मिट्टि मिट्टी में मिलती है जिस पल,
रब्ब से मिलती मेरी रूह उस पल,
है बना जो भवन मेरे वास्ते,
वहाँ होंगे ना ग़म इस जहाँ के,
स्वर्ग में... संग येशु के॥
कठिनाई में दी तस्सल्ली मुझे,
दिल के करीब उसने रखा मुझे,
छाया ढ़के, मेरे रास्ते,
शम्मा को भुजने न दिया उसने,
इस जग में रहेंगे ना अब दिन अँधेरे,
अपनी इनायत से जोड़ा मुझे, मिलाया मुझे,
मिट्टि मिट्टी में मिलती है...
इक रोज़ वो बड़े प्रेम से,
सौंपा रेहम से वचनों को मुझे,
बहा जो लहू, उस क्रूस पे,
भरता है ऐसी आशा से मुझे,
अब मेरी ज़िन्दगी संग तेरे ही मसीह,
करता हूँ इस जग से मैं अल्विदा, मैं अल्विदा,
मिट्टि मिट्टी में मिलती है...
मिट्टि मिट्टी में मिलती है जिस पल,
रब्ब से मिलती मेरी रूह उस पल,
है बना जो भवन मेरे वास्ते,
वहाँ होंगे ना ग़म इस जहाँ के,
स्वर्ग में... संग येशु के॥
mitti mitti me milati hai jis pal,
rabb se milati meri rooh us pal,
hai bana jo bhavan mere vaaste,
vahaan honge na gam is jahaan ke,
svarg me... sang yeshu ke..
kthinaai me di tassalli mujhe,
dil ke kareeb usane rkha mujhe,
chhaaya dahake, mere raaste,
shamma ko bhujane n diya usane,
is jag me rahenge na ab din andhere,
apani inaayat se joda mujhe, milaaya mujhe,
mitti mitti me milati hai...
ik roz vo bade prem se,
saunpa reham se vchanon ko mujhe,
baha jo lahoo, us kroos pe,
bharata hai aisi aasha se mujhe,
ab meri zindagi sang tere hi maseeh,
karata hoon is jag se mainalvida, mainalvida,
mitti mitti me milati hai...
mitti mitti me milati hai jis pal,
rabb se milati meri rooh us pal,
hai bana jo bhavan mere vaaste,
vahaan honge na gam is jahaan ke,
svarg me... sang yeshu ke..