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ऐसे सेवाभावी थे सन्त दादू  [Spiritual Story]
हिन्दी कथा - Spiritual Story (प्रेरक कहानी)

(2) ऐसे सेवाभावी थे सन्त दादू

सन्त दादू जयपुरसे दूर एक जंगलमें ठहरे थे। उनकी ख्याति सुनकर शहरके कोतवाल घोड़ेपर सवार हो उनसे मिलने चल पड़े। जंगलमें उन्होंने एक दुबले पतले व्यक्तिको कँटीली झाड़ियाँ साफ करते देखा। शरीरपर मात्र एक लँगोटी थी। कोतवालने उनसे दादूका पता पूछा, पर वह व्यक्ति निर्विकार भावसे अपने कार्यमें लगा रहा। कोतवालको लगा कि वह व्यक्ति बहरा होनेका स्वाँग कर रहा है। बार-बार पूछनेपर जवाब न मिलनेपर उसने चाबुकसे पिटाई आरम्भ कर दी। उसे कोतवाल होनेका अहंकार तो था ही। घायल अवस्थामें उन्हें छोड़ आगे बढ़नेपर उसे एक किसान मिला। उसने बताया कि दुबले-पतले शरीरवाला, लँगोटधारी व्यक्ति, जो मार्गकी झाड़ियोंको साफ कर रहा था, वे ही सन्त दादू हैं। यात्रियोंकी कठिनाईको देखकर बचे समयमें वे यही कार्य करते हैं। भारी प्रायश्चित्तके भावसे भरे कोतवालने सन्त दादूके पास जाकर उनसे क्षमा-याचना की। दादूने उन्हें स्नेहसे उठाकर गले लगा लिया।



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aise sevaabhaavee the sant daadoo

(2) aise sevaabhaavee the sant daadoo

sant daadoo jayapurase door ek jangalamen thahare the. unakee khyaati sunakar shaharake kotavaal ghoda़epar savaar ho unase milane chal pada़e. jangalamen unhonne ek dubale patale vyaktiko kanteelee jhaada़iyaan saaph karate dekhaa. shareerapar maatr ek langotee thee. kotavaalane unase daadooka pata poochha, par vah vyakti nirvikaar bhaavase apane kaaryamen laga rahaa. kotavaalako laga ki vah vyakti bahara honeka svaang kar raha hai. baara-baar poochhanepar javaab n milanepar usane chaabukase pitaaee aarambh kar dee. use kotavaal honeka ahankaar to tha hee. ghaayal avasthaamen unhen chhoda़ aage badha़nepar use ek kisaan milaa. usane bataaya ki dubale-patale shareeravaala, langotadhaaree vyakti, jo maargakee jhaada़iyonko saaph kar raha tha, ve hee sant daadoo hain. yaatriyonkee kathinaaeeko dekhakar bache samayamen ve yahee kaary karate hain. bhaaree praayashchittake bhaavase bhare kotavaalane sant daadooke paas jaakar unase kshamaa-yaachana kee. daadoone unhen snehase uthaakar gale laga liyaa.

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