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अग्नि भी वशमें!  [बोध कथा]
शिक्षदायक कहानी - प्रेरक कहानी (हिन्दी कथा)

परली बैजनाथके नागरिक वहाँके जगन्मित्र नामक ब्राह्मणकी विरक्ति और भक्तिसे अत्यधिक प्रभावित थे। प्रतिदिन रातमें कीर्तन-प्रसङ्गमें उनकी अमृत वाणी सुन सभी गद्गद हो उठते। जगन्मित्र नित्य गाँवसे भिक्षा माँग परिवारका भरण-पोषण करते।

संसारमें ऐसे भी लोगोंकी कमी नहीं, जो दूसरेका उत्कर्ष सहन नहीं कर पाते। जगन्मित्रसे जलनेवाले भी परलीमें पैदा हो गये और वे भाँति-भाँतिके अपशब्दोंसे उनकी निन्दा करते। फिर भी कोई उनकी बातोंपर ध्यान नहीं देता था।

खीझकर उन दुर्जनोंने जगन्मित्रको सपरिवार फूँक देनेकी सोची। रातमें सुनसान हो जानेपर उन्होंने ब्राह्मणके छप्पर में मशालोंसे आग लगा दी। भीतर ताप और उजाला पाते ही जगन्मित्रको यह समझते देर न लगी। बाल-बच्चे गाढ़ निद्रामें सो रहे थे। अपघातकीस्थिति देख जगन्मित्रने सबको उठाया और एक साथ बैठ प्रभुके भजनमें रात बिता दी।

भोरमें जगते ही लोगोंको आग दिखायी दी। उन्होंने सोचा - हो न हो, आग रातमें देरीसे लगी हुई है। वे शोक करते दौड़ पड़े हरे ! हरे ! किस दुष्टने जगन्मित्रके घरको आग लगायी। निश्चय ही सपरिवार भक्त इसमें भस्म हो गया होगा।

छप्परके ईंधनको जलाकर अग्निदेव शान्त हो गये । जगन्मित्रके भजनने उन्हें वशमें कर लिया था, फिर वे कैसे उसके घरके भीतर जलाने पहुँच सकते। लोग दरवाजा खोल भीतर घुसे। जगन्मित्र सपरिवार भगवद्भजनमें ही रमे थे। छप्परकी भीषण आगकी एक चिनगारी, राख या कोयला – कुछ भी घरके भीतर दिखायी न पड़ा। लोग भक्त जगन्मित्रकी भक्तिको श्रद्धापूर्वक नमस्कार करने लगे।

-गो0 न0 बै0 (भक्तिविजय, अध्याय 19)



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agni bhee vashamen!

paralee baijanaathake naagarik vahaanke jaganmitr naamak braahmanakee virakti aur bhaktise atyadhik prabhaavit the. pratidin raatamen keertana-prasangamen unakee amrit vaanee sun sabhee gadgad ho uthate. jaganmitr nity gaanvase bhiksha maang parivaaraka bharana-poshan karate.

sansaaramen aise bhee logonkee kamee naheen, jo doosareka utkarsh sahan naheen kar paate. jaganmitrase jalanevaale bhee paraleemen paida ho gaye aur ve bhaanti-bhaantike apashabdonse unakee ninda karate. phir bhee koee unakee baatonpar dhyaan naheen deta thaa.

kheejhakar un durjanonne jaganmitrako saparivaar phoonk denekee sochee. raatamen sunasaan ho jaanepar unhonne braahmanake chhappar men mashaalonse aag laga dee. bheetar taap aur ujaala paate hee jaganmitrako yah samajhate der n lagee. baala-bachche gaadha़ nidraamen so rahe the. apaghaatakeesthiti dekh jaganmitrane sabako uthaaya aur ek saath baith prabhuke bhajanamen raat bita dee.

bhoramen jagate hee logonko aag dikhaayee dee. unhonne socha - ho n ho, aag raatamen dereese lagee huee hai. ve shok karate dauda़ pada़e hare ! hare ! kis dushtane jaganmitrake gharako aag lagaayee. nishchay hee saparivaar bhakt isamen bhasm ho gaya hogaa.

chhapparake eendhanako jalaakar agnidev shaant ho gaye . jaganmitrake bhajanane unhen vashamen kar liya tha, phir ve kaise usake gharake bheetar jalaane pahunch sakate. log daravaaja khol bheetar ghuse. jaganmitr saparivaar bhagavadbhajanamen hee rame the. chhapparakee bheeshan aagakee ek chinagaaree, raakh ya koyala – kuchh bhee gharake bheetar dikhaayee n pada़aa. log bhakt jaganmitrakee bhaktiko shraddhaapoorvak namaskaar karane lage.

-go0 na0 bai0 (bhaktivijay, adhyaay 19)

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