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त्याग या बुद्धिमानी  [आध्यात्मिक कथा]
प्रेरक कथा - आध्यात्मिक कहानी (छोटी सी कहानी)

एक वीतराग संतका दर्शन करने वहाँके नरेश पधारे। साधु कौपीन लगाये भूमिमें ही अलमस्त पड़े थे। नरेशने पृथ्वीपर मस्तक रखकर साधुके चरणोंमें प्रणाम किया और दोनों हाथ जोड़कर नम्रतापूर्वक खड़े हो गये। साधु बोले- 'राजन्! आप मेरे जैसे कंगालका इतना सम्मान क्यों करते हैं ?'

राजाने उत्तर दिया- 'भगवन्! आप त्यागी हैं और त्यागी पुरुष ही समाजमें सबसे अधिक आदरके योग्य हैं। ' साधु तो झटपट खड़े हो गये, हाथ जोड़कर उन्होंनेराजाको प्रणाम किया और बोले- 'राजन् ! क्षमा करें। त्यागीका ही सम्मान योग्य है, तो मुझे आपका सम्मान करना चाहिये था। सबसे बड़े त्यागी तो आप ही हैं।' राजाने पूछा—‘भगवन्! मैं कैसे त्यागी हो गया?'

साधु बोले- 'जो थोड़े लाभका त्याग बड़े लाभके लिये करे वह त्यागी है, या जो बड़े लाभका त्याग करके छोटी वस्तुमें संतोष कर ले वह त्यागी कहा जायगा ?"

राजा - 'भगवन्! जो बड़े लाभके लिये छोटेलाभका त्याग करे वह बुद्धिमान् है; किंतु त्यागी नहीं है। जो बड़े लाभका त्याग करके अल्पमें संतुष्ट रहे वही त्यागी है।'

'तो राजन् ! मैं केवल बुद्धिमान् हूँ और तुम त्यागी हो।' साधुने समझाया- 'क्योंकि मैंने तो अल्प कालतकरहनेवाले, दु:खसे भरे सांसारिक भोगोंका त्याग शाश्वत, अनन्त आनन्दकी प्राप्तिके लिये किया है; किंतु तुम उस अनन्त आनन्दस्वरूप परमात्माको त्यागकर जगत्के घृणास्पद, क्लेशपूर्ण तुच्छ भोगोंको ही अपनाकर संतुष्ट हो ।'– सु0 सिं0



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tyaag ya buddhimaanee

ek veetaraag santaka darshan karane vahaanke naresh padhaare. saadhu kaupeen lagaaye bhoomimen hee alamast pada़e the. nareshane prithveepar mastak rakhakar saadhuke charanonmen pranaam kiya aur donon haath joda़kar namrataapoorvak khada़e ho gaye. saadhu bole- 'raajan! aap mere jaise kangaalaka itana sammaan kyon karate hain ?'

raajaane uttar diyaa- 'bhagavan! aap tyaagee hain aur tyaagee purush hee samaajamen sabase adhik aadarake yogy hain. ' saadhu to jhatapat khada़e ho gaye, haath joda़kar unhonneraajaako pranaam kiya aur bole- 'raajan ! kshama karen. tyaageeka hee sammaan yogy hai, to mujhe aapaka sammaan karana chaahiye thaa. sabase bada़e tyaagee to aap hee hain.' raajaane poochhaa—‘bhagavan! main kaise tyaagee ho gayaa?'

saadhu bole- 'jo thoda़e laabhaka tyaag bada़e laabhake liye kare vah tyaagee hai, ya jo bada़e laabhaka tyaag karake chhotee vastumen santosh kar le vah tyaagee kaha jaayaga ?"

raaja - 'bhagavan! jo bada़e laabhake liye chhotelaabhaka tyaag kare vah buddhimaan hai; kintu tyaagee naheen hai. jo bada़e laabhaka tyaag karake alpamen santusht rahe vahee tyaagee hai.'

'to raajan ! main keval buddhimaan hoon aur tum tyaagee ho.' saadhune samajhaayaa- 'kyonki mainne to alp kaalatakarahanevaale, du:khase bhare saansaarik bhogonka tyaag shaashvat, anant aanandakee praaptike liye kiya hai; kintu tum us anant aanandasvaroop paramaatmaako tyaagakar jagatke ghrinaaspad, kleshapoorn tuchchh bhogonko hee apanaakar santusht ho .'– su0 sin0

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अपनी वाणी में अमृत घोल
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