhavaani..




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