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एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य

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झोली भरलो भगतों दौलत बरसे भोले के
दातारी का क्या कहना है सरकारों की
पीले फूलों की बगिया सुहानी,
मेरी बगिया में आओ राधारानी...
अरे मैं वृंदावन को जाऊं मेरे श्याम खेल
मेरे श्याम खेल रहे होली, घनश्याम खेल
प्याार में तेरे, सांवरिया,
मैने ये जमाना छोड़ दिया,
तुम बिनु राम! नहीं कोउ मेरौ,
बिनु तव चरनसरन सीतापति!