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विप्र दी पत्नी जी कहन्दी जोड़ के हत्थ प्यारे,
घर विच ग़रीबी है हुन नी जांदे दुःख सहारे,

विप्र दी पत्नी जी कहन्दी जोड़ के हत्थ प्यारे,
घर विच ग़रीबी है हुन नी जांदे दुःख सहारे,
अज्ज छेवां दिन होया रोटी खादी नू इक डंगी,
मैं की की वर्ण कराँ पति जी बहुत हमारे तंगी.......

फिकराँ दी गल्ल नहीं आपे करनगे फिकर मुरारी,
ओह फिकर नाल देवे लै के खांदी दुनियां सारी,
है भोग पतिप्रथा प्यारिये क्यों कीती दिलगिरी,
क्यों फिकर करें पत्नी लिखी नहीं कर्मा विच अमीरी.......

जद रात नूँ सोन्दी हा दिसदे छत दे विच दी तारे,
घर हवा आवणे नूँ दिसदे मोगरे बहुत हमारे,
कल कणीयां दे विचों डिग्गी चूहे सणे भुजंगी,
मैं की की वर्ण कराँ पति जी बहुत हमारे तंगी.......

इस जगत क्यारी चों सोई मिलन कर्म जो बीजे,
दस्स मिलन अनार किवें पिछ्ले जनम रिंड सी बीजे,
अज्ज फुलवाड़ी हुन्दी जे बीजी हुन्दी पुंन पनीरी,
क्यों फिकर करें पत्नी लिखी नहीं कर्मा विच अमीरी.......

कल्ल पुत्र तेरे ने खूण्डी मार भन्नता तौड़ा,
हुन किस विच नीर भरां पाता होर नवां इक पौड़ा,
नित नित ना जांदी है पति जी चीज़ गवांडो मंगी,
मैं की की वर्ण कराँ पति जी बहुत हमारे तंगी.......

जो चाहे मालिक नी पल विच धन दे ढेर लगादे,
ओहनां धन दे ढेरां नूँ चाहे पल विच ख़ाक बनादे,
ओहदी ताकत दे मूहरे नहीं चलदी मेरी मेरी,
क्यों फिकर करें पत्नी लिखी नहीं कर्मा विच अमीरी.......

तुसी मौड़ा पाउंदे नी रहन्दे नाल साधुआँ भाउंदे,
मैं किवें विराजां जी पिछों रहन्दे बाल सताउंदे,
घर दी पुंज लाचारी तों दुःखी है सेवक की अर्धांगी,
मैं की की वर्ण कराँ पति जी बहुत हमारे तंगी.......

जे घर च गरीबी है तां ही है हरि चरणों में प्रीति,
इस धन दे कारण ही सुर्ती धर्म कर्म तों गिरती,
जो भगवान याद रहे, ना रहे धन दी कदे फकीरी।
क्यों फिकर करें पत्नी लिखी नहीं कर्मा विच अमीरी.......

हो कुड़ी जवान गई अगले रिश्ता ना लैंदे संगदे,
इस जगत क्यारी चों पुत्रां वाले सौ सौ मंगदे,
इस लोक प्रथा ने जी दूजी जान सूली ते टंगी,
मैं की की वर्ण कराँ पति जी बहुत हमारे तंगी.......

मैथों मंगेया जाना नीं जाके श्याम मित्र दे द्वारे,
की लैके आया ताऊ पुछणगे बाल प्यारे,
कुर्ता फटेया होया नीं धोती हैगी लीरो लीरी,
क्यों फिकर करें पत्नी लिखी नहीं कर्मा विच अमीरी.......


पंडित देव शर्मा बृजवासी
श्री दुर्गा संकीर्तन मण्डल
रानियां (सिरसा



main ki ki varn kra pati ji bahut hamare tangi

vipr di patni ji kahandi jod ke hatth pyaare,
ghar vich gareebi hai hun ni jaande duhkh sahaare,
ajj chhevaan din hoya roti khaadi noo ik dangi,
mainki ki varn karaan pati ji bahut hamaare tangi...


phikaraan di gall nahi aape karanage phikar muraari,
oh phikar naal deve lai ke khaandi duniyaan saari,
hai bhog patiprtha pyaariye kyon keeti dilagiri,
kyon phikar karen patni likhi nahi karma vich ameeri...

jad raat noon sondi ha disade chhat de vich di taare,
ghar hava aavane noon disade mogare bahut hamaare,
kal kaneeyaan de vichon diggi choohe sane bhujangi,
mainki ki varn karaan pati ji bahut hamaare tangi...

is jagat kyaari chon soi milan karm jo beeje,
dass milan anaar kiven pichhle janam rind si beeje,
ajj phulavaadi hundi je beeji hundi punn paneeri,
kyon phikar karen patni likhi nahi karma vich ameeri...

kall putr tere ne khoondi maar bhannata tauda,
hun kis vich neer bharaan paata hor navaan ik pauda,
nit nit na jaandi hai pati ji cheez gavaando mangi,
mainki ki varn karaan pati ji bahut hamaare tangi...

jo chaahe maalik ni pal vich dhan de dher lagaade,
ohanaan dhan de dheraan noon chaahe pal vich kahaak banaade,
ohadi taakat de moohare nahi chaladi meri meri,
kyon phikar karen patni likhi nahi karma vich ameeri...

tusi mauda paaunde ni rahande naal saadhuaan bhaaunde,
mainkiven viraajaan ji pichhon rahande baal sataaunde,
ghar di punj laachaari ton duhkhi hai sevak ki ardhaangi,
mainki ki varn karaan pati ji bahut hamaare tangi...

je ghar ch gareebi hai taan hi hai hari charanon me preeti,
is dhan de kaaran hi surti dharm karm ton girati,
jo bhagavaan yaad rahe, na rahe dhan di kade phakeeree
kyon phikar karen patni likhi nahi karma vich ameeri...

ho kudi javaan gi agale rishta na lainde sangade,
is jagat kyaari chon putraan vaale sau sau mangade,
is lok prtha ne ji dooji jaan sooli te tangi,
mainki ki varn karaan pati ji bahut hamaare tangi...

maithon mangeya jaana neen jaake shyaam mitr de dvaare,
ki laike aaya taaoo puchhanage baal pyaare,
kurta phateya hoya neen dhoti haigi leero leeri,
kyon phikar karen patni likhi nahi karma vich ameeri...

vipr di patni ji kahandi jod ke hatth pyaare,
ghar vich gareebi hai hun ni jaande duhkh sahaare,
ajj chhevaan din hoya roti khaadi noo ik dangi,
mainki ki varn karaan pati ji bahut hamaare tangi...




main ki ki varn kra pati ji bahut hamare tangi Lyrics





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