कल्पतरु पुन्यातामा प्रेम सुधा शिव नाम
हितकारक संजीवनी शिव चिंतन अविराम
पतित पावन जैसे मधुर शिव रसन के घोलक
भक्ति के हंसा ही चुगे मोती ये अनमोल
जैसे तनिक सुहागा सोने को चमकाए
शिव सुमिरन से आत्मा अध्भुत निखरी जाये
जैसे चन्दन वृक्ष को डसते नहीं है नाग
शिव भक्तो के चोले को कभी लगे ना दाग
ॐ नमः शिवाय....
ॐ नमः शिवाय....
दया निधि भूतेश्वर शिव है चतुर सुजान
कण कण भीतर है बसे नीलकंठ भगवान
चंद्र चूड के त्रिनेत्रा उमा पति विश्वेश
शरणागत के ये सदा काटे सकल कलेश
शिव द्वारे प्रपंच का चल नहीं सकता खेल
आग और पानी का जैसे होता नहीं है मेल
भय भंजन नटराज है डमरू वाले नाथ
शिव का वंदन जो करे शिव है उनके साथ
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय....
लाखो अश्वमेध हो सौ गंगा स्नान
इनसे उत्तम है कही शिव चरणों का ध्यान
अलख निरंजन नाद से उपजे आत्मा ज्ञान
भटके को रास्ता मिले मुश्किल हो आसान
अमर गुणों की खान है चित शुद्धि शिव जाप
सत्संगती में बैठके करलो पश्चाताप
लिंगेश्वर के मनन से सिद्ध हो जाते काज
नमः शिवाय रटता जा शिव रखेंगे लाज
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय....
शिव चरणों को छूने से तन मन पवन होये
शिव के रूप अनूप की समता करे ना कोई
महाबलि महादेव है महाप्रभु महाकाल
असुरनिकंदन भक्त की पीड़ा हरे तत्काल
शर्वव्यापी शिव भोला धर्म रूप सुख काज
अमर अनंता भगवंता जग के पालन हार
शिव करता संसार के शिव सृष्टि के मूल
रोम रोम शिव रमने दो, शिव ना जईओ भूल
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय.........
(
शिव अमृत की पावन धारा
धो देती है हर कष्ट हमारा
शिव का पाठ सदा सदा सुखदायी
शिव के बिन है कौन सहायी
शिव की निशदिन की जो भक्ति
देंगे शिव हर भय से मुक्ति
माथे धरो शिव धाम की धुली
टूट जाएगी यम की सूली सूली
शिव का साधक दुख ना माने
शिव को हर पल सम्मुख जाने
सौंप दी जिसने शिव को डोर
लुटे ना उसको पांचों चोर
शिव सागर में जो जन डूबे
संकट से वो हंस के जूझे
शिव है जिनके संगी साथी
उन्हें ना विपदा कभी सताती
शिव भक्तन का पकड़े हाथ
शिव संतन के सदा ही साथ
शिव ने है ब्रह्मांड रचाया
तीनो लोक है शिव की माया
जिन पर शिव की करुणा होती
वो कंकर बन जाते मोती
शिव संग तार प्रेम की जोड़ो
शिव के चरण कभी ना छोड़ो
शिव में मनवा मन को रंग ले
शिव मस्तक की रेखा बदले
शिव हर जन की नस नस जाने
बुरा भला वे सब पहचाने
अजर अमर है शिव अविनाशी
शिव पूजन से कटे चौरासी
यहां वहां शिव सर्व व्यापक
शिव की दया के बनिए याचक
शिव को दी जो सच्ची निष्ठा
होने ना देगा शिव को रुष्ठा
शिव हे श्रद्धा के ही भूखे
भोग लगे चाहे रूखे सूखे
भावना शिव को बस में करती
प्रीत से ही तो प्रीत है बढ़ती
शिव कहते हैं मन से जागो
प्रेम करो अभिमान त्यागो
दुनिया का मोह त्याग के शिव में रहिए लीन
सुख-दुख हानि लाभ तो शिव के ही है अधीन
भस्म रमैया पार्वती वल्लभ
शिव फलदायक शिव है दुर्लभ
महाकौतुकी है शिव शंकर
त्रिशूल धारी शिव अभयंकर
शिव की रचना धरती अंबर
देवों के स्वामी शिव है दिगम्बर
काल दहन शिव रुण्डन पोषित
होने ना देते धर्म को दूषित दूषित
दुर्गा पति शिव शिव गिरिराजनाथ
देते हैं सुखों की प्रभात
सृष्टि कर्ता त्रिपुर धाती
शिव की महिमा कही न जाती
दिव्या तेज के रवि है शंकर
पूजे हम सब तभी है शंकर
शिव सम और कोई ना दानी
शिव की भक्ति है कल्याणी
कहते मुनिवर गुणी स्थानी
शिव की बाते शिव ही जाने
नदियों का शिव पिये हलाहल
नेकी का रास बांटते हर पल
सबके मनोरथ सिद्ध कर देती
सबकी चिंता शिव हर लेते
बम भोला अवधूत स्वरूपा
शिव दर्शन है अति अनूपा
अनुकंपा का शिव है झरना
हरने वाले सब की तृष्णा
भूतों के अधिपति है शंकर
निर्मल मन शुभ मति है शंकर
काम के शत्रु विष के नाशक
शिव महायोगी भयविनाशक
रूद्र रूप शिव महा तेजस्वी
शिव के जैसा कौन तपस्वी
हिमगिरि पर्वत शिव का डेरा
शिव सम्मुख ना टिके अँधेरा
लाखो सूरज की शिव ज्योति
शब्दों में शिव उपमा ना होती
शिव है जग के सृजन हारे
बंधु सखा शिव इष्ट हमारे
गो ब्राम्हण के वे हितकारी
कोई ना शिव सा परोपकारी
शिव करुणा के स्रोत है शिव से करियो प्रीत
शिव ही परम पुनीत है शिव साचे मन मीत
शिव सर्पों के भूषण धारी धारी
पाप के भाषण शिव त्रिपुरारी
जटा जूट शिव चंद्रशेखर
विश्व के रक्षक कला कलेश्वर
शिव की वंदना करने वाला
धन वैभव पा जाये निराला
कष्ट निवारक शिव की पूजा
शिव सा दयालु और ना दूजा
पंचमुखी जब रूप दिखावे
दानव दल में भय छा जावे
डम डम डमरू जब भी बोले
चोर निशाचर का मन डोले
गोट घाट जब भंग चढ़ावे
क्या है लीला समझ ना आवे
शिव है योगी शिव सन्यासी
शिव ही है कैलाश के वासी
शिव का दास सदा निर्भीक
शिव के धाम बड़े रमणीक
शिव भृकुटि से भैरव जन्मे
शिव की मूरत रखो मन में
शिव का अर्चन मंगलकारी
मुक्ति साधक भव भय हारी
भक्तवत्सल दीन दयाला
ज्ञान सुधा है शिव कृपाला
शिव नाम की नौका है न्यारी
जिसने सबकी चिंता टारी
जीवन सिंधु सहज जो तरना
शिव का हर पल नाम सुमिरना
तारकासुर को मारने वाले
शिव है भक्तों के रखवाले
शिव की लीला के गुण गाना
शिव को भूलके ना बिसराना
अंधकासुर से देव बचाये
शिव के अद्भुत खेल दिखाये
शिव चरणों से लिपटे रहिये
मुख के शिव शिव जय शिव कहिए
भस्मासुर को वर दे डाला
शिवा है कैसा भोला भाला
शिव तीर्थो का दर्शन कीजो
मनचाहे वर शिव से लीजो
शिव शंकर के जाप से मिट जाते सब रोग
शिव का अनुग्रह होते ही पीड़ा ना देते शोग
ब्रह्मा विष्णु शिव अनुगामी
शिव है दीन हिन के स्वामी
निर्बल के बल रूप हैं शंभु
प्यासे को जल रूप है शंभू
रावण शिव का भक्त निराला
शिव को दी दस शीश की माला
गर्व से जब कैलाश उठाया
शिव ने अंगूठे से था दबाया
दुख निवारण नाम है शिव का
रत्न है और बिन दाम शिव का
शिव है सब के भाग्य विधाता
शिव का सुमिरन है फलदाता
शिव दधीचि के भगवंता
शिव की थी अमर अनंता
शिव का सेवादार सुदर्शन
साँसे करदी शिव के अर्पण
महादेव शिव औघड़ दानी
बायें अंग में सजे भवानी
शिव शक्ति का मेल निराला
शिव का हर एक खेल निराला
संभर नामी भक्त को तारा
चंद्रसेन का शोक निवारण
पिंगला ने जब शिव को ध्याया
नर्क छूटा मोक्ष पायाा
गोकर्ण की चन चूका अनारी
भवसागर से पार उतारी
अनुसुइया ने किया आराधन
टूटे चिंता के सब बंधन
बेल पत्तों से करें चण्डली
शिव की अनुकंपा हुई निराली
मार्कंडेय की भक्ति है शिव
दुर्वासा की शक्ति है शिव
राम प्रभु ने शिव अराधा
सेतु की हर टल गई बाधा
धनुष बाण था पाया शिव से
तल का सागर आया शिव से
श्री कृष्ण ने जब था ध्याया
पुत्रों का वर था पाया
हम सेवक तो स्वामी शिव है
अनहद अंतर्यामी शिव है
दीन दयाल शिव मेरे, शिव के रहियो दास
घट घट की शिव जानते शिव पर रख विश्वास
परशुराम ने शिव गुण गाया
कीन्हा तप और फरसा पाया
निर्गुण भी शिव निराकार
शिव हैं सृष्टि के आधार
शिव ही होते मूर्तिमान
शिव ही करते जग कल्याण
शिव में व्यापक दुनिया सारी
शिव की सिद्धि है भयहारी
शिव ही बाहर शिव ही अंदर
शिव की रचना सात समंदर
शिव है हर एक मन के भीतर
शिव रहते कण कण के भीतर
तन में बैठा शिव ही बोले
दिल की धड़कन में शिव डोले
हम कठपुतली शिव ही नचाता
नैनो को पर नजर ना आता
माटी के रंगदार खिलौने
सांवल सुंदर और सिलोनी
शिव ही जोड़े शिव ही तोड़े
शिव तो किसी को खुला ना छोड़े
आत्मा शिव परमात्मा शिव है
दया भाव धर्मात्मा शिव है
शिव ही दीपक शिव ही बाती
शिव जो नहीं तो सब कुछ माटी
सब देवों में जेष्ठ शिव है
सकल गुणों में श्रेष्ठ शिव है
जब ये तांडव करने लगता
ब्रह्मांड सारा डरने लगता
तीसरा चछु जब-जब खोलें
त्राहि-त्राहि ये जग बोले
शिव को तुम प्रसन्न ही रखना
आस्था और लगन ही रखना
विष्णु ने की शिव की पूजा
कमल चढ़ाऊं मन को सुझा
एक कमल जो कम था पाया
अपना सुंदर नयन चड़ाया
साक्षात तब शिव थे आये
कमलनयन विष्णु कहलाए
इंद्रधनुष के रंगों में शिव
संतों के सत्संगों में शिव
महाकाल के भक्त को मार ना सकता काल
द्वार खड़े यमराज को शिव है देते टाल
यज्ञ सुदन महा रौद्र शिव है
आनंदमूर्ति नटवर शिव है है
शिव ही है श्मशान निवासी
शिव कांटे मृत्युलोक की फांसी
व्याघ्र चरम कमर में सोहे
शिव भक्तन के मन को मोहे
नंदीगण पर करे सवारी
आदिनाथ शिव गंगा धारी
काल में भी तो काल है शंकर है
विषधारी जगपाल है शंकर
महा सती के पति है शंकर
दीन सखा शुभ मति है शंकर
लाखों शशि के सम मुख वाले
भंग धतूरे के मतवाले
काल भैरव भूतों के स्वामी
शिव से कांपे सब फलकामी
शिव कपाली शिव भस्मांगी
शिव की दया हर जीव ने मांगी
मंगलकर्ता मंगलहारी
देव शिरोमणि महासुखकारी
जल तथा विल्व करे जो अर्पण
श्रधा भाव से करे समर्पण
शिव सदा उनकी करते रक्षा
सत्यकर्म की देते शिक्षा
लिंग पे चन्दन लेप जो करते
उनके शिव भंडार है भरते
चौसठ योगिनी शिव के बस में
शिव है नहाते भक्ति रस में
वासुकि नाग कंठ की शोभा
आशुतोष है शिव महादेवा
विश्वमुर्ति करुनानिधान
महामृत्युंजय शिव भगवान
शिव धारे रुद्राक्ष की माला
नीलेश्वर शिव डमरू वाला
पाप का शोधक मुक्ति साधन
शिव करते निर्दयी का मर्दन
शिव सुमरिन के नीर से धूल जाते है पाप
पवन चले शिव नाम की उड़े रे दुःख संताप
पंचाक्षर का मन्त्र शिव है
साक्षात् सर्वेश्वर शिव है
शिव को नमन करे जग सारा
शिव का है ये सकल पसारा
क्षीरसागर को मथने वाले
रिधि सीधी सुख देने वाले
अहंकार के शिव है विनाशक
धर्म दीप ज्योति प्रकाशक
शिव बिछुवन के कुण्डलधारी
शिव की माया सृष्टि सारी
महानन्दा ने किया सिव चिंतन
रुद्राक्ष माला किन्ही धारण
भवसिन्धु से शिव ने तारा
शिव अनुकम्पा अपरम्पारा
त्रि-जगत के यश है शिवजी
दिव्य तेज गौरीश है शिवजी
महाभार को सहने वाले
वैर रहित दया करने वाले
गुण स्वरूप है शिव अनुपा
अम्बानाथ है शिव तपरूपा
शिव चण्डीश परम सुख ज्योति
शिव करुणा के उज्जवल मोती
पुण्यात्मा शिव योगेश्वर
महादयालु सिव शरणेश्वर
शिव चरणन पे मस्तक धरिये
श्रधा भाव से अर्चन करिए
मन को शिवाला रूप बना लो
रोम रोम में शिव को रमा लो
माथे जो पग धुली धरेंगे
धन और धान से कोष भरेंगे
शिव का वाक विफल ना जावे
शिव का दास परमपद पावे
दशों दिशाओं में शिव दृष्टि
सब पर सिव की कृपा दृष्टि
सिव को सदा ही सम्मुख जानो
कण-कण बीच बसे ही मानो
शिव को सौंपो जीवन नैया
शिव है संकट टाल खिवैया
अंजलि बाँध करे जो वंदन
भय जंजाल के टूटे बन्धन
जिनकी रक्षा शिव करे, मारे न उसको कोय
आग की नदिया से बचे, बाल ना बांका होय
शिव दाता भोला भण्डारी
शिव कैलाशी कला बिहारी
सगुण ब्रह्म कल्याण कर्ता
विघ्न विनाशक बाधा हर्ता
शिव स्वरूपिणी सृष्टि सारी
शिव से पृथ्वी है उजियारी
गगन दीप भी माया शिव की
कामधेनु पे छाया शिव की
गंगा में शिव, शिव मे गंगा
शिव के तारे तरत कुसंगा
शिव के कर में सजे त्रिशूला
शिव के बिना ये जग निर्मूला
स्वर्णमयी शिव जटा निराळी
शिव शम्भू की छटा निराली
जो जन शिव की महिमा गाये
शिव से फल मनवांछित पाये
शिव पग पँकज स्वर्ग समाना
शिव पाये जो तजे अभिमाना
शिव का भक्त ना दुःख मे डोलें
शिव का जादू सिर चढ बोले
परमानन्द अनन्त स्वरूपा
शिव की शरण पड़े सब कूपा
शिव की जपियो हर पल माला
शिव की नजर मे तीनो क़ाला
अन्तर घट मे इसे बसा लो
दिव्य जोत से जोत मिला लो
नम: शिवाय जपे जो श्वासा
पूरीं हो हर मन की आसा
परमपिता परमात्मा पूरण सच्चिदानन्द
शिव के दर्शन से मिले सुखदायक आनन्द
शिव से बेमुख कभी ना होना
शिव सुमिरन के मोती पिरोना
जिसने भजन हो शिव के सीखे
उसको शिव हर जगह ही दिखे
प्रीत में शिव है शिव में प्रीती
शिव सम्मुख न चले अनीति
शिव नाम की मधुर सुगन्धी
जिसने मस्त कियो रे नन्दी
शिव निर्मल निर्दोष निराले
शिव ही अपना विरद संभाले
परम पुरुष शिव ज्ञान पुनीता
भक्तो ने शिव प्रेम से जीता
(
आंठो पहर अराधीय ज्योतिर्लिंग शिव रूप
नयनं बीच बसाइये शिव का रूप अनूप
लिंग मय सारा जगत हैं लिंग धरती आकाश
लिंग चिंतन से होत हैं सब पापो का नाश
लिंग पवन का वेग हैं लिंग अग्नि की ज्योत
लिंग से पाताल हैँ लिंग वरुण का स्त्रोत
लिंग से हैं ये वनस्पति लिंग ही हैं फल फूल
लिंग ही रत्न स्वरूप हैं लिंग माटी लिंग धूल
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
लिंग ही जीवन रूप हैं लिंग मृत्युलिंगकार
लिंग मेघा घनघोर हैं लिंग ही हैं मुंजार
ज्योतिर्लिंग की साधना करते हैं तीनो लोग
लिंग ही मंत्र जाप हैं लिंग का रूम श्लोक
लिंग से बने पुराण लिंग वेदो का सार
रिधिया सिद्धिया लिंग हैं लिंग करता करतार
प्रातकाल लिंग पूजिये पूर्ण हो सब काज
लिंग पे करो विश्वास तो लिंग रखेंगे लाज
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
सकल मनोरथ सेत हो दुखो का हो अंत
ज्योतिर्लिंग के नाम से सुमिरत जो भगवंत
मानव दानव ऋषिमुनि ज्योतिर्लिंग के दास
सर्व व्यापक लिंग हैं पूरी करे हर आस
शिव रुपी इस लिंग को पूजे सब अवतार
ज्योतिर्लिंगों की दया सपने करे साकार
लिंग पे चढिनय वैद्य का जो जन ले परसाद
उनके ह्रदय में बजे शिव करूणा का नाद
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
महिमा ज्योतिर्लिंग की गायेंगे जो लोग
भय से मुक्ति पाएंगे रोग रहे ना शोग
शिव के चरण सरोज तू ज्योतिर्लिंग में देख
सर्व व्यापी शिव बदले भाग्य तेरे की रेख
डारीं ज्योतिर्लिंग पे गंगा जल की धार
करेंगे गंगाधर तुझे भव सिंधु से पार
चित शुद्धि हो जाए रे लिंगो का धर ध्यान
लिंग ही अमृत कलश हैं लिंग ही दया निधान
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
(
ज्योतिर्लिंग है शिव की ज्योति
ज्योतिर्लिंग है दया का मोती
ज्योतिर्लिंग रत्नों की खान
ज्योतिर्लिंग में रमा जहान
ज्योतिर्लिंग का तेज़ निराला
धन सम्पति का देने वाला
ज्योतिर्लिंग में है नट नागर
अमर गुणों का है ये सागर
ज्योतिर्लिंग की कीजो सेवा
ज्ञान पान का पाओगे मेवा
ज्योतिर्लिंग है पिता सामान
सष्टि इसकी है संतान
ज्योतिर्लिंग है इष्ट प्यारे
ज्योतिर्लिंग है सखा हमारे
ज्योतिर्लिंग है नारीश्वर
ज्योतिर्लिंग है सिद्ध विमलेश्वर
ज्योतिर्लिंग गोपेश्वर दाता
ज्योतिर्लिंग है विधि विधाता
ज्योतिर्लिंग है शरणेश्वर स्वामी
ज्योतिर्लिंग है अन्तर्यामी
सतयुग में रत्नो से शोभित
देव जानो के मन को मोहित
ज्योतिर्लिंग अत्यंत है सुन्दर
जटा इसकी ब्रह्माण्ड अंदर
त्रेता युग में स्वर्ण सजाता
सुख सूरज ये ध्यान ध्वजाता
सक्ल सृष्टि मन की करती
निसदिन पूजा भजन भी करती
द्वापर युग में पारस निर्मित
गुणी ज्ञानी सुर नर सेवी
ज्योतिर्लिंग सबके मन को भाता
महमारक को मार भगाता
कलयुग में पार्थिव की मूरत
ज्योतिर्लिंग नंदकेश्वर सूरत
भक्ति शक्ति का वरदाता
जो कागा को हंस बनता
ज्योतिर्लिंग पे पुष्प चढ़ाओ
केसर चन्दन तिलक लगाओ
जो जन दूध करेंगे अर्पण
उजले हो उनके मन दर्पण
ज्योतिर्लिंग के जाप से तन मन निर्मल होये
इसके भक्तों का मनवा करे न विचलित कोई
सोमनाथ सुख करने वाला
सोम के संकट हरने वाला
दक्ष श्राप से सोम छुड़ाय
सोम है शिव की अद्भुत माया
चंद्र देव ने किया जो वंदन
सोम ने काटे दुःख के बंधन
ज्योतिर्लिंग है ये सुखदायी
दीन हीन का सदा सहायी
भक्ति भाव से इसे जो ध्याये
मन वाणी शीतल तर जाये
शिव की आत्मा रूप सोम है
प्रभु परमात्मा रूप सोम है
यहाँ उपासना चंद्र ने की
शिव ने उसकी चिंता हर ली
इस तीरथ की शोभा न्यारी
शिव अमृत सागर भवभयधारी
चंद्र कुंड में जो भी नहाये
पाप से वे जन मुक्ति पाए
छ: कुष्ठ सब रोग मिटाये
काया कुंदन पल में बनावे
मलिकार्जुन है नाम न्यारा
शिव का पावन धाम प्यारा
कार्तिकेय है जब शिव से रूठे
मात पिता के चरण ना छूटे
श्री शैलेश पर्वत जा पहुंचे
कष्ट भय पार्वती के मन में
प्रभु कुमार से चली जो मिलने
संग चलना माना शंकर ने
श्री शैल पर्वत के ऊपर
गए जो दोनों उमा महेश्वर
उन्हें देखकर कार्तिक उठ भागे
और कुमार पर्वत पे विराजे
जंहा सिद्ध हुए पार्वती शंकर
धाम बना वे शिव का सुन्दर
शिव का अर्जुन नाम सुहाता
मलिका है मेरी पार्वती माता
लिंग रूप हो जहाँ वे रहते
मलिकार्जुन है उसको कहते
मनवांछित फल देने वाला
निर्बल को बल देने वाला
ज्योतिर्लिंग के नाम की रे मन माला फेर
मनोकामना पूर्ण होगी लगे ना छिन भी देर
उज्जैनती क्षिप्रा किनारे
ब्राह्मण थे शिव भक्त न्यारे
दूषण दैत्य सताता निसदिन
गर्म द्वेश दिखलाता जिस दिन
एक दिन नगरी के नर नारी
दुखी हो राक्षस से अतिहारी
परम सिद्ध ब्राह्मण से बोले
दैत्य के डर से हर कोई डोले
दुष्ट निसाचर से छुटकारा
पाने को करो यज्ञ प्यारा
ब्राह्मण तप ने रंग दिखाए
पृथ्वी फाड़ महाकाल आये
राक्षस को हुंकार से मारा
भय से भक्तन को उबारा
आग्रह भक्तों ने जो कीन्हा
महाकाल ने वर था दीना
ज्योतिर्लिंग हो रहूं यंहा पर
इच्छा पूर्ण करूँ यंहा पर
जो कोई मन से मुझको पुकारे
उसको दूंगा वैभव सारे
उज्जैनी के राजा के पास
मणि थी अद्भुत बड़ी ही ख़ास
जिसे छीनने का षड़यंत्र
किया था कल्यों ने ही मिलकर
मणि बचाने की आशा में
शत्रु विजय की अभिलाषा में
शिव मंदिर में डेरा जमाकर
खो गए शिव का ध्यान लगाकर
एक बालक ने हद ही कर दी
उस राजा की देखा देखी
एक साधारण पत्थर लेकर
पहुंचा अपनी कुटिया भीतर
शिवलिंग मान के वे पाषाण
पूजने लगा शिव भगवान्
उसकी भक्ति चुम्बक से
खींचे ही आये शम्भू झट से
ओमकार ओमकार की रट सुनकर
हुए प्रतिष्ठित ओमकार बनकर
ओम्कारेश्वर वही है धाम
बन जाए बिगड़े जहाँ पे काम
नर नारायण ये दो अवतार
भोलेनाथ से जिन्हे था प्यार
पत्थर का शिवलिंग बनाकर
नमः शिवाय की धुन गाकर
शिव शंकर ओमकार का रट ले मनवा नाम
जीवन की हर राह में शिवजी लेंगे थाम
नर नारायण ये दो अवतार
भोलेनाथ से जिन्हे था प्यार
पत्थर का शिवलिंग बनाकर
नमः शिवाय की धुन गाकर
कई वर्ष तप किया शिव का
पूजा और जप किया शंकर का
शिव दर्शन को अंखिया प्यासी
आ गए एक दिन शिव कैलाशी
नर नारायण से वे बोले
दया के मैंने द्वार है खोले
जो हो इच्छा लो वरदान
भक्त के वश में है भगवान्
करवाने की भक्त ने विनती
कर दो पवन प्रभु ये धरती
तरस रहा केदार का कंड ये
बन जाये अमृत उत्तम कुंड ये
शिव ने उनकी मानी बात
बन गया वे ही केदारनाथ
मंगलदायी धाम शिव का
गूंज रहा जंहा नाम शिव का
कुम्भकरण का बेटा भीम
ब्रह्मवर पा हुआ बलि असीम
इंद्रदेव को उसने हराया
काम रूप में गरजता आया
कैद किया था राजा सुदक्षण
कारागार में करे शिव पूजन
किसी ने भीम को जा बतलाया
क्रोध से भर के वो वंहा आया
पार्थिव लिंग पर मार हथोड़ा
जब था पावन शिवलिंग तोडा
प्रकट हुए शिव तांडव करते
लगा भागने भीम था डर के
डमरू धर ने देकर झटका
धरा पे पापी दानव पटका
ऐसा रूप विक्राल बनाया
पल में राक्षस मार गिराया
बन गए भोले जी प्रयलंकार
भीम मार के हुए भीमशंकर
शिव की कैसी अलौकिक माया
आज तलक कोई जान न पाया
हर हर हर महादेव का मंत्र पढ़ें हर दिन रैन
दुःख से पीड़क मंदिरा पा जायेगा चैन
परमेश्वर ने एक दिन भक्तों
जानना चाहा एक में दो को
नारी पुरुष हो प्रकटे शिवजी
परमेश्वर के रूप हैं शिवजी
नाम पुरुष का हो गया शिवजी
नारी बनी थी अम्बा शक्ति
परमेश्वर की आज्ञा पाकर
तपी बने दोनों समाधि लगाकर
शिव ने अद्भुत तेज़ दिखाया
पांच कोष का नगर बनाया
ज्योतिर्मय हो गया आकाश
नगरी सिद्ध हुई पुरुष के पास
शिव ने की तब सृष्टि की रचना
पड़ा उस नगर को काशी बनना
पाठ कोष के कारण तब ही
इसको कहते हैं पंचकोशी
विश्वेश्वर ने इसे बसाया
विश्वनाथ ये तभी कहलाया
यंहा नमन जो मन से करते
सिद्ध मनोरथ उनके होते
ब्रह्मगिरि पर तप गौतम लेकर
पाए सिद्धियों के कितने वर
तृषा ने कुछ ऋषि भटकाए
गौतम के वैरी बन आये
द्वेष का सबने जाल बिछाया
गौ हत्या का दोष लगाया
और कहा तुम प्रायश्चित्त करना
स्वर्गलोक से गंगा लाना
एक करोड़ शिवलिंग सजाकर
गौतम की तप ज्योत उजागर
प्रकट शिव और शिवा वंहा पर
माँगा ऋषि ने गंगा का वर
शिव से गंगा ने विनय की
ऐसे प्रभु यहाँ मैं ना रहूंगी
ज्योतिर्लिंग प्रभु आप बन जाए
फिर मेरी निर्मल धारा बहाये
शिव ने मानी गंगा की विनती
गंगा झटपट बनी गौतमी
त्रयंबकेश्वर है शिवजी विराजे
जिनका जग में डंका बाजे
गंगा धर की अर्चना करे जो मन चित लाय
शिव करुणा से उन पर आंच कभी ना आये
राक्षस राज महाबली रावण
ने जप तप से किया शिव वंदन
भये प्रसन्न तो शम्भू प्रकटे
दिया वरदान रावण पग पढ़के
ज्योतिर्लिंग लंका ले जाऊं
सदा ही शिव शिव जय शिव गाऊं
प्रभु ने उसकी अर्चन मानी
और कहा ये रहे सावधानी
रस्ते में इसको धरा पे ना धरना
यदि धरेगा तो फिर ना उठना
ज्योतिर्लिंग रावण ने उठाया
गरुड़देव ने रंग दिखाया
उसे प्रतीत हुई लघुशंका
धीरज खोया उसने मन का
विष्णु ब्राह्मण रूप में आये
ज्योतिर्लिंग दिया उसे थमाए
रावण निभ्यात हो जब आया
ज्योतिर्लिंग पृथ्वी पर पाया
जी भर उसने जोर लगाया
गया ना फिर से उठाया
लिंग गयो पाताल में धसकर
अठ आंगुल रहा भूमि ऊपर
हो निरास लंकेश पछताया
चंद्रकूप फिर कूप बनाया
उसमे तीर्थों का जल डाला
नमो शिवाय की फेरी माला
जल से किया था लिंग अभिषेका
वैद्य भील ने दृश्य देखा
प्रथम पूजन था उसी ने कीन्हा
नटवर ने उसे वर ये दीन्हा
पूजा तेरी मेरे मन को भावे
वैधनाथ ये सदा कहावे
मनवांछित फल मिलते रहेंगे
सूखे उपवन खिलते रहेंगे
गंगा जल जो कांवड़ लावे
भक्तन मेरा परम पद पावे
ऐसा अनुपम धाम है शिव का
मुक्तिदाता नाम है शिव का
भक्तन की यहाँ हरे बलाएं
बोल बम बोल बम क्यों ना गाये
बैधनाथ भगवान् की पूजा करो धर ध्याये
सफल तुम्हारे काज हो मुश्किलें आसान
सुप्रिय वैश्य धर्म अनुरागी
शिव संग जिसकी लगन थी लागी
दारुक दानव अत्याचारी
देता उसको त्रास था भारी
सुप्रिय को निर्लज्पुरी लेजाकर
बंद किया उसे बंदी बनाकर
लेकिन भक्ति छुट नहीं पायी
जेल में पूजा रुक नहीं पायी
दारुक एक दिन फिर वंहा आया
सुप्रिय भक्त को बड़ा धमकाया
फिर भी श्रद्धा हुई न विचलित
लगा रहा वंदन में ही चित
भक्त ने जब शिवजी को पुकारा
वंहा सिंघासन प्रगट था न्यारा
जिस पर ज्योतिर्लिंग सजा था
पशुपति अस्त्र पास पड़ा था
अस्त्र ने सुप्रिय जब ललकारा
दारुक को एक वार में मारा
जैसा शिव आदेश था आया
वो शिवलिंग नागेश कहलाया
रघुवर की लंका पे चढ़ाई
ललिता नील कला दिखाई
सौ योजन का सेतु बांधा
राम ने उस पल शिव आराधा
रावण मार के लौट जब आये
परामर्श को ऋषि बुलाये
कहा मुनियों ने धयान दीजौ
प्रभु हत्या का प्रायश्चित्य कीजौ
बालू का लिंग सीए बनाया
विधि से रघुवर ने ध्याया
राम कियो जब शिव का ध्यान
ब्रह्म दलन का धूल गया पाप
हर हर महादेव जय कारी
भूमण्डल में गूंजे न्यारी
जंहा झरने शिव नाम के बहते
उसको सभी रामेश्वर कहते
गंगा जल से यंहा जो नहाये
जीवन का वे हर सुख पाए
शिव के भक्तों कभी ना डोलो
जय रामेश्वर जय शिव बोलो
पारवती बल्ल्भ शंकरा कहे जो एक मन होये
शिव करुणा से उसका करे अनिष्ट ना कोई
देवगिरि निकट सुधर्म रहता
शिव अर्चन का विधि से करता
उसकी सुदेहा पत्नी प्यारी
पूजती मन से तीर्थ पुरारी
कुछ कुछ फिर भी रहती चिंतित
क्यूंकि थी संतान से वंचित
सुषमा उसकी बहना थी छोटी
प्रेम सुदेहा से बड़ा करती
उसे सुदेहा ने जो मनाया
लगन सुधर्मा से करवाया
बालक सुषमा कोख से जन्मा
चाँद से जिसकी होती उपमा
पहले सुदेहा अति हर्षायी
ईर्ष्या फिर थी मन में समायी
कर दी उसने खात निराली
हत्या बालक की कर डाली
उसी सरोवर में शव डाला
सुषमा जपती शिव की माला
श्रद्धा से जब ध्यान लगाया
बालक जीवित हो चल आया
साक्षात् शिव दर्शन दीन्हे
सिद्ध मनोरथ सारे कीन्हे
वासित होकर परमेश्वर
हो गए ज्योतिर्लिंग घुश्मेश्वर
जो चुनते शिव लगन के मोती
सुख की वर्षा उन पर होती
शिव है दयालु डमरू वाले
शिव है संतन के रखवाले
शिव की भक्ति है फलदायक
शिव भक्तों के सदा सहायक
मन के शिवाले में शिव देखो
शिव चरणन में मस्तक टेको
गणपति के शिव पिता हैं प्यारे
तीन लोक से शिव हैं न्यारे
शिव चरणन का होये जो दास
उसके गृह में शिव का निवास
शिव ही हैं निर्दोष निरंजन
मंगलदायक भय के भंजन
श्रद्धा के मांगे बिन पत्तियां
जाने सबके मन की बतियां
शिव अमृत का प्यार से करे जो निसदिन पान
चंद्रचूड़ सदा शिव करे उनका तो कल्याण
kalpataru punyaataama prem sudha shiv naam
hitakaarak sanjeevani shiv chintan aviram
patit paavan jaise mdhur shiv rasan ke gholak
bhakti ke hansa hi chuge moti ye anamol
jaise tanik suhaaga sone ko chamakaae
shiv sumiran se aatma adhbhut nikhari jaaye
jaise chandan vriksh ko dasate nahi hai naag
shiv bhakto ke chole ko kbhi lage na daag
om namah shivaay...
daya nidhi bhooteshvar shiv hai chatur sujaan
kan kan bheetar hai base neelakanth bhagavaan
chandr chood ke trinetra uma pati vishvesh
sharanaagat ke ye sada kaate sakal kalesh
shiv dvaare prapanch ka chal nahi sakata khel
aag aur paani ka jaise hota nahi hai mel
bhay bhanjan nataraaj hai damaroo vaale naath
shiv ka vandan jo kare shiv hai unake saath
om namah shivaay
om namah shivaay...
laakho ashvamedh ho sau ganga snaan
inase uttam hai kahi shiv charanon ka dhayaan
alkh niranjan naad se upaje aatma gyaan
bhatake ko raasta mile mushkil ho aasaan
amar gunon ki khaan hai chit shuddhi shiv jaap
satsangati me baithake karalo pashchaataap
lingeshvar ke manan se siddh ho jaate kaaj
namah shivaay ratata ja shiv rkhenge laaj
om namah shivaay
om namah shivaay...
shiv charanon ko chhoone se tan man pavan hoye
shiv ke roop anoop ki samata kare na koee
mahaabali mahaadev hai mahaaprbhu mahaakaal
asuranikandan bhakt ki peeda hare tatkaal
sharvavyaapi shiv bhola dharm roop sukh kaaj
amar ananta bhagavanta jag ke paalan haar
shiv karata sansaar ke shiv sarashti ke mool
rom rom shiv ramane do, shiv na jeeo bhool
om namah shivaay
om namah shivaay...
shiv amarat ki paavan dhaaraa
dho deti hai har kasht hamaaraa
shiv ka paath sada sada sukhadaayee
shiv ke bin hai kaun sahaayee
shiv ki nishadin ki jo bhakti
denge shiv har bhay se mukti
maathe dharo shiv dhaam ki dhulee
toot jaaegi yam ki sooli soolee
shiv ka saadhak dukh na maane
shiv ko har pal sammukh jaane
saunp di jisane shiv ko dor
lute na usako paanchon chor
shiv saagar me jo jan doobe
sankat se vo hans ke joojhe
shiv hai jinake sangi saathee
unhen na vipada kbhi sataatee
shiv bhaktan ka pakade haath
shiv santan ke sada hi saath
shiv ne hai brahamaand rchaayaa
teeno lok hai shiv ki maayaa
jin par shiv ki karuna hotee
vo kankar ban jaate motee
shiv sang taar prem ki jodo
shiv ke charan kbhi na chhodo
shiv me manava man ko rang le
shiv mastak ki rekha badale
shiv har jan ki nas nas jaane
bura bhala ve sab pahchaane
ajar amar hai shiv avinaashee
shiv poojan se kate chauraasee
yahaan vahaan shiv sarv vyaapak
shiv ki daya ke banie yaachak
shiv ko di jo sachchi nishthaa
hone na dega shiv ko rushthaa
shiv he shrddha ke hi bhookhe
bhog lage chaahe rookhe sookhe
bhaavana shiv ko bas me karatee
preet se hi to preet hai badahatee
shiv kahate hain man se jaago
prem karo abhimaan tyaago
duniya ka moh tyaag ke shiv me rahie leen
sukhadukh haani laabh to shiv ke hi hai adheen
bhasm ramaiya paarvati vallbh
shiv phaladaayak shiv hai durlbh
mahaakautuki hai shiv shankar
trishool dhaari shiv abhayankar
shiv ki rchana dharati anbar
devon ke svaami shiv hai digambar
kaal dahan shiv rundan poshit
hone na dete dharm ko dooshit dooshit
durga pati shiv shiv giriraajanaath
dete hain sukhon ki prbhaat
sarashti karta tripur dhaatee
shiv ki mahima kahi n jaatee
divya tej ke ravi hai shankar
pooje ham sab tbhi hai shankar
shiv sam aur koi na daanee
shiv ki bhakti hai kalyaanee
kahate munivar guni sthaanee
shiv ki baate shiv hi jaane
nadiyon ka shiv piye halaahal
neki ka raas baantate har pal
sabake manorth siddh kar detee
sabaki chinta shiv har lete
bam bhola avdhoot svaroopaa
shiv darshan hai ati anoopaa
anukanpa ka shiv hai jharanaa
harane vaale sab ki tarashnaa
bhooton ke adhipati hai shankar
nirmal man shubh mati hai shankar
kaam ke shatru vish ke naashak
shiv mahaayogi bhayavinaashak
roodr roop shiv maha tejasvee
shiv ke jaisa kaun tapasvee
himagiri parvat shiv ka deraa
shiv sammukh na tike andheraa
laakho sooraj ki shiv jyoti
shabdon me shiv upama na hotee
shiv hai jag ke sarajan haare
bandhu skha shiv isht hamaare
go bramhan ke ve hitakaaree
koi na shiv sa paropakaaree
shiv karuna ke srot hai shiv se kariyo preet
shiv hi param puneet hai shiv saache man meet
shiv sarpon ke bhooshan dhaari dhaaree
paap ke bhaashan shiv tripuraaree
jata joot shiv chandrshekhar
vishv ke rakshk kala kaleshvar
shiv ki vandana karane vaalaa
dhan vaibhav pa jaaye niraalaa
kasht nivaarak shiv ki poojaa
shiv sa dayaalu aur na doojaa
panchamukhi jab roop dikhaave
daanav dal me bhay chha jaave
dam dam damaroo jab bhi bole
chor nishaachar ka man dole
got ghaat jab bhang chadahaave
kya hai leela samjh na aave
shiv hai yogi shiv sanyaasee
shiv hi hai kailaash ke vaasee
shiv ka daas sada nirbheek
shiv ke dhaam bade ramaneek
shiv bharakuti se bhairav janme
shiv ki moorat rkho man me
shiv ka archan mangalakaaree
mukti saadhak bhav bhay haaree
bhaktavatsal deen dayaalaa
gyaan sudha hai shiv kripaalaa
shiv naam ki nauka hai nyaaree
jisane sabaki chinta taaree
jeevan sindhu sahaj jo taranaa
shiv ka har pal naam sumiranaa
taarakaasur ko maarane vaale
shiv hai bhakton ke rkhavaale
shiv ki leela ke gun gaanaa
shiv ko bhoolake na bisaraanaa
andhakaasur se dev bchaaye
shiv ke adbhut khel dikhaaye
shiv charanon se lipate rahiye
mukh ke shiv shiv jay shiv kahie
bhasmaasur ko var de daalaa
shiva hai kaisa bhola bhaalaa
shiv teertho ka darshan keejo
manchaahe var shiv se leejo
shiv shankar ke jaap se mit jaate sab rog
shiv ka anugrah hote hi peeda na dete shog
brahama vishnu shiv anugaamee
shiv hai deen hin ke svaamee
nirbal ke bal roop hain shanbhu
pyaase ko jal roop hai shanbhoo
raavan shiv ka bhakt niraalaa
shiv ko di das sheesh ki maalaa
garv se jab kailaash uthaayaa
shiv ne angoothe se tha dabaayaa
dukh nivaaran naam hai shiv kaa
ratn hai aur bin daam shiv kaa
shiv hai sab ke bhaagy vidhaataa
shiv ka sumiran hai phaladaataa
shiv ddheechi ke bhagavantaa
shiv ki thi amar anantaa
shiv ka sevaadaar sudarshan
saanse karadi shiv ke arpan
mahaadev shiv aughad daanee
baayen ang me saje bhavaanee
shiv shakti ka mel niraalaa
shiv ka har ek khel niraalaa
sanbhar naami bhakt ko taaraa
chandrasen ka shok nivaaran
pingala ne jab shiv ko dhayaayaa
nark chhoota moksh paayaaaa
gokarn ki chan chooka anaaree
bhavasaagar se paar utaaree
anusuiya ne kiya aaraadhan
toote chinta ke sab bandhan
bel patton se karen chandalee
shiv ki anukanpa hui niraalee
maarkandey ki bhakti hai shiv
durvaasa ki shakti hai shiv
ram prbhu ne shiv aradhaa
setu ki har tal gi baadhaa
dhanush baan tha paaya shiv se
tal ka saagar aaya shiv se
shri krishn ne jab tha dhayaayaa
putron ka var tha paayaa
ham sevak to svaami shiv hai
anahad antaryaami shiv hai
deen dayaal shiv mere, shiv ke rahiyo daas
ghat ghat ki shiv jaanate shiv par rkh vishvaas
parshuram ne shiv gun gaayaa
keenha tap aur pharasa paayaa
nirgun bhi shiv niraakaar
shiv hain sarashti ke aadhaar
shiv hi hote moortimaan
shiv hi karate jag kalyaan
shiv me vyaapak duniya saaree
shiv ki siddhi hai bhayahaaree
shiv hi baahar shiv hi andar
shiv ki rchana saat samandar
shiv hai har ek man ke bheetar
shiv rahate kan kan ke bheetar
tan me baitha shiv hi bole
dil ki dhadakan me shiv dole
ham kthaputali shiv hi nchaataa
naino ko par najar na aataa
maati ke rangadaar khilaune
saanval sundar aur silonee
shiv hi jode shiv hi tode
shiv to kisi ko khula na chhode
aatma shiv paramaatma shiv hai
daya bhaav dharmaatma shiv hai
shiv hi deepak shiv hi baatee
shiv jo nahi to sab kuchh maatee
sab devon me jeshth shiv hai
sakal gunon me shreshth shiv hai
jab ye taandav karane lagataa
brahamaand saara darane lagataa
teesara chchhu jabajab kholen
traahitraahi ye jag bole
shiv ko tum prasann hi rkhanaa
aastha aur lagan hi rkhanaa
vishnu ne ki shiv ki poojaa
kamal chadahaaoon man ko sujhaa
ek kamal jo kam tha paayaa
apana sundar nayan chadaayaa
saakshaat tab shiv the aaye
kamalanayan vishnu kahalaae
indrdhanush ke rangon me shiv
santon ke satsangon me shiv
mahaakaal ke bhakt ko maar na sakata kaal
dvaar khade yamaraaj ko shiv hai dete taal
yagy sudan maha raudr shiv hai
aanandamoorti natavar shiv hai hai
shiv hi hai shmshaan nivaasee
shiv kaante maratyulok ki phaansee
vyaaghr charam kamar me sohe
shiv bhaktan ke man ko mohe
nandeegan par kare savaaree
aadinaath shiv ganga dhaaree
kaal me bhi to kaal hai shankar hai
vishdhaari jagapaal hai shankar
maha sati ke pati hai shankar
deen skha shubh mati hai shankar
laakhon shshi ke sam mukh vaale
bhang dhatoore ke matavaale
kaal bhairav bhooton ke svaamee
shiv se kaanpe sab phalakaamee
shiv kapaali shiv bhasmaangee
shiv ki daya har jeev ne maangee
mangalakarta mangalahaaree
dev shiromani mahaasukhakaaree
jal ttha vilv kare jo arpan
shrdha bhaav se kare samarpan
shiv sada unaki karate rakshaa
satyakarm ki dete shikshaa
ling pe chandan lep jo karate
unake shiv bhandaar hai bharate
chausth yogini shiv ke bas me
shiv hai nahaate bhakti ras me
vaasuki naag kanth ki shobhaa
aashutosh hai shiv mahaadevaa
vishvamurti karunaanidhaan
mahaamaratyunjay shiv bhagavaan
shiv dhaare rudraaksh ki maalaa
neeleshvar shiv damaroo vaalaa
paap ka shodhak mukti saadhan
shiv karate nirdayi ka mardan
shiv sumarin ke neer se dhool jaate hai paap
pavan chale shiv naam ki ude re duhkh santaap
panchaakshr ka mantr shiv hai
saakshaat sarveshvar shiv hai
shiv ko naman kare jag saaraa
shiv ka hai ye sakal pasaaraa
ksheerasaagar ko mthane vaale
ridhi seedhi sukh dene vaale
ahankaar ke shiv hai vinaashak
dharm deep jyoti prakaashak
shiv bichhuvan ke kundaldhaaree
shiv ki maaya sarashti saaree
mahaananda ne kiya siv chintan
rudraaksh maala kinhi dhaaran
bhavasindhu se shiv ne taaraa
shiv anukampa aparampaaraa
trijagat ke ysh hai shivajee
divy tej gaureesh hai shivajee
mahaabhaar ko sahane vaale
vair rahit daya karane vaale
gun svaroop hai shiv anupaa
ambaanaath hai shiv taparoopaa
shiv chandeesh param sukh jyoti
shiv karuna ke ujjaval motee
punyaatma shiv yogeshvar
mahaadayaalu siv sharaneshvar
shiv charanan pe mastak dhariye
shrdha bhaav se archan karie
man ko shivaala roop bana lo
rom rom me shiv ko rama lo
maathe jo pag dhuli dharenge
dhan aur dhaan se kosh bharenge
shiv ka vaak viphal na jaave
shiv ka daas paramapad paave
dshon dishaaon me shiv darashti
sab par siv ki kripa darashti
siv ko sada hi sammukh jaano
kanakan beech base hi maano
shiv ko saunpo jeevan naiyaa
shiv hai sankat taal khivaiyaa
anjali baandh kare jo vandan
bhay janjaal ke toote bandhan
jinaki raksha shiv kare, maare n usako koy
aag ki nadiya se bche, baal na baanka hoy
shiv daata bhola bhandaaree
shiv kailaashi kala bihaaree
sagun braham kalyaan kartaa
vighn vinaashak baadha hartaa
shiv svaroopini sarashti saaree
shiv se parathvi hai ujiyaaree
gagan deep bhi maaya shiv kee
kaamdhenu pe chhaaya shiv kee
ganga me shiv, shiv me gangaa
shiv ke taare tarat kusangaa
shiv ke kar me saje trishoolaa
shiv ke bina ye jag nirmoolaa
shiv shambhoo ki chhata niraalee
jo jan shiv ki mahima gaaye
shiv se phal manavaanchhit paaye
shiv pag pankaj svarg samaanaa
shiv paaye jo taje abhimaanaa
shiv ka bhakt na duhkh me dolen
shiv ka jaadoo sir chdh bole
paramaanand anant svaroopaa
shiv ki sharan pade sab koopaa
shiv ki japiyo har pal maalaa
shiv ki najar me teeno kaalaa
antar ghat me ise basa lo
divy jot se jot mila lo
nam: shivaay jape jo shvaasaa
pooreen ho har man ki aasaa
paramapita paramaatma pooran sachchidaanand
shiv ke darshan se mile sukhadaayak aanand
shiv se bemukh kbhi na honaa
shiv sumiran ke moti pironaa
jisane bhajan ho shiv ke seekhe
usako shiv har jagah hi dikhe
preet me shiv hai shiv me preetee
shiv sammukh n chale aneeti
shiv naam ki mdhur sugandhee
jisane mast kiyo re nandee
shiv nirmal nirdosh niraale
shiv hi apana virad sanbhaale
param purush shiv gyaan puneetaa
bhakto ne shiv prem se jeetaa
aantho pahar araadheey jyotirling shiv roop
nayanan beech basaaiye shiv ka roop anoop
ling may saara jagat hain ling dharati aakaash
ling chintan se hot hain sab paapo ka naash
ling pavan ka veg hain ling agni ki jyot
ling se paataal hain ling varun ka strot
ling se hain ye vanaspati ling hi hain phal phool
ling hi ratn svaroop hain ling maati ling dhool
om namah shivaay
ling hi jeevan roop hain ling maratyulingakaar
ling megha ghanghor hain ling hi hain munjaar
jyotirling ki saadhana karate hain teeno log
ling hi mantr jaap hain ling ka room shlok
ling se bane puraan ling vedo ka saar
ridhiya siddhiya ling hain ling karata karataar
praatakaal ling poojiye poorn ho sab kaaj
ling pe karo vishvaas to ling rkhenge laaj
om namah shivaay
sakal manorth set ho dukho ka ho ant
jyotirling ke naam se sumirat jo bhagavant
maanav daanav rishimuni jyotirling ke daas
sarv vyaapak ling hain poori kare har aas
shiv rupi is ling ko pooje sab avataar
jyotirlingon ki daya sapane kare saakaar
ling pe chdhinay vaidy ka jo jan le parasaad
unake haraday me baje shiv karoona ka naad
om namah shivaay
mahima jyotirling ki gaayenge jo log
bhay se mukti paaenge rog rahe na shog
shiv ke charan saroj too jyotirling me dekh
sarv vyaapi shiv badale bhaagy tere ki rekh
daareen jyotirling pe ganga jal ki dhaar
karenge gangaadhar tujhe bhav sindhu se paar
chit shuddhi ho jaae re lingo ka dhar dhayaan
ling hi amarat kalsh hain ling hi daya nidhaan
om namah shivaay
jyotirling hai shiv ki jyoti
jyotirling hai daya ka motee
jyotirling ratnon ki khaan
jyotirling me rama jahaan
jyotirling ka tez niraalaa
dhan sampati ka dene vaalaa
jyotirling me hai nat naagar
amar gunon ka hai ye saagar
jyotirling ki keejo sevaa
gyaan paan ka paaoge mevaa
jyotirling hai pita saamaan
sashti isaki hai santaan
jyotirling hai isht pyaare
jyotirling hai skha hamaare
jyotirling hai naareeshvar
jyotirling hai siddh vimaleshvar
jyotirling gopeshvar daataa
jyotirling hai vidhi vidhaataa
jyotirling hai sharaneshvar svaamee
jyotirling hai antaryaamee
satayug me ratno se shobhit
dev jaano ke man ko mohit
jyotirling atyant hai sundar
jata isaki brahamaand andar
treta yug me svarn sajaataa
sukh sooraj ye dhayaan dhavajaataa
sakl sarashti man ki karatee
nisadin pooja bhajan bhi karatee
dvaapar yug me paaras nirmit
guni gyaani sur nar sevee
jyotirling sabake man ko bhaataa
mahamaarak ko maar bhagaataa
kalayug me paarthiv ki moorat
jyotirling nandakeshvar soorat
bhakti shakti ka varadaataa
jo kaaga ko hans banataa
jyotirling pe pushp chadahaao
kesar chandan tilak lagaao
jo jan doodh karenge arpan
ujale ho unake man darpan
jyotirling ke jaap se tan man nirmal hoye
isake bhakton ka manava kare n vichalit koee
somanaath sukh karane vaalaa
som ke sankat harane vaalaa
daksh shraap se som chhudaay
som hai shiv ki adbhut maayaa
chandr dev ne kiya jo vandan
som ne kaate duhkh ke bandhan
jyotirling hai ye sukhadaayee
deen heen ka sada sahaayee
bhakti bhaav se ise jo dhayaaye
man vaani sheetal tar jaaye
shiv ki aatma roop som hai
prbhu paramaatma roop som hai
yahaan upaasana chandr ne kee
shiv ne usaki chinta har lee
is teerth ki shobha nyaaree
shiv amarat saagar bhavbhaydhaaree
chandr kund me jo bhi nahaaye
paap se ve jan mukti paae
chh: kushth sab rog mitaaye
kaaya kundan pal me banaave
malikaarjun hai naam nyaaraa
shiv ka paavan dhaam pyaaraa
kaartikey hai jab shiv se roothe
maat pita ke charan na chhoote
shri shailesh parvat ja pahunche
kasht bhay paarvati ke man me
prbhu kumaar se chali jo milane
sang chalana maana shankar ne
shri shail parvat ke oopar
ge jo donon uma maheshvar
unhen dekhakar kaartik uth bhaage
aur kumaar parvat pe viraaje
janha siddh hue paarvati shankar
dhaam bana ve shiv ka sundar
shiv ka arjun naam suhaataa
malika hai meri paarvati maataa
ling roop ho jahaan ve rahate
malikaarjun hai usako kahate
manavaanchhit phal dene vaalaa
nirbal ko bal dene vaalaa
jyotirling ke naam ki re man maala pher
manokaamana poorn hogi lage na chhin bhi der
ujjainati kshipra kinaare
braahaman the shiv bhakt nyaare
dooshan daity sataata nisadin
garm dvesh dikhalaata jis din
ek din nagari ke nar naaree
dukhi ho raakshs se atihaaree
param siddh braahaman se bole
daity ke dar se har koi dole
dusht nisaachar se chhutakaaraa
paane ko karo yagy pyaaraa
braahaman tap ne rang dikhaae
parathvi phaad mahaakaal aaye
raakshs ko hunkaar se maaraa
bhay se bhaktan ko ubaaraa
aagrah bhakton ne jo keenhaa
mahaakaal ne var tha deenaa
jyotirling ho rahoon yanha par
ichchha poorn karoon yanha par
jo koi man se mujhako pukaare
usako doonga vaibhav saare
ujjaini ke raaja ke paas
mani thi adbhut badi hi kahaas
jise chheenane ka shadayantr
kiya tha kalyon ne hi milakar
mani bchaane ki aasha me
shatru vijay ki abhilaasha me
shiv mandir me dera jamaakar
kho ge shiv ka dhayaan lagaakar
ek baalak ne had hi kar dee
us raaja ki dekha dekhee
ek saadhaaran patthar lekar
pahuncha apani kutiya bheetar
shivaling maan ke ve paashaan
poojane laga shiv bhagavaan
usaki bhakti chumbak se
kheenche hi aaye shambhoo jhat se
omakaar omakaar ki rat sunakar
hue pratishthit omakaar banakar
omkaareshvar vahi hai dhaam
ban jaae bigade jahaan pe kaam
nar naaraayan ye do avataar
bholenaath se jinhe tha pyaar
patthar ka shivaling banaakar
namah shivaay ki dhun gaakar
shiv shankar omakaar ka rat le manava naam
jeevan ki har raah me shivaji lenge thaam
nar naaraayan ye do avataar
bholenaath se jinhe tha pyaar
patthar ka shivaling banaakar
namah shivaay ki dhun gaakar
ki varsh tap kiya shiv kaa
pooja aur jap kiya shankar kaa
shiv darshan ko ankhiya pyaasee
a ge ek din shiv kailaashee
nar naaraayan se ve bole
daya ke mainne dvaar hai khole
jo ho ichchha lo varadaan
bhakt ke vsh me hai bhagavaan
karavaane ki bhakt ne vinatee
kar do pavan prbhu ye dharatee
taras raha kedaar ka kand ye
ban jaaye amarat uttam kund ye
shiv ne unaki maani baat
ban gaya ve hi kedaaranaath
mangaladaayi dhaam shiv kaa
goonj raha janha naam shiv kaa
kumbhakaran ka beta bheem
brahamavar pa hua bali aseem
indradev ko usane haraayaa
kaam roop me garajata aayaa
kaid kiya tha raaja sudakshn
kaaraagaar me kare shiv poojan
kisi ne bheem ko ja batalaayaa
krodh se bhar ke vo vanha aayaa
paarthiv ling par maar hthodaa
jab tha paavan shivaling todaa
prakat hue shiv taandav karate
laga bhaagane bheem tha dar ke
damaroo dhar ne dekar jhatakaa
dhara pe paapi daanav patakaa
aisa roop vikraal banaayaa
pal me raakshs maar giraayaa
ban ge bhole ji prayalankaar
bheem maar ke hue bheemshankar
shiv ki kaisi alaukik maayaa
aaj talak koi jaan n paayaa
har har har mahaadev ka mantr padahen har din rain
duhkh se peedak mandira pa jaayega chain
parameshvar ne ek din bhakton
jaanana chaaha ek me do ko
naari purush ho prakate shivajee
parameshvar ke roop hain shivajee
naam purush ka ho gaya shivajee
naari bani thi amba shakti
parameshvar ki aagya paakar
tapi bane donon samaadhi lagaakar
shiv ne adbhut tez dikhaayaa
paanch kosh ka nagar banaayaa
jyotirmay ho gaya aakaash
nagari siddh hui purush ke paas
shiv ne ki tab sarashti ki rchanaa
pada us nagar ko kaashi bananaa
paath kosh ke kaaran tab hee
isako kahate hain panchakoshee
vishveshvar ne ise basaayaa
vishvanaath ye tbhi kahalaayaa
yanha naman jo man se karate
siddh manorth unake hote
brahamagiri par tap gautam lekar
paae siddhiyon ke kitane var
tarsha ne kuchh rishi bhatakaae
gautam ke vairi ban aaye
dvesh ka sabane jaal bichhaayaa
gau hatya ka dosh lagaayaa
aur kaha tum praayashchitt karanaa
ek karod shivaling sajaakar
gautam ki tap jyot ujaagar
prakat shiv aur shiva vanha par
maaga rishi ne ganga ka var
shiv se ganga ne vinay kee
aise prbhu yahaan mainna rahoongee
jyotirling prbhu aap ban jaae
phir meri nirmal dhaara bahaaye
shiv ne maani ganga ki vinatee
ganga jhatapat bani gautamee
tryanbakeshvar hai shivaji viraaje
jinaka jag me danka baaje
ganga dhar ki archana kare jo man chit laay
shiv karuna se un par aanch kbhi na aaye
raakshs raaj mahaabali raavan
ne jap tap se kiya shiv vandan
bhaye prasann to shambhoo prakate
diya varadaan raavan pag padahake
jyotirling lanka le jaaoon
sada hi shiv shiv jay shiv gaaoon
prbhu ne usaki archan maanee
aur kaha ye rahe saavdhaanee
raste me isako dhara pe na dharanaa
yadi dharega to phir na uthanaa
jyotirling raavan ne uthaayaa
garudadev ne rang dikhaayaa
use prateet hui lghushankaa
dheeraj khoya usane man kaa
vishnu braahaman roop me aaye
jyotirling diya use thamaae
raavan nibhyaat ho jab aayaa
jyotirling parathvi par paayaa
ji bhar usane jor lagaayaa
gaya na phir se uthaayaa
ling gayo paataal me dhasakar
ath aangul raha bhoomi oopar
ho niraas lankesh pchhataayaa
chandrakoop phir koop banaayaa
usame teerthon ka jal daalaa
namo shivaay ki pheri maalaa
jal se kiya tha ling abhishekaa
vaidy bheel ne darashy dekhaa
prtham poojan tha usi ne keenhaa
natavar ne use var ye deenhaa
pooja teri mere man ko bhaave
vaidhanaath ye sada kahaave
manavaanchhit phal milate rahenge
sookhe upavan khilate rahenge
ganga jal jo kaanvad laave
bhaktan mera param pad paave
aisa anupam dhaam hai shiv kaa
muktidaata naam hai shiv kaa
bhaktan ki yahaan hare balaaen
bol bam bol bam kyon na gaaye
baidhanaath bhagavaan ki pooja karo dhar dhayaaye
sphal tumhaare kaaj ho mushkilen aasaan
supriy vaishy dharm anuraagee
shiv sang jisaki lagan thi laagee
daaruk daanav atyaachaaree
deta usako traas tha bhaaree
supriy ko nirlajpuri lejaakar
band kiya use bandi banaakar
lekin bhakti chhut nahi paayee
jel me pooja ruk nahi paayee
daaruk ek din phir vanha aayaa
supriy bhakt ko bada dhamakaayaa
phir bhi shrddha hui n vichalit
laga raha vandan me hi chit
bhakt ne jab shivaji ko pukaaraa
vanha singhaasan pragat tha nyaaraa
jis par jyotirling saja thaa
pshupati astr paas pada thaa
astr ne supriy jab lalakaaraa
daaruk ko ek vaar me maaraa
jaisa shiv aadesh tha aayaa
vo shivaling naagesh kahalaayaa
rghuvar ki lanka pe chadahaaee
lalita neel kala dikhaaee
sau yojan ka setu baandhaa
ram ne us pal shiv aaradhaa
raavan maar ke laut jab aaye
paramrsh ko rishi bulaaye
kaha muniyon ne dhayaan deejau
prbhu hatya ka praayashchity keejau
baaloo ka ling sei banaayaa
vidhi se rghuvar ne dhayaayaa
ram kiyo jab shiv ka dhayaan
braham dalan ka dhool gaya paap
har har mahaadev jay kaaree
bhoomandal me goonje nyaaree
janha jharane shiv naam ke bahate
usako sbhi rameshvar kahate
ganga jal se yanha jo nahaaye
jeevan ka ve har sukh paae
shiv ke bhakton kbhi na dolo
jay rameshvar jay shiv bolo
paaravati ballbh shankara kahe jo ek man hoye
shiv karuna se usaka kare anisht na koee
devagiri nikat sudharm rahataa
shiv archan ka vidhi se karataa
usaki sudeha patni pyaaree
poojati man se teerth puraaree
kuchh kuchh phir bhi rahati chintit
kyoonki thi santaan se vanchit
sushama usaki bahana thi chhotee
prem sudeha se bada karatee
use sudeha ne jo manaayaa
lagan sudharma se karavaayaa
baalak sushama kokh se janmaa
chaand se jisaki hoti upamaa
pahale sudeha ati harshaayee
eershya phir thi man me samaayee
kar di usane khaat niraalee
hatya baalak ki kar daalee
usi sarovar me shav daalaa
sushama japati shiv ki maalaa
shrddha se jab dhayaan lagaayaa
baalak jeevit ho chal aayaa
saakshaat shiv darshan deenhe
siddh manorth saare keenhe
vaasit hokar parameshvar
ho ge jyotirling ghushmeshvar
jo chunate shiv lagan ke motee
sukh ki varsha un par hotee
shiv hai dayaalu damaroo vaale
shiv hai santan ke rkhavaale
shiv ki bhakti hai phaladaayak
shiv bhakton ke sada sahaayak
man ke shivaale me shiv dekho
shiv charanan me mastak teko
ganapati ke shiv pita hain pyaare
teen lok se shiv hain nyaare
shiv charanan ka hoye jo daas
usake garah me shiv ka nivaas
shiv hi hain nirdosh niranjan
mangaladaayak bhay ke bhanjan
shrddha ke maange bin pattiyaan
jaane sabake man ki batiyaan
shiv amarat ka pyaar se kare jo nisadin paan
chandrchood sada shiv kare unaka to kalyaan
kalpataru punyaataama prem sudha shiv naam
hitakaarak sanjeevani shiv chintan aviram
patit paavan jaise mdhur shiv rasan ke gholak
bhakti ke hansa hi chuge moti ye anamol