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शौर्यका सम्मान  [आध्यात्मिक कथा]
हिन्दी कहानी - Hindi Story (हिन्दी कहानी)

दक्षिण भारतका बहुत छोटा-सा राज्य था बल्लारी उसका शासक कोई वीर पुरुष नहीं था, एक विधवा नारी थी। परंतु वह नारी-शौर्यकी प्रतिमा थी वह उनका नाम था मलबाई देसाई । छत्रपति महाराज शिवाजीकी सेनाने बल्लारीपर चढ़ाई की। जिन महाराष्ट्रोंकी दक्षताने दिल्लीके बादशाह औरंगजेबको 'तोबा' बुलवा रखा था, उनकी विशाल सेनाका सामना बल्लारीके मुट्ठीभर सैनिक कैसे करते किंतु बल्लारीके सैनिक लड़े और खूब लड़े। छत्रपतिने बल्लारीके शूरोंके शौर्यको देखा और 'वाह!' बोल उठे।

बल्लारीके सैनिकोंका एक बड़ा भाग खेत रहा। शेष बंदी किये गये। पराजय तो पहिलेसे निश्चित थी;किंतु मलबाई बंदिनी होकर भी सम्मानपूर्वक ही छत्रपतिके सम्मुख उपस्थित की गयीं, यद्यपि अपने सम्मानसे मलबाई प्रसन्न नहीं थीं । उन्होंने शिवाजीसे कहा- 'एक नारी होनेके कारण मेरा यह परिहास क्यों किया जा रहा है? छत्रपति ! तुम महाराज हो, तुम्हारा राज्य बड़ा है और बल्लारी छोटा राज्य है। तुम स्वतन्त्र हो, थोड़ी देर पहिले मैं भी स्वतन्त्र थी, मैंने स्वतन्त्रता लिये पूरी शक्तिसे संग्राम किया है, क्या हुआ जो तुमसे शक्ति कम होनेके कारण मैं पराजित हुई। परंतु तुम्हें मेरा अपमान तो नहीं करना चाहिये। तुम्हारे लोगोंका यह आदरदानका अभिनय अपमान नहीं तो और है क्या ? मैं शत्रु हूँ तुम्हारी, तुम मुझे मृत्युदण्ड दो ।'छत्रपति सिंहासनसे उठे, उन्होंने हाथ जोड़े- 'आप परतन्त्र नहीं हैं। बल्लारी स्वतन्त्र था, स्वतन्त्र है । मैं आपका शत्रु नहीं हूँ पुत्र हूँ। अपनी तेजस्विनी माता जीजाबाईकी मृत्युके बाद मैं मातृहीन हो गया हूँ । मुझे आपमें अपनी माताकी वही तेजोमयी मूर्तिके दर्शन होते हैं। आप यदि शिवाके अपराध क्षमा कर सकें तो उसे अपना पुत्र स्वीकार कर लें।'मलबाईके नेत्र भर आये। वे गद्गद कण्ठसे बोलीं–'छत्रपति ! सचमुच तुम छत्रपति हो। हिंदूधर्मके तुम रक्षक हो और भारतके गौरव हो । बल्लारीकी शक्ति तुम्हारी सदा सहायक रहेगी।'

महाराष्ट्र और बल्लारीके सैनिक भी जब आवेशमें छत्रपति शिवाजी महराजकी जय बोल रहे थे, स्वयं छत्रपतिने उद्घोष किया- 'माता मलबाईकी जय !'



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shauryaka sammaana

dakshin bhaarataka bahut chhotaa-sa raajy tha ballaaree usaka shaasak koee veer purush naheen tha, ek vidhava naaree thee. parantu vah naaree-shauryakee pratima thee vah unaka naam tha malabaaee desaaee . chhatrapati mahaaraaj shivaajeekee senaane ballaareepar chadha़aaee kee. jin mahaaraashtronkee dakshataane dilleeke baadashaah aurangajebako 'tobaa' bulava rakha tha, unakee vishaal senaaka saamana ballaareeke muttheebhar sainik kaise karate kintu ballaareeke sainik lada़e aur khoob lada़e. chhatrapatine ballaareeke shooronke shauryako dekha aur 'vaaha!' bol uthe.

ballaareeke sainikonka ek bada़a bhaag khet rahaa. shesh bandee kiye gaye. paraajay to pahilese nishchit thee;kintu malabaaee bandinee hokar bhee sammaanapoorvak hee chhatrapatike sammukh upasthit kee gayeen, yadyapi apane sammaanase malabaaee prasann naheen theen . unhonne shivaajeese kahaa- 'ek naaree honeke kaaran mera yah parihaas kyon kiya ja raha hai? chhatrapati ! tum mahaaraaj ho, tumhaara raajy bada़a hai aur ballaaree chhota raajy hai. tum svatantr ho, thoda़ee der pahile main bhee svatantr thee, mainne svatantrata liye pooree shaktise sangraam kiya hai, kya hua jo tumase shakti kam honeke kaaran main paraajit huee. parantu tumhen mera apamaan to naheen karana chaahiye. tumhaare logonka yah aadaradaanaka abhinay apamaan naheen to aur hai kya ? main shatru hoon tumhaaree, tum mujhe mrityudand do .'chhatrapati sinhaasanase uthe, unhonne haath joड़e- 'aap paratantr naheen hain. ballaaree svatantr tha, svatantr hai . main aapaka shatru naheen hoon putr hoon. apanee tejasvinee maata jeejaabaaeekee mrityuke baad main maatriheen ho gaya hoon . mujhe aapamen apanee maataakee vahee tejomayee moortike darshan hote hain. aap yadi shivaake aparaadh kshama kar saken to use apana putr sveekaar kar len.'malabaaeeke netr bhar aaye. ve gadgad kanthase boleen–'chhatrapati ! sachamuch tum chhatrapati ho. hindoodharmake tum rakshak ho aur bhaaratake gaurav ho . ballaareekee shakti tumhaaree sada sahaayak rahegee.'

mahaaraashtr aur ballaareeke sainik bhee jab aaveshamen chhatrapati shivaajee maharaajakee jay bol rahe the, svayan chhatrapatine udghosh kiyaa- 'maata malabaaeekee jay !'

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