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वो कौन सी जगह, जो श्याम की नहीं,
घनश्याम की नही, वो कौन जगह है...

वो कौन सी जगह, जो श्याम की नहीं,
घनश्याम की नही, वो कौन जगह है...


रंगों में श्याम रंग बस प्यारा मुझे लगे,
दीवाना हैं सभी तो  कोई क्या करे,
मै भी ये भी मैं भी दीवाना श्याम का,
कोई और का नहीं कोइ ओर का नही,
वो कौन सी जगह, जो श्याम की नहीं,
घनश्याम की नही, वो कौन जगह है...

मै रूप का तुम्हारे दीवाना हो गया,
गा गा के नाम  तेरा मस्ताना हो गया,
मेरा मेरा रहे तूँ बनके कोई और का नहीं,
कोई और का नही जो बात मेरे श्याम का नही,
वो कौन सी जगह, जो श्याम की नहीं,
घनश्याम की नही, वो कौन जगह है...

पाँव में तेरी पैजनी कितनी सुघर लगे,
श्री शंख चक्र पदम् से तेरे चरण सजे,
तेरे सिवा राजेंद्र का,
और कोई नही हाँ और कोई नहीं,
वो कौन सी जगह, जो श्याम की नहीं,
घनश्याम की नही, वो कौन जगह है...

वो कौन सी जगह, जो श्याम की नहीं,
घनश्याम की नही, वो कौन जगह है...




vo kaun si jagah, jo shyaam ki nahi,
ghanashyaam ki nahi, vo kaun jagah hai...

vo kaun si jagah, jo shyaam ki nahi,
ghanashyaam ki nahi, vo kaun jagah hai...


rangon me shyaam rang bas pyaara mujhe lage,
deevaana hain sbhi to  koi kya kare,
mai bhi ye bhi mainbhi deevaana shyaam ka,
koi aur ka nahi koi or ka nahi,
vo kaun si jagah, jo shyaam ki nahi,
ghanashyaam ki nahi, vo kaun jagah hai...

mai roop ka tumhaare deevaana ho gaya,
ga ga ke naam  tera mastaanaa ho gaya,
mera mera rahe toon banake koi aur ka nahi,
koi aur ka nahi jo baat mere shyaam ka nahi,
vo kaun si jagah, jo shyaam ki nahi,
ghanashyaam ki nahi, vo kaun jagah hai...

paanv me teri paijani kitani sughar lage,
shri shankh chakr padam se tere charan saje,
tere siva raajendr ka,
aur koi nahi haan aur koi nahi,
vo kaun si jagah, jo shyaam ki nahi,
ghanashyaam ki nahi, vo kaun jagah hai...

vo kaun si jagah, jo shyaam ki nahi,
ghanashyaam ki nahi, vo kaun jagah hai...








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