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कथा-प्रेम  [हिन्दी कहानी]
शिक्षदायक कहानी - छोटी सी कहानी (प्रेरक कथा)

अवन्तीप्रदेशके कुरघर नगरमें साधु कोटिकर्ण पधारे थे। उनका प्रवचन सुनने नगरके श्रद्धालु जनोंकी भीड़ एकत्र होती थी। श्राविका कातियानी भी नियमपूर्वक कथा श्रवण करती थी। चोरोंने यह अवसर लक्षित कर लिया। एक दिन जब कातियानी कथा सुनने गयी, चोरोंने उसके घरमें सेंध लगायी और भीतर घुस गये। संयोगवश कातियानीने एक दासीको भेजा- 'घर जाकर थोड़ा तेल ले आ । कथामें प्रदीप जलता ही है, मेरा तेल भी उसके उपयोगमें आ जायगा।' दासी घर गयी; किंतु सेंध लगी देखकर घरके बाहरसे ही लौटी और दौड़ती हुई अपनी स्वामिनीके पास आयी। वह कह रही थी- 'आप शीघ्र घर चलें ! घरमें चोरोंने सेंध लगायी है।'

कातियानीने धीरेसे कहा-'चुपचाप बैठ। कथामें विघ्न मत कर। चोर धन ही तो ले जायेंगे। मेरे प्रारब्धमें धन होगा तो फिर मिलेगा; किंतु सत्पुरुषके द्वाराजीवनको पवित्र बनानेवाला ऐसा उपदेश फिर कहाँ प्राप्त होगा।'

कातियानीके घरमें सेंध लगाकर चोर भीतर घुसे थे और उनका सरदार घरसे कुछ दूर खड़ा हुआ देख रहा था कि कोई आता तो नहीं है। कोई आशंकाकी बात होनेपर साथियोंको सावधान कर देना उसका काम था। दासी घरके पास आकर जब लौटी, तब उस सरदारने छिपे-छिपे उसका पीछा किया और इस प्रकार वह भी कथा - स्थलतक गया। कातियानीकी बातें उसने सुनीं। उसे बड़ी ग्लानि हुई- 'कहाँ तो यह धर्मात्मा नारी और कहाँ मैं अधम पापी कि इसीके घर चोरी करा रहा हूँ।

चोरोंका सरदार शीघ्र लौट पड़ा। उसने अपने साथियोंको बिना कुछ लिये उस घरसे निकल चलनेका आदेश दिया। चोर वहाँसे निकल गये । परंतु जब कातियानी कथासे लौट आयी, तब सब चोर अपनेसरदारके साथ उसके घर फिर आये। वे हाथ जोड़कर बोले- 'देवी! आप हमें क्षमा करें।' कातियानीने कहा 'भाइयो! मैं तो आपलोगोंको

पहचानती ही नहीं। आपने तो मेरा कोई अपराध कियानहीं है।'
'हमने आपके घरमें सेंध लगायी। अब हम प्रतिज्ञा करते हैं कि चोरीका यह पाप फिर कभी नहीं करेंगे।' चोर उस देवीके चरणोंपर गिर पड़े।

-सु0 सिं0



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kathaa-prema

avanteepradeshake kuraghar nagaramen saadhu kotikarn padhaare the. unaka pravachan sunane nagarake shraddhaalu janonkee bheeda़ ekatr hotee thee. shraavika kaatiyaanee bhee niyamapoorvak katha shravan karatee thee. choronne yah avasar lakshit kar liyaa. ek din jab kaatiyaanee katha sunane gayee, choronne usake gharamen sendh lagaayee aur bheetar ghus gaye. sanyogavash kaatiyaaneene ek daaseeko bhejaa- 'ghar jaakar thoda़a tel le a . kathaamen pradeep jalata hee hai, mera tel bhee usake upayogamen a jaayagaa.' daasee ghar gayee; kintu sendh lagee dekhakar gharake baaharase hee lautee aur dauda़tee huee apanee svaamineeke paas aayee. vah kah rahee thee- 'aap sheeghr ghar chalen ! gharamen choronne sendh lagaayee hai.'

kaatiyaaneene dheerese kahaa-'chupachaap baitha. kathaamen vighn mat kara. chor dhan hee to le jaayenge. mere praarabdhamen dhan hoga to phir milegaa; kintu satpurushake dvaaraajeevanako pavitr banaanevaala aisa upadesh phir kahaan praapt hogaa.'

kaatiyaaneeke gharamen sendh lagaakar chor bheetar ghuse the aur unaka saradaar gharase kuchh door khada़a hua dekh raha tha ki koee aata to naheen hai. koee aashankaakee baat honepar saathiyonko saavadhaan kar dena usaka kaam thaa. daasee gharake paas aakar jab lautee, tab us saradaarane chhipe-chhipe usaka peechha kiya aur is prakaar vah bhee katha - sthalatak gayaa. kaatiyaaneekee baaten usane suneen. use bada़ee glaani huee- 'kahaan to yah dharmaatma naaree aur kahaan main adham paapee ki iseeke ghar choree kara raha hoon.

choronka saradaar sheeghr laut pada़aa. usane apane saathiyonko bina kuchh liye us gharase nikal chalaneka aadesh diyaa. chor vahaanse nikal gaye . parantu jab kaatiyaanee kathaase laut aayee, tab sab chor apanesaradaarake saath usake ghar phir aaye. ve haath joda़kar bole- 'devee! aap hamen kshama karen.' kaatiyaaneene kaha 'bhaaiyo! main to aapalogonko

pahachaanatee hee naheen. aapane to mera koee aparaadh kiyaanaheen hai.'
'hamane aapake gharamen sendh lagaayee. ab ham pratijna karate hain ki choreeka yah paap phir kabhee naheen karenge.' chor us deveeke charanonpar gir pada़e.

-su0 sin0

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