क्यों सताए मुझे क्यों रुलाये मुझे
इतना तो बोल दे मोहन
चुप क्यों है बोल दे मोहन
क्यों सताए मुझे.............
इतना बेदर्द क्यों हो गया है तू
अब तू बोल ज़रा किस्से जाके कहूं
इतना दर्द मिला मैं सहन कैसे
अब तो सुन भी ले मोहन
चुप क्यों है बोल दे मोहन
सबके तो सामने मैं तो हंसती रही
आंसू आँखों में अपने छिपाती रही
अब तो आंसू मेरे रुके ना रुके
इनको तू देख ले मोहन
चुप क्यों है बोल दे मोहन
हर किसी से जिसे मैं छिपाती रही
पर सांवरिया तुझको बताती रही
अब शिखा ने जो दुःख साहा सांवरे
उसको तू जान ले मोहन
चुप क्यों है बोल दे मोहन
kyon sataae mujhe kyon rulaaye mujhe
itana to bol de mohan
chup kyon hai bol de mohan
kyon sataae mujhe...
itana bedard kyon ho gaya hai too
ab too bol zara kisse jaake kahoon
itana dard mila mainsahan kaise
ab to sun bhi le mohan
chup kyon hai bol de mohan
sabake to saamane mainto hansati rahee
aansoo aankhon me apane chhipaati rahee
ab to aansoo mere ruke na ruke
inako too dekh le mohan
chup kyon hai bol de mohan
har kisi se jise mainchhipaati rahee
par saanvariya tujhako bataati rahee
ab shikha ne jo duhkh saaha saanvare
usako too jaan le mohan
chup kyon hai bol de mohan
kyon sataae mujhe kyon rulaaye mujhe
itana to bol de mohan
chup kyon hai bol de mohan
kyon sataae mujhe...