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दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी मस्तानी बन जाउंगी,
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा

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पाके गोरेया हथा दे विच छल्ले नी गौरा
सत्यवान के संग में जो तू ब्याह
अरे ओ बेटी री तू सुख ना पावेगी...
मंदिर अब बनने लगा है,
भगवा रंग चढ़ने लगा है,
मैं बंजारन दीवानी मैं हो गई,
पी गई थोड़ी भंग भंग मैं,
डम डम वजे गुरा दा डमरु...