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सभ्यता  [हिन्दी कहानी]
हिन्दी कहानी - Shikshaprad Kahani (आध्यात्मिक कथा)

फ्रान्सका राजा हेनरी चतुर्थ एक दिन पेरिस नगरमें अपने अङ्गरक्षकों तथा उच्चाधिकारियोंके साथ कहीं जा रहा था। मार्गमें एक भिक्षुकने अपनी टोपी सिरसे उतारकर मस्तक झुकाकर उसे अभिवादन किया। हेनरीने भी अपनी टोपी उतारकर सिर झुकाकर भिक्षुकको अभिवादन किया। यह देखकर एकउच्चाधिकारीने कहा – 'श्रीमान् ! एक भिक्षुकको आप इस प्रकार अभिवादन करें, यह क्या उचित है ?' हेनरीने सरलतासे उत्तर दिया – 'फ्रान्सका नरेश एक भिक्षुक-जितना भी सभ्य नहीं, यह मैं सिद्ध नहीं करना चाहता।'

- सु0 सिं0



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sabhyataa

phraansaka raaja henaree chaturth ek din peris nagaramen apane angarakshakon tatha uchchaadhikaariyonke saath kaheen ja raha thaa. maargamen ek bhikshukane apanee topee sirase utaarakar mastak jhukaakar use abhivaadan kiyaa. henareene bhee apanee topee utaarakar sir jhukaakar bhikshukako abhivaadan kiyaa. yah dekhakar ekauchchaadhikaareene kaha – 'shreemaan ! ek bhikshukako aap is prakaar abhivaadan karen, yah kya uchit hai ?' henareene saralataase uttar diya – 'phraansaka naresh ek bhikshuka-jitana bhee sabhy naheen, yah main siddh naheen karana chaahataa.'

- su0 sin0

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