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संत बनना सहज नहीं  [Hindi Story]
हिन्दी कथा - शिक्षदायक कहानी (Wisdom Story)

रोजन गाँवमें एक ब्राह्मण नित्य बात-बातपर पत्नी से झगड़ता और जब-तब कहता नहीं मानोगी तो संतोबा पवारके पास चला जाऊँगा; फिर खूब दुर्दशा भोगोगी।' पत्नी पतिकी इस धमकीसे परेशान हो गयी थी।

एक दिन संतोजी उनके घर भिक्षार्थ आये। ब्राह्मण-पत्नीने अपनी रामकहानी उन्हें सुनाकर दयाके लिये प्रार्थना की। संतोबाने कहा - 'अब जब कभी वह ऐसा कहे, तब तुम साफ कह देना कि 'अभी जाइये।' यों उसे मेरे पास भेज देना। मैं मन्त्र फूँक दूँगा, फिर वह तुम्हारे वश हो जायगा।'

संत चले गये। पतिदेव आये। भोजनमें विलम्ब देख बिगड़ने लगे और अपना नित्यका अस्त्र चलाया 'यदि ऐसा ही करोगी तो मैं जाकर संतोबा बन जाऊँगा।' पत्नीने कहा- 'देर क्यों ? इसी दम जाइये।'ब्राह्मण पेंचमें पड़ गया। वह लौटा और कुछ वस्त्र ले पगड़ी - कुरता पहन निकल पड़ा। संतोजीके पास आकर उसने अपनेको पूर्ण वैराग्य हो जानेकी बात कही और उनसे शिष्य बना लेनेकी प्रार्थना की। संतोबाने प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार कर लिया। ब्राह्मण वहीं रह गया।

संतोबाका आदेश पाकर वह तूंबा भर जल लाने नदीपर गया। इसी बीच संतोबाने उसके सारे कपड़े फाड़कर पेड़पर फेंक दिये। ब्राह्मण भूखसे तड़फड़ाता ऊपर आया।

संतोबाने उसे लँगोटी लगवायी। संतोबा दम्पती कन्द-मूल खाने लगे। ब्राह्मणको भी वही दिया गया। खाते हुए उसने कहा – 'तीता लग रहा है। कुछ मीठी | चीज दीजिये।' संतोबाने पासके पेड़से कड़वा नीमतोड़कर दिया। ब्राह्मण उसे मुँहपर रखते ही दुखी हो उठा। उसने सोचा – घरपर सूखी रोटी तो मिलती थी, मैंने यह विपत्ति क्यों मोल ली। वह रोने लगा।

संतोबाने कहा- 'जब वैराग्यका यह पहला पाठ ही पढ़नेमें तुम रोने लगे, तब फिर संसारमें रहकर उदास क्यों रहते हो। बार-बार संतोबा बननेका डर दिखाकर पत्नीको क्यों छलते हो। क्या संत बनना सहज है ?'अब तो उसने क्षमा माँगी और भविष्यमें पत्नीको कभी ऐसा न कहनेकी प्रतिज्ञा की ।

संतोबाने लँगोटी पहने ही उसे उसके घर भिजवा दिया। संतोबाद्वारा पहलेसे समाचार मिला होनेके कारण पत्नीने तत्काल उसे वस्त्र पहननेको दे दिया। तबसे वह सुखसे रहने लगा ।

- गो0 न0 बै0

(भक्तिविजय, अ0 56)



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sant banana sahaj naheen

rojan gaanvamen ek braahman nity baata-baatapar patnee se jhagada़ta aur jaba-tab kahata naheen maanogee to santoba pavaarake paas chala jaaoongaa; phir khoob durdasha bhogogee.' patnee patikee is dhamakeese pareshaan ho gayee thee.

ek din santojee unake ghar bhikshaarth aaye. braahmana-patneene apanee raamakahaanee unhen sunaakar dayaake liye praarthana kee. santobaane kaha - 'ab jab kabhee vah aisa kahe, tab tum saaph kah dena ki 'abhee jaaiye.' yon use mere paas bhej denaa. main mantr phoonk doonga, phir vah tumhaare vash ho jaayagaa.'

sant chale gaye. patidev aaye. bhojanamen vilamb dekh bigada़ne lage aur apana nityaka astr chalaaya 'yadi aisa hee karogee to main jaakar santoba ban jaaoongaa.' patneene kahaa- 'der kyon ? isee dam jaaiye.'braahman penchamen pada़ gayaa. vah lauta aur kuchh vastr le pagada़ee - kurata pahan nikal pada़aa. santojeeke paas aakar usane apaneko poorn vairaagy ho jaanekee baat kahee aur unase shishy bana lenekee praarthana kee. santobaane prasannataapoorvak sveekaar kar liyaa. braahman vaheen rah gayaa.

santobaaka aadesh paakar vah toonba bhar jal laane nadeepar gayaa. isee beech santobaane usake saare kapada़e phaada़kar peda़par phenk diye. braahman bhookhase tada़phada़aata oopar aayaa.

santobaane use langotee lagavaayee. santoba dampatee kanda-mool khaane lage. braahmanako bhee vahee diya gayaa. khaate hue usane kaha – 'teeta lag raha hai. kuchh meethee | cheej deejiye.' santobaane paasake peda़se kada़va neematoda़kar diyaa. braahman use munhapar rakhate hee dukhee ho uthaa. usane socha – gharapar sookhee rotee to milatee thee, mainne yah vipatti kyon mol lee. vah rone lagaa.

santobaane kahaa- 'jab vairaagyaka yah pahala paath hee padha़nemen tum rone lage, tab phir sansaaramen rahakar udaas kyon rahate ho. baara-baar santoba bananeka dar dikhaakar patneeko kyon chhalate ho. kya sant banana sahaj hai ?'ab to usane kshama maangee aur bhavishyamen patneeko kabhee aisa n kahanekee pratijna kee .

santobaane langotee pahane hee use usake ghar bhijava diyaa. santobaadvaara pahalese samaachaar mila honeke kaaran patneene tatkaal use vastr pahananeko de diyaa. tabase vah sukhase rahane laga .

- go0 na0 bai0

(bhaktivijay, a0 56)

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