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गरीब चोरसे सहानुभूति  [Short Story]
Spiritual Story - Short Story (बोध कथा)

एक भक्त थे, कोई उनका कपड़ा चुरा ले गया। कुछ दिनों बाद उन्होंने उसको बाजारमें बेचते देखा । दूकानदार कह रहा था कि 'कपड़ा तुम्हारा है या चोरीका, इसका क्या पता । हाँ, कोई सज्जन पहचानकर बता दें कि तुम्हारा ही है तो मैं खरीद लूँगा।' भक्त पास ही खड़े थे और उनसे दूकानदारका परिचय भी था। उन्होंने कहा- 'मैं जानता हूँ, तुम दाम दे दो।' दूकानदार कपड़ा खरीदकर कीमत चुका दी। इसपर भक्तके एक साथीने उनसे पूछा कि 'आपने ऐसा क्यों किया ?' इसपर भक्त बोले कि 'वह बेचारा बहुत गरीब है, गरीबीसे तंग आकर उसे ऐसा करना पड़ा है। गरीबको तो हर तरहसे सहायता ही करनी चाहिये। इस अवस्थामें उसको चोर बतलाकर फँसाना और भी पाप है।' इस बातका चोरपर बड़ा प्रभाव पड़ा और वह भक्तकी कुटियापर जाकर रोने लगा। उस दिनसे वह भी भक्त बन गया।



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gareeb chorase sahaanubhooti

ek bhakt the, koee unaka kapada़a chura le gayaa. kuchh dinon baad unhonne usako baajaaramen bechate dekha . dookaanadaar kah raha tha ki 'kapada़a tumhaara hai ya choreeka, isaka kya pata . haan, koee sajjan pahachaanakar bata den ki tumhaara hee hai to main khareed loongaa.' bhakt paas hee khada़e the aur unase dookaanadaaraka parichay bhee thaa. unhonne kahaa- 'main jaanata hoon, tum daam de do.' dookaanadaar kapada़a khareedakar keemat chuka dee. isapar bhaktake ek saatheene unase poochha ki 'aapane aisa kyon kiya ?' isapar bhakt bole ki 'vah bechaara bahut gareeb hai, gareebeese tang aakar use aisa karana pada़a hai. gareebako to har tarahase sahaayata hee karanee chaahiye. is avasthaamen usako chor batalaakar phansaana aur bhee paap hai.' is baataka chorapar bada़a prabhaav pada़a aur vah bhaktakee kutiyaapar jaakar rone lagaa. us dinase vah bhee bhakt ban gayaa.

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