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सीता आगे धरे ना पांव मुड़ कर देख रही पीछे को,
मुड़ मुड़ देख रही पीछे को, मुड़मुड़ देख रही पीहर को,

सीता आगे धरे ना पांव मुड़ कर देख रही पीछे को,
मुड़ मुड़ देख रही पीछे को, मुड़मुड़ देख रही पीहर को,
सीता आगे धरे ना पांव...


सब आई संग की सहेली जिनके संग पीहर में खेली,
आंसू रोके रुकते नाय मुड़ मुड़ देख रही पीछे को,
सीता आगे धरे ना पांव...

पिता रोवे खंब पकड़ के जग रोवे आंसू भर के,
मां की ममता देखी ना जाए मुड़ मुड़ देख रही पीछे को,
सीता आगे धरे ना पांव...

वह जगत पिता जगदीश्वर है तेरे पति परमेश्वर,
बेटी जानो पड़े ससुराल मुड़ मुड़ देख रही पीछे को,
सीता आगे धरे ना पांव...

वह जनक नंदिनी बिटिया मिथिला नरेश घर रनिया,
सखियां विदा करें समझाएं मुड़ मुड़ देख रही पीछे को,
सीता आगे धरे ना पांव...

सीता आगे धरे ना पांव मुड़ कर देख रही पीछे को,
मुड़ मुड़ देख रही पीछे को, मुड़मुड़ देख रही पीहर को,
सीता आगे धरे ना पांव...




seeta aage dhare na paanv mud kar dekh rahi peechhe ko,
mud mud dekh rahi peechhe ko, mudamud dekh rahi peehar ko,

seeta aage dhare na paanv mud kar dekh rahi peechhe ko,
mud mud dekh rahi peechhe ko, mudamud dekh rahi peehar ko,
seeta aage dhare na paanv...


sab aai sang ki saheli jinake sang peehar me kheli,
aansoo roke rukate naay mud mud dekh rahi peechhe ko,
seeta aage dhare na paanv...

pita rove khanb pakad ke jag rove aansoo bhar ke,
maan ki mamata dekhi na jaae mud mud dekh rahi peechhe ko,
seeta aage dhare na paanv...

vah jagat pita jagadeeshvar hai tere pati parameshvar,
beti jaano pade sasuraal mud mud dekh rahi peechhe ko,
seeta aage dhare na paanv...

vah janak nandini bitiya mithila naresh ghar raniya,
skhiyaan vida karen samjhaaen mud mud dekh rahi peechhe ko,
seeta aage dhare na paanv...

seeta aage dhare na paanv mud kar dekh rahi peechhe ko,
mud mud dekh rahi peechhe ko, mudamud dekh rahi peehar ko,
seeta aage dhare na paanv...








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